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हमरा त खाना मिललइ, पर जनवरवा भूखले है

राहत शिविर लाइव. सीएम के निरीक्षण के अगले दिन बाद राहत शिविरों का जायजा लेने पहंुची प्रभात खबर की टीम हुजूर, राशन मिलतइ त हमनी बना लेबई खाना पटना सिटी. हुजूर राशन मिलतइ तो खुद की बना लेवइ खाना, ठीक है आपको राशन मिलेगा, साथ ही खाना बना कर शिविर लोगों को खिलाने के एवज […]

राहत शिविर लाइव. सीएम के निरीक्षण के अगले दिन बाद राहत शिविरों का जायजा लेने पहंुची प्रभात खबर की टीम
हुजूर, राशन मिलतइ त हमनी बना लेबई खाना
पटना सिटी. हुजूर राशन मिलतइ तो खुद की बना लेवइ खाना, ठीक है आपको राशन मिलेगा, साथ ही खाना बना कर शिविर लोगों को खिलाने के एवज में मजदूरी भी मिलेगा. कुछ इसी तरह की फरियाद शुक्रवार को एसडीओ योगेंद्र सिंह के समक्ष लॉ कॉलेज परिसर व रानी घाट पर शरण लिये सबलपुर दियारा के अवधेश राय, उमेश राय समेत अन्य लोगों ने लगायी. एसडीओ ने शुक्रवार की शाम को ही राशन, मसाला व बनाने सामग्री मुहैया कराने की व्यवस्था की. ताकि वो खुद खाना बना कर शिविर में रह रहे लोगों को खिला सके. शनिवार से शिविर में खुद खाना बना खायेंगे,
विकराल होती गंगा व पानी से घिरे घरों से निकल लगभग एक सप्ताह से सबलपुर दियारा के 125 परिवार शरण लिये हुए है. लॉ कॉलेज परिसर में 110 परिवार व रानी घाट के पास पंद्रह परिवार शरण ले रखा है. संघर्ष में गुजर रही ऐसे लोगों की जिंदगी सहम गयी है. हालांकि शुक्रवार को सुबह में भोजन के लिए 350 परिवारों के बीच स्टील की थाली दी गयी. एसडीओ ने अपनी निगरानी में थाली मुहैया कराया, जिसमें पीडि़त परिवारों ने चावल, दाल व सब्जी खाया. एसडीओ ने बताया कि पीडि़तों के बीच ग्लास, प्रति परिवार एकलोटा, प्रति बच्चा के हिसाब से आधा लीटर दूध, कपड़ा भी मुहैया कराया जायेगा, साबुन व कैंप में दवा की व्यवस्था की गयी है. व्यवस्था पर निगरानी रखने को दंडाधिकारी को भी तैनात किया गया है.
गंगा के उफान की विभीषिका में बेघर हुए राघोपुर प्रखंड के हेमतपुर, जफराबाद, रुसतमपुर, पुरुषोत्तम पुर, करमोपुर समेत अन्य प्रभावित गांव के ग्रामीण बाजार समिति राहत शिविर में रह रहे है. पीड़ित जगतारण देवी, सरस्वती देवी, बुधिया देवी व विलाभ राय समेत अन्य लोग बताते हैं कि वैशाली प्रशासन अपेक्षित सहयोग नहीं दे रहा है. शिविर में खाना तो मिल रहा है, लेकिन अन्य सुविधाएं नहीं है. पानी के लिए टैंकर आता है.
हालांकि एसडीओ योगेंद्र सिंह का कहना है कि वहां की सारी व्यवस्था वैशाली प्रशासन की ओर से की गयी है. वैशाली प्रशासन से जो सहयोग मांगा जाता है, वो मिलता है. हालांकि पनाह लिये लोग राहत की उम्मीद में टकटकी लगाये हैं. संगठन के लोग भी राहत का पैकेट लेकर पहुंचते हैं. सबसे स्थित भयावह तो कंगन घाट, गुरु गोविंद सिंह कॉलेज घाट, किला घाट, झाउगंज घाट, दमराही घाट, हीरानंद शाह घाट व मिरचाई घाट समेत अन्य जगहों पर रह रहे लोगों ने मवेशियों के साथ सुरक्षित जगहों पर शरण ले लोगों की है.
