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जीवनसाथी ऐसा हो, जो हमें समझे और घरवालों का सम्मान करे

वीना श्रीवास्तव साहित्यकार व स्तंभकार, इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें – फेसबुक : facebook.com/veenaparenting ट्विटर : @14veena सुंदर लोग हमेशा सुंदर दिल के भी मालिक हों, यह जरूरी नहीं, लेकिन हां, सुंदर मनवाले जरूर हमेशा सुंदर व्यक्तित्ववाले होते हैं. मन की खूबसूरती आप खुद विकसित कर सकते हैं.शरीर की खूबसूरती आपके हाथ में नहीं. हां, […]

वीना श्रीवास्तव

साहित्यकार व स्तंभकार, इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें –

फेसबुक : facebook.com/veenaparenting

ट्विटर : @14veena

सुंदर लोग हमेशा सुंदर दिल के भी मालिक हों, यह जरूरी नहीं, लेकिन हां, सुंदर मनवाले जरूर हमेशा सुंदर व्यक्तित्ववाले होते हैं. मन की खूबसूरती आप खुद विकसित कर सकते हैं.शरीर की खूबसूरती आपके हाथ में नहीं. हां, बहुत धनवान जरूर अपने लिए महंगे ट्रीटमेंट ले सकते हैं. यहां हम आमजन की बात कर रहे हैं. आप बच्चे और बड़े भी सदैव याद रखिए कि जिसका मन सुंदर है, वह हमेशा अपने आंतरिक सौंदर्य से घर को संवारेगा. जीवनसाथी ऐसा होना चाहिए जो हमें समझे. हमारी भावना को समझे. हमारे घरवालों, माता-पिता, दोस्तों, रिश्तेदारों को मान-सम्मान दे. सबसे बड़ी बात जिसमें इनसानियत हो.

जिसमें इनसानियत होगी, वह कभी कोई गलत काम नहीं करेगा, इनसान तो क्या किसी भी प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचायेगा. कोई भी दुर्घटना हमारा शारीरिक सौंदर्य तो छीन सकती है, मगर हमारे मन की सुंदरता कोई नहीं छीन सकता. रहा सवाल विकलांगता का, तो किसी के मन में यह हीन भावना नहीं आनी चाहिए कि उसमें कोई कमी है, इसलिए वह कुछ कर नहीं सकता. आजकल इतनी खबरें आती हैं कि जिनके हाथ या पैर नहीं हैं, वे कैसे खुद अपने सारे काम करके नयी-नयी मिसाल कायम कर रहे हैं. एवरेस्ट तक पहुंच रहे हैं.

एक वीडियो बहुत शेयर हो रहा था, जिसमें दो बच्चे एक साथ जुड़े हुए हैं, वे किस तरह एक-दूसरे को सपोर्ट करके स्कूल जाते हैं, काम करते हैं. जीने का जज्बा और हौसले के पंख मजबूत हों तो कोई भी लड़ाई जीती जा सकती है. मगर किसी की भी मजबूरी का फायदा उठाना किसी भी तरह से उचित नहीं. वैसे यह दुनिया ‘गिव एंड टेक’ पर टिकी है.

कभी-कभी जीवन के साथ हुए समझौते वाकई जीवनदान दे जाते हैं. मैंने जिस लड़की की कहानी आपको बतायी थी कि वह गरीब परिवार से थी और जिससे उसका विवाह हुआ, उस लड़के के पैर खराब थे. उन्होंने कहा था कि बस अपनी बेटी दे दीजिए. हमें कुछ नहीं चाहिए. हम आपकी छोटी बेटी को भी साथ ले जायेंगे और परवरिश करेंगे.

आपको पूरी बात बताती हूं. उस घर में सबसे बड़ी एक और बेटी थी. वे चार बहनें और एक भाई थे. घर में बहुत प्रॉपर्टी थी मगर जब बिना प्लानिंग के सिर्फ खर्च होगा तो धन बढ़ेगा कैसे ? अगर भरे घड़े से हम पानी निकालकर पीते रहें और उसमें पानी भरे ही नहीं, तो घड़ा तो खाली ही होगा न ? ऐसा ही उस परिवार के साथ हुआ. घर में खाने के लाले थे.

