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दिवाली के बाजार में नहीं है खरीदारी का जोर, 40 फीसदी कम बिक्री होने का अनुमान

नयी दिल्लीः असंगठित खुदरा व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन कैट का अनुमान है कि इस बार दिवाली पर 40 फीसदी बिक्री कम होगी और व्यापारियों के लिए यह फीकी रहेगी. कैट ने जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि दिवाली में मात्र तीन दिन बचे हैं. इस समय पर हर वर्ष खरीदारी अपनी उच्च सीमा पर […]

नयी दिल्लीः असंगठित खुदरा व्यापारियों के अखिल भारतीय संगठन कैट का अनुमान है कि इस बार दिवाली पर 40 फीसदी बिक्री कम होगी और व्यापारियों के लिए यह फीकी रहेगी. कैट ने जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि दिवाली में मात्र तीन दिन बचे हैं. इस समय पर हर वर्ष खरीदारी अपनी उच्च सीमा पर होती है, लेकिन इस बार देशभर के बाजारों में सन्नाटा छाया हुआ है और दिवाली का त्योहारी माहौल बना ही नहीं है. बाजारों में ग्राहकों की आवक बेहद कम है, जिसके चलते पिछले साल के मुकाबले लगभग बिक्री में 40 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है.

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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि उपभोक्ताओं की जेब में नकद की तंगी होने के कारण से बाजारों में मंदी का माहौल है. उपभोक्ता अधिकांश बेहद जरूरी सामान ही खरीद रहे हैं और दिवाली त्योहार की खरीद से बच रहे हैं. लोगों ने बड़ी मात्रा में रियल इस्टेट और सोने में निवेश कर रखा है और इन दोनों क्षेत्रों में मंदी के कारण से उनका पैसा फंस गया है. दूसरी तरफ व्यापारियों ने अपना पैसा शेयरों में निवेश कर दिया है. इसके चलते उनका पैसा वहां फंस गया है.

उन्होंने कहा कि ई-काॅमर्स कंपनियों के सरकारी नीतियों की धज्जियां उड़ाते हुए बड़ी मात्रा में छूट देकर सामान बेचने का भी बाजारों के व्यापार पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) से उपजे भ्रम ने बाजारों में अफरा-तफरी फैला रखी है और व्यापारी परेशान है. त्योहार से जुड़े अधिकांश सामान पर कर की दर 28 फीसदी होने के कारण उपभोक्ता इतना ज्यादा कर देना नहीं चाहता. बाजारों के माहौल को देखते हुए लगता ही नहीं कि देश का इतना बड़ा त्योहार नजदीक है. यदि यही हाल रहा, तो इस बार व्यापारियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा.

टिकाऊ उपभोक्ता सामान, रोजमर्रा के उपभोक्ता उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसोई का सामान, घड़ियां , गिफ्ट आइटम , मिठाइयां, मेवा, साज सज्जा, परिधान और फर्नीचर इत्यादि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जो मंदी की सीधी मार झेल रहे है. भारत में त्योहारी खरीद का मौसम पहले नवरात्र से शुरू होकर 14 दिसंबर तक चलता है. फिर दोबारा 14 जनवरी से शुरू होकर अप्रैल तक चलता है. इस बीच दिसंबर में क्रिसमस और नववर्ष का मौसम भी आ जाता है.

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