इन लोगों को सरकार की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है. पीड़ितों में महाराज घाट स्थित विद्यालय चौक थाना के समीप, किला घाट, दमराही घाट, गुरु गोविंद सिंह कॉलेज घाट के समीप, गायघाट के पास समेत अन्य सुरक्षित जगहों पर तट पर रह रहे लोग शरण लिये हुए हैं. इसी प्रकार दीदारगंज गोप भट्ठा, सबलपुर विष्णु मंदिर परिसर मे भी बाढ़ पीडि़त पनाह लिये है.
बाढ़ पीड़ितों के बीच में बाल लीला गुरुद्वारा की ओर से लंगर की सेवा दी जा रही है. बाललीला गुरुद्वारा की ओर से बाढ़ पीड़ितों के बीच तैयार भोजन का वितरण किया गया. गुरुद्वारा के प्रधान बाबा गुरविंदर सिंह, बाबा हरि सिंह व पूर्व सचिव राजा सिंह ने बताया कि संत बाबा कश्मीरा सिंह भूरीवाले के निर्देश पर बाढ़ पीडि़तों के बीच भोजन बांटा जा रहा है.
इस काम में अजय सिंह, मनोज त्रिवेदी व कार सेवकों के जत्था दीदारगंज, नौजर घाट, खाजेकलां घाट, महाराज घाट, मिरचाई घाट, कंगन घाट व गुरु गोविंद सिंह कॉलेज घाट समेत अन्य जगहों पर लंगर बांट रहा है. इसमें सुबह चाय-बिस्कुट के साथ भोजन का वितरण किया जा रहा है. धर्म निरपेक्ष सेवक संघ (डीएसएस) के सदस्यों ने बाढ़ पीड़ितों के बीच चौथे दिन राहत सामग्री बांटी. संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामजी योगेश, महासचिव अंजू सिंह, प्रदेश महासचिव चंदन कुमार यादव, महानगर अध्यक्ष मानस कपूर, प्रियरंजन उर्फ गोनु, नरोत्तम सिंह, रवि सरदार ने सामग्री बांटी.
पटना : बीएन कॉलेजिएट स्कूल में बाढ़पीड़ित समस्याओं का समाधान अब मिल-जुलकर निकाल रहे हैं. शिविर में जल निकासी की व्यवस्था ठीक नहीं होने से परेशानी बढ़ती जा रही थी. जिसके बाद शुक्रवार को सभी बाढ़पीड़ितों ने मिल कर जलजमाव की समस्या से निबटने के लिए नालों की उड़ाही की. साथ ही पूरे परिसर में ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव किया.
शिविर में बाढ़पीड़ित अब खाना बनाने में भी मदद कर रहे हैं. शिविर में गर्भवती महिलाओं को प्रोटीन की आवश्यकता पूरी करने के लिए अंडा का वितरण किया गया. उन्हें गर्भ के समय बरतने वाली सावधानियां के बारे में भी जानकारी दी गयी.
बच्चों के लिए स्पेशल क्लास आयोजित की गयी, जिसमें उन्हें पढ़ाने के साथ-साथ मीठी खीर खाने को भी दिया गया. शिविर में रह रहे लोगों का मन अब भी हसनपुर दियारा में बसा है. उन्हें घर की चिंता सता रही है. घर के अंदर जलमग्न समानों के बह जाने के कयास लगा रहे हैं. उन्हें जल स्तर घटने का इंतजार है. वहीं, कुछ लोगों को कर्ज की बोझ की चिंता सता रही है. हरिंद्र दास कहते हैं कि उन्होंने 65 हजार कर्ज लेकर परवल और नेनुआ लगाया था. सब डूब गया. सब बरबाद हो गया. वह बताते हैं कि हर साल क्षेत्र जलमग्न होता था, पर इस बार सारी संपत्ति खत्म हो गयी.