पति कोई काम नहीं करता था. पत्नी कोई विरोध नहीं करती थी. केवल झूठी शान और दूसरों को नीचा दिखाने के लिए उस व्यक्ति ने पूरे परिवार को बरबाद कर दिया. जहां पति ऐसी मनमानी करे, वहां पत्नी को आगे बढ़ कर पति को रोकना चाहिए. पति-पत्नी दोनों को चाहिए कि जब भी दोनों में से एक भी गलत राह पर चले, तो दूसरा उसे सही राह दिखाये. एक शाम इकलौते भाई की तबियत खराब हुई. उसे अस्पताल में एडमिट किया गया. घर में एक रुपया भी नहीं था. उन्हें रुपये चाहिए थे. उनके पिता ने कहा कि चचेरे चाचा से रुपये ले आये. तब तक वह जॉब नहीं करती थीं. केवल ग्रेजुएशन किया था.

वह चाचा के पास गयी तो चाचा ने उन्हें रुपये तो दिये, मगर रात में रुकने की बात मानने पर और इस तरह से उनका शारीरिक शोषण शुरु हुआ. वह स्कूल में पढ़ाने लगी, तो वहां के प्रधानाचार्य के हाथों बिकी. मगर जब उससे कहा गया कि वह अपनी छोटी बहन को भी रात में लाये, तो उसने स्वीकार नहीं किया और फिर अपनी बहन की शादी के लिए लड़का ढूंढ़ने लगी. तब उन्हें किसी तरह से वह घर मिला, जहां लड़के के पैर खराब थे.

उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और अपनी बहन को भी बताया कि किस तरह के हालात बन रहे हैं. वह शादी करके एक और दूसरी बहन उसकी ससुराल जाकर सुरक्षित हो रही थी. उसकी छोटी बहन ने रिश्ता स्वीकार कर लिया. हालांकि उसने यह जरूर कहा- मेरी किस्मत ने फैसला कर दिया मगर मेरी बहन सुरक्षित हो जायेगी. उन बहनों ने एक-दूसरे के लिए कुर्बानियां दीं.

हम जब वहां रहने गये, तो मुझे भी मना किया गया कि उस लड़की से दूर रहना, क्योंकि उसका चाल-चलन ठीक नहीं है मगर मेरी मां ने पूरी सच्चाई बतायी कि दरअसल वह बेटी खराब नहीं है. खराब तो इस दुनिया के लोग हैं, जो जीने नहीं देते. दोषी वह लड़की नहीं, बल्कि उसके माता-पिता और उसके रिश्तेदार हैं. मैं उन्हें दीदी कहती थी. कभी-कभी की मुलाकात थी उनसे. मुझे भी वह कभी खराब नहीं लगीं. बहुत प्यार से मिलतीं.

आप खुद सोचिए वह कैसे खराब हो सकती हैं ? जो घर चलाने के लिए, भाई की जान बचाने के लिए खुद का सौदा कर ले. अगर उस दिन उसे दवा नहीं मिलती तो भाई मर जाता. खुद बिक कर भी उनकी शर्म जिंदा थी. जो उनके साथ हुआ, वह उन्होंने अपनी बहनों के साथ नहीं होने दिया. उनकी छोटी बहन ने भी साथ दिया. खुद तो सम्मान से विदा हुई और अपनी बहन को साथ ले गयी, ताकि वह सुरक्षित हो सके. उस समय तो उनका भाई बच गया. मगर कोई गंभीर बीमारी थी और कुछ समय बाद वह नहीं रहा.

लोगों ने उनका जीना दूभर कर दिया और वह घर खर्च चलाने के लिए खुद को मारती रही. एक रात कहीं चली गयी. फिर उसके बाद कभी उनके बारे में नहीं सुनाई पड़ा. कुछ वर्षों बाद सबसे छोटी बहन भी बीमार हुई, वह भी चल बसी. धीरे-धीरे वह परिवार ही खत्म हो गया. बची तो वह, जिसकी शादी हुई थी और वह बहन जिसको वह अपनी ससुराल साथ ले गयी थी.

क्रमश:

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