पटना : बिहार विद्यापीठ में बाढ़ पीड़ित बिना पंखे के दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं. लाइट की तो व्यवस्था कर दी गयी है लेकिन कमरों में पंखे नहीं लगाये गये हैं. मजबूरन बाढ़ पीड़ित खुद भाड़े पर पंखे का इंतजाम कर रहे हैं. शिविर में रह रहीं उर्मिला देवी बताती हैं कि उनके कमरे में पंखा नहीं होने की वजह से वह रातभर सो नहीं पायीं. फिर उनके पति ने 500 रुपये भाड़ा देकर पंखा किराये पर लाया है.
पूरे परिसर में कुल पांच पंखे ही लगाये गये हैं. इधर पीड़ितों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा शिविर में जमीन पर सही से कारपेट नहीं बिछाया गया है. लोग बोरा और प्लास्टिक पर रात काटने को मजबूर हैं. शिविर में बुधवार को सांप काटने की घटना के बाद भी प्रशासन की आंखें नहीं खुली हैं. पानी भर जाने से उनको कीड़े-मकौड़े का डर भी बना हुआ है.
वहां तैनात एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट राजीव मोहन सहाय का कहना है कि पंखे लगाने का काम हो रहा है. कारपेट की समस्या का भी समाधान किया जायेगा. बाढ़ पीड़ितों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासन हर संभव मदद कर रहा है.
पटना. दीघा पोस्ट ऑफिस के पास मध्य विद्यालय में चल रहे राहत शिविरों में रह रहे विस्थापित शुक्रवार की सुबह आयी आंधी के बाद काफी चिंतित दिखे. सुबह आयी साइक्लोन ने उनकी परेशानियां बढ़ा दी हैं. नकटा दियारा में बचे सैकड़ों फूस के मकान ध्वस्त हो गये हैं. चिंता के कारण कई लोग नाव से अपने घर देखने नकटा दियारा पहुंचे. वहीं उनके परिजन बेसब्री से उनका इंतजार करते घाटों पर दिखे. घर देखने गये चरितर पासवान दो तीन घंटे बाद घाट पहुंचे. उन्होंने बताया कि उनका फूस का मकान पूरी तरह ध्वस्त हो बह चुका है. इलाके के मुखिया भागीरथ प्रसाद ने बताया कि साइक्लोन की वजह से 100 से अधिक घर गिर चुके हैं. वहीं घर की छतों पर शरण ले चुके लोग भी काफी डरे थे. इधर घाटों पर बने मवेशी टेंट हवा में उड़ गये हैं. मवेशियों के चारे भी बारिश में खराब हो गये हैं.
घाट पर चल रहे लंगर भी सुबह देरी से बंटा. वहीं पोस्ट ऑफिस के पास दोनों विद्यालयों में खाने-खिलाने का काम समय से चला. बच्चों के लिए सुबह दो घंटे की क्लास भी आयोजित की गयी. शिविर के पुरुष अपने काम पर भी लौटने लगे हैं. रमेश राय ने बताया कि वह अब शहर मजदूरी करने जाते हैं. शिविर में बैठने से कोई फायदा नहीं है. नुकसान की भरपाई के लिए पैसे जुटाना जरूरी है. यहां भी बाढ़ पीड़ितों को कर्ज की चिंता सता रही है.
पशुओं का चारा नहीं मिलने से है नाराजगी
दानापुर : शुक्रवार को दोपहर एक बजे. बलदेव स्कूल बाढ़ राहत शिविर में गाय-भैंस बंधा हुआ था. वहीं पर कासीमचक पंचायत के जाफरपुर निवासी 75 वर्षीय राम प्रवेश राय का तबीयत खराब रहने के कारण खटिया पर बैठे हुए थे. कहते हैं कि डाॅक्टर तो उपचार करल है. खांसी का दवा नहिखे मिललबा है. इससे खांसी से दिन-रात परेशान रहते हैं. उन्होंने बताया कि गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिविर में आये तो खटिया पर पड़ा देख कर चिकित्सकों से उपचार करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा कि खाना समय पर मिल रहा है. वहीं, शिविर में पतलापुर पंचाायत के हवसपुर निवासी योगेंद्र राय ने बताया कि हमरा तो शिविर में भोजन समय पर मिल रहा है, लेकिन जनवरा का चारा कल से नहीं मिला है.
इससे गाय-भैंस भूखाइल है. उन्होंने आरोप लगाया कि पहले दिया गया पशुओं का चारा भी घटिया किस्म का था. शिविर में स्कूल के पीछे भवन में कासीमचक बिंद टोली के बाढ़ पीड़ित अपने बच्चों के साथ बैठ कर बात कर रहे थे. शिविर में कासिमचक बिंद टोली के सुनैना देवी कहती हैं कि 20 अगस्त से शिविर में पूरे परिवार के साथ रह रहे हैं. दो -तीन दिन समय पर खाना नही मिला था. बाद में समय पर खाना मिल रहा है.
उन्होंने बताया कि कभी गुरूवार की रात में पूरी -सब्जी मिला था और सुबह में खिचड़ी-चोखा. वहीं फुलवती देवी कहती है कि आज दोपहर में बच्चों के लिए दूध भी मिला. उन्होंने बताया कि सुबह में आधा किलो चुड़ा-गुड़ दिया जाता है और उसके बाद खाना दिया. उन्होंने बताया कि शिविर में दिक्कत तो है ही, पर दुख केकरा सुनवम़ गंगा के जलस्तर घटना का इंतजार कर रहे है़ इस शिविर में करीब 700 लोग रह रहे हैं.
वहीं, शिविर में तैनात चिकित्सक डाॅ अनिल कुमार वर्मा ने बताया कि आज तक करीब साढ़े तीन सौ लोगों का उपचार कर दवा दिया गया है. इनमें आठ गर्भवती महिलाएं भी हैं. साथ ही शिविर में नवजात शिशु को टीकाकरण भी दिया जा रहा है़ बच्चों की पाठशाला भी चल रही है और आंगनबाड़ी सेविका भी बच्चों को पढ़ा रही हैं. शाम में एसडीओ संजीव कुमार ने बाढ़-पीडितों का जायजा लिया.
रामचंद्र ने बख्तियारपुर में बांटी राहत सामग्री
पटना : रामचंद्र भारती विधान पार्षद, बिहार विधान परिषद ने बख्तियारपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया. उन्होंने अथमलगोला प्रखंड के सबनीमा, रामनगर दिराया, चंपापुर घोसवरी के बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की और उनका हाल जाना. साथ ही घोसवरी बाढ़ राहत कैंप में भोजन के पैकेट का वितरण किया. उन्होंने बाढ़ पीड़ितों की आर्थिक सहायता भी की.
रामचंद्र भारती के नेतृत्व में प्रेम रंजन कुमार, शैलेंद्र कुमार सिंह, अमरेंद्र मोहन इत्यादि की टीम निरंतर बाढ़ राहत में जुटी हुई है और प्रतिदिन किसी न किसी क्षेत्र में राहत सामग्री का वितरण करती हैं. कैंप के लोगों ने और स्थानीय जनता ने भारती के प्रयत्नों की सराहना की और साथ में मेडिकल सुविधाएं और बेहतर करने की मांग भी की.
बाढ़ में डूबने से किशोर की मौत
मनेर. थाना क्षेत्र के मौलीनगर गांव के नजदीक शुक्रवार को अहरा में आये बाढ़ के पानी में नहाने के दौरान डूबने से 12 वर्षीय किशोर की मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार दानापुर, चंदमारी गांव निवासी रामसागर का 12 वर्षीय पुत्र डब्ल्यू उर्फ कल्लू मनेर के ग्यासपुर पंचायत स्थित ननिहाल मौलीनगर गांव में आया हुआ था. शुक्रवार को अपने दो दोस्तो के साथ गांव पास अहरा में आये बाढ़ के पानी में नहाने के लिए गया हुआ था. इसी बीच वह गहरे पानी में चला गया, जिससे उसकी डूबने से मौत हो गयी.
बांसघाट किनारे मिला लंबा अजगर
पटना. दियारा में बाढ़ के कारण वहां से जानवर बह कर बांसघाट के किनारे पहुंच रहे है. ऐसा ही एक पांच फीट अजगर भटकता हुआ बांस घाट के किनारे पहुंच गया और झाड़ियों में छुप कर बैठा था.
वह वहां चूहे खा रहा था. इसी बीच शुक्रवार के अहले सुबह एक व्यक्ति की नजर पड़ गयी और फिर लोगों की भीड़ लग गयी. अजगर की लंबाई व मोटाई देख लोग सकते में थे और कोई भी नजदीक नहीं फटक रहा था. बुद्धा कॉलोनी थाना पुलिस को भी वहां अजगर होने की जानकारी मिली. इसके बाद पुलिस भी दल-बल के साथ पहुंची. लेकिन अजगर लोगाें की भीड़ को भी देख कर टस से मस नहीं हुआ. पुलिस ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. विभाग ने उसे बड़े बोरे में डाला गया और उसे अपने साथ लेकर चले गये.
उपमुख्यमंत्री पहुंचे कैंप
पटना सिटी. दीदारगंज थाना क्षेत्र के कटरा बाजार समिति परिसर में बनाये गये राहत कैंप में शुक्रवार को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी पहुंचे. उप मुख्यमंत्री ने राहत कैंप में संचालित मेडिकल शिविर व आंगनबाड़ी का निरीक्षण किया. इस दौरान शिविर में रह रहे लोगों से मिल रहे सुविधाओं में बारे में पूछा.
शिविर में लोगों ने परेशानी बतायी, तो उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विपदा अचानक आयी है, सरकार हर संभव मदद करने के लिए तैयार है. निरीक्षण के दरम्यान अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे कर प्रस्थान कर गये. उपमुख्यमंत्री राघोपुर जाने के क्रम में यहां आये थे. राहत कैंप में राघोपुर प्रखंड के हेमतपुर, जफराबाद, रुसतमपुर, पुरुषोत्तमपुर व करमोपुर समेत अन्य प्रभावित गांवों के ग्रामीण बाजार समिति राहत शिविर में रह रहे हैं.
दावा : 80 फीसदी से ज्यादा लोग अब भी बाढ़ में फंसे
पटना. बाढ़ प्रभावित जिलों में अभी भी 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग गांवों में फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने की जरूरत है. सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं. एनडीआरएफ के साथ एसडीआरएफ की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. राहत शिविरों की संख्या भी कम है तथा राहत शिविरों में सुविधाओं जैसे- भोजन, पेयजल, शौचालय, दवाई, स्वास्थ्य देखभाल, कपड़े आदि की काफी आवश्यकता है. बच्चे, वृद्ध आदि इधर-उधर भटक रहे हैं, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, छोटे बच्चे, किशोरियों, वृद्ध, बीमार लोगों के लिए शिविर में कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गयी है.
भोजन का अधिकार अभियान नामक संगठन ने बाढ़ से प्रभावित जिलों में अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि सरकारी मशीनरी पूरी तरह काम नहीं कर रही है. रिपोर्ट पेश करते हुए संगठन के रूपेश कुमार, चंद्रभूषण, ऋत्विज कुमार ने बताया कि बाढ़ में कुछ ऐसे जिले भी प्रभावित हुए हैं जहां सामान्यत: बाढ़ नहीं आती थी जैसे बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद आदि जिले भी प्रभावित हुए हैं.
उत्तर बिहार के भी जिले सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर आदि में आपदा के दौरान जानमाल की क्षति हुई है. बड़ी संख्या में लोगों ने आवास, रोजगार, पशुधन गंवाया है. जिन जिलों में धान, मक्का, अरहर तथा अन्य फसल लगे थे वह बाढ़ में बरबाद हो गया जबकि कुछ जिलों में सूखा के कारण खेती बरबाद हुई है.
बाढ़ में घिरे लोगों के लिए घर के समीप ही लंगर का इंतजाम
पटना : आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा है कि बाढ़ में घिरे लोग यदि किसी कारणवश राहत शिविरों में नहीं आ रहे हैं तो उनके लिए उसी जगह या आसपास में ऊंचे जगहों पर सामूहिक किचेन चलाया जाये. बाढ़ से डूबे गांव जहां लोग घरों के छतों आदि में शरण लिये हों और राहत शिविरों में नहीं आना चाहते हैं तो उनके लिए गांव के निकट ही लंगर चलाया जायेगा.
उन्होंने बताया कि पीड़ितों को नाव से लंगर स्थल तक ला कर सुबह नौ से दस बजे के आस-पास दिन में भोजन कराकर पुन: नाव द्वारा घर भेजा जायेगा. रात का भोजन शाम में ही कराकर अंधेरा होने के पहले नाव से घर भेजने का इंतजाम किया जायेगा. प्रधान सचिव ने बताया कि यदि बाढ़ पीड़ित लंगर या राहत शिविर में भी नहीं आना चाहते हैं तो उन्हें उनके घर में ही सूखा राशन दिया जायेगा. उन्हें चूड़ा, गुड़, सत्तू आदि देने की बजाय पांच किलो चावल, एक किलो दाल, दो किलो आलू और नमक व हल्दी का छोटा पैकेट दिया जायेगा. सभी जिलों को जारी निर्देश में उन्होंने कहा है कि बाढ़ का पानी कम हो रहा है. इसलिए अविलंब बाढ़ पीड़ितों को सहायता उपलब्ध करा दिया जाये.
जिलों को कहा गया है कि राहत शिविर में रहने वाले बाढ़ पीड़ितों को खाने के लिए स्टील की थाली, कटोरा, लोटा और गिलास दिया जा रहा है. शिविर से वापस लौटने के क्रम में इसे वे साथ ले जायेंगे. बच्चों को भी स्टील की छोटी थाली (छिपली), कटोरा, ग्लास दिया जायेगा. जिन राहत केंद्रों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है, उनमें बच्चों को दिया जाने वाला पोषाहार भी छाेटी थाली और कटोरे में दिया जायेगा. सभी पंजीकृत को लुंगी, धोती, गंजी, गमछा और साड़ी, साया, ब्लाउज व बच्चों को निकर, टी-शर्ट तथा बच्चियों को चड्डी, स्कर्ट, फ्रॉक भी दिया जायेगा.
पटना : बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए पटना जिला के विभिन्न स्कूलों में राहत कैंप लगाया गया है, जहां बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. शिक्षकों के माध्यम से बच्चों को स्कूल जाने के लिए मोटिवेट भी किया जा रहा है. ऐसे में उन सभी बच्चों की सूची तैयार हो रही है, जो स्कूल नहीं जाते हैं.
उन बच्चों के जवाब के आधार पर उसके नाम की एक फाइल बनायी जायेगी, जिसमें स्कूल नहीं जाने का कारण लिखा रहेगा. सूची तैयार होने के बाद उन सभी छात्रों का नाम पास के स्कूलों में लिखवाया जायेगा. बच्चे का नाम लिखवाने के बाद वह स्कूल नहीं जाते हैं, तो उनको स्कूल तक पहुंचाने की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी सेविकाओं को सौंपी जायेगी.
खेल-खेल में बच्चे सीख रहे हैं पढ़ाई का पाठ : बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई कर रहे हैं. इनमें से बहुत से बच्चे आर्थिक तंगी व घर के माहौल के कारण स्कूल नहीं जाते हैं. इन सभी को हर दिन कुछ न कुछ नया सिखाया जा रहा है. पढ़ाई के दौरान अगर बच्चे कोई सवाल करते हैं, तो उसका भी समाधान होता है. राहत कैंप में बच्चों को खेलने, पढ़ने में काफी मजा आ रहा है. शिक्षकों को पढ़ाने के लिए कई सेंटरों पर प्रोजेक्टर भी दिया गया है. इसके माध्यम से बच्चों को प्राचीन कला के बारे में बताया जा रहा है.
बच्चों को स्कूल जाने के लिए किया जायेगा जागरूक : राहत कैंप में बच्चों को स्कूल जाने के प्रति जागरूक करने के लिए भी शिक्षकों को लगाया गया है. इन सभी बच्चों का ब्योरा तैयार कर उनको बाढ़ का पानी खत्म होने के बाद जब घर जायेंगे, तो उसके बाद उनको नियमित स्कूल भेजने की तैयारी की जायेगी. इसमें आंगनबाड़ी सेविका और जीविका की दीदी दोनों को लगाया जायेगा.
दियारे क्षेत्र से लाये गये हैं सभी पशु
पटना. बाढ़ से आदमी ही नहीं पशु भी परेशान हैं. जिला प्रशासन ने सभी गाय-भैंस को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाल कर राहत शिविर के बाहर लाकर रखा है. इन पशुओं के खाने को लेकर लोगों ने जिला पशुपालन विभाग की ओर से गोलघर से दीघा तक सड़क किनारे बसे गाय-भैंसों के बीच 60 क्विंटल पशु चारा का वितरण किया गया.
अधिकारियों के मुताबिक पशु चारा की कमी होने के कारण लोकल बाजार से पशु चारा खरीदने में परेशानी हो रही है, लेकिन पशुओं के खाना में कमी नहीं हो, इसको लेकर दूसरे राज्यों से भी चारा मंगवाया जा रहा है. शुक्रवार को जिला प्रशासन की टीम ने सभी जगहों पर जानवरों के लिए भूंसा की बोरी लाकर उनके मालिकों के हवाले कर दिया है. इसके लिए तीन टीम बनायी गयी थी.
दीघा घाट पर जानवरों को धूप से बचाने के लिए राहत शिविर के नाम पर टेंट लगाया गया था, जो शुक्रवार की सुबह आंधी में पूरी तरह से तहस-नहस हो गया. यहां पर 40 से अधिक गाय व भैंसों का रहने का इंतजाम जिला प्रशासन की ओर से किया गया है, लेकिन दोपहर बाद दियारा के लोगों ने टेंट को दोबारा से लगाना शुरू कर दिया.
अब तक 2018 गांवों के 32.51 लाख लोग बाढ़ की चपेट में
पटना : राज्य में बाढ़ का कहर जारी है. अब तक बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या 51 तक पहुंच चुकी है. 12 जिलों में बाढ़ के कारण 2018 गांवों के 32.51 लाख लोग और 2.54 लाख पशु अब भी बाढ़ की चपेट में हैं.
मरने वालों में भोजपुर से 13, वैशाली से सात, भागलपुर से दो, बक्सर से एक, लखीसराय से तीन, समस्तीपुर से आठ, खगड़िया से तीन, सारण से पांच, मुंगेर से एक, बेगूसराय से सात और पटना से एक शामिल हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी सूचना के अनुसार गंगा नदी के बढ़े जल स्तर और तेज जल प्रवाह के कारण गंगा नदी के किनारे के सभी जिलों में कमोवेश बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. विभागीय अधिकारी ने बताया कि पटना, वैशाली, भोजपुर और सारण के दियारा क्षेत्र में सर्वाधिक बाढ़ का असर है.
विभाग ने दावा किया है कि बाढ़ से प्रभावित सभी जिलों में राहत और बचाव का काम चल रहा है. अब भी राहत और बचाव दल द्वारा दियारा क्षेत्रों से लोगों को राहत शिविरों में लाया जा रहा है. अब तक 4.16 लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. वहीं अब भी 518 राहत केंद्रों में दो लाख से अधिक लोगों को रखा गया है. विभागीय संयुक्त सचिव अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि शिविरों में लोगों को सभी आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं. पशुओं के लिए 108 शिविर चलाये जा रहे हैं.

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