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माननीय होने का ये मतलब नहीं कि जो चाहेंगे, सो करेंगे

प्रशिक्षण. विधायकों ने जानी संसदीय कार्यवाही की बारीकियां, बोले सीएम रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें काफी मजबूत है़ संविधान के माध्यम से हमेें यह व्यवस्था मिली है़ संसदीय प्रणाली मेें शासन सदन के प्रति उत्तरदायी हाेता है़ इस व्यवस्था मेें विपक्ष को भी सशक्त होना चाहिए़ […]

प्रशिक्षण. विधायकों ने जानी संसदीय कार्यवाही की बारीकियां, बोले सीएम
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें काफी मजबूत है़ संविधान के माध्यम से हमेें यह व्यवस्था मिली है़ संसदीय प्रणाली मेें शासन सदन के प्रति उत्तरदायी हाेता है़
इस व्यवस्था मेें विपक्ष को भी सशक्त होना चाहिए़ देश का लोकतंत्र अच्छे से चले इसके लिए जरूरी है कि संस्था में रहने वाले लोग भी अच्छे हो़ विधायिका-कार्यपालिका के बीच सामजंस्य होना चाहिए़ हमें भी मर्यादा मेें रहना होगा़ कार्यपालिका कानून-नीतियों को लागू कराने के लिए है़ निर्णय राजनीतिक दलों को लेना है़ माननीय हो गये, इसका मतलब यह नहीं है कि जो चाहें, करे़ं लोकतंत्र में मर्यादा-सीमा का ख्याल रखना होगा़ मुख्यमंत्री श्री दास बुधवार को राजधानी के प्रोजेक्ट भवन सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे़
सुभाष कश्यप और जीसी मल्होत्रा ने विधायी प्रावधानों की जानकारी दी
प्रख्यात संसदीय जानकार और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप और जीसी मल्होत्रा ने विधायकों को विधायी प्रावधानों और कार्यवाही को विस्तार से बताया़ विधानसभा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के स्वरूप, उनकी प्रासंगिकता और महत्व की जानकारी दी़ लोकसभा के पूर्व महासचिव श्री मल्होत्रा ने अलग-अलग प्रश्नों की विशेषता और उसे जनोन्मुखी बनाये जाने पर चर्चा की़ वहीं दूसरी पाली में संसदीय विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बजटीय सत्र की कार्यवाही को विस्तार से बताया़
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि वह विधायिका को गंभीरता से लेते हुए काम करे़ मीडिया भी ऐसे लोगों को प्रमुखता दे, जो सदन मेें शालीनता से अपनी बातें रखते है़ देश मेें झारखंड विधानसभा ने कई इतिहास रचे है़ं सत्ता आती-जाती है, समझना होगा़ पक्ष हो या विपक्ष समाज के अंतिम व्यक्ति तक मुस्कुराहट पहुंचाना है़ कई ऐसे मुद्दे हैं, उसे पक्ष-विपक्ष मेें नहीं बांटा जा सकता है़ उदघाटन सत्र में सत्ता पक्ष के मुख्य सचतेक राधाकृष्ण किशोर ने स्वागत भाषण किया़ मौके पर स्पीकर दिनेश उरांव, संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय और प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रासंगिकता और महत्व बताये़ प्रशिक्षण कार्यक्रम में पक्ष-विपक्ष के 30 से ज्यादा विधायक पहुंचे थे़
झारखंड में संसदीय शोध और प्रशिक्षण संस्थान बनेगा : स्पीकर
स्पीकर दिनेश उरांव ने कहा कि झारखंड के चतुर्थ विधानसभा में 34 नये विधायक पहुंचे है़ विधानसभा की ओर से विधायी प्रशिक्षण और सम्मेलन का प्रयास जुलाई से शुरू किया गया. झारखंड में संसदीय शोध और प्रशिक्षण संस्थान का गठन किया जायेगा़ स्पीकर श्री उरांव ने कहा कि झारखंड विधानसभा की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है़
विधायिका कमजोर हुई, कार्यपालिका से सामंजस्य नहीं : हेमंत
विधायक प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में प्रतिपक्ष के नेता हेमंतसोरेन ने कहा कि हाल के दिनों में विधायिका कमजोर हुई है़ इसकी गरिमा बचाने की जरूरत है़ उन्होंने कहा कि राज्य में पूर्ण सरकार (12 वां मंत्री) का गठन नहीं हुआ है़ यहां दल-बदल का भी मामला चल रहा है़ श्री सोरेन ने कहा कि सदन की कार्यप्रणाली को देखना होगा़ प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि कार्यपालिका व विधायिका में सामजंस्य नहीं है. इसमें सामंजस्य होना चाहिए़
संसदीय व्यवस्था में असहमति का समादर होना चाहिए : सरयू
संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने कहा कि झारखंड विधानसभा को सुचारु रूप से चलाने के लिए सत्ता पक्ष व विपक्ष सबका सहयोग मिला है़ विधायकों ने भी सीमा-मर्यादा का पालन किया़
झारखंड विधानसभा का स्वरूप छोटा है़ संसदीय व्यवस्था में असहमति का समादर होना चाहिए़ सरकार को समझना होगा कि असहमति वाला व्यक्ति विरोधी नहीं है़ जितनी भी आलोचना पर सरकार गौर करेगी, सुधार होगा़ संसदीय कार्यमंत्री श्री राय ने कहा कि राज्य में संसदीय प्रशिक्षण के लिए स्थायी संस्थान बनाने पर विचार हो रहा है़ इस तरह के संस्थान में शोध और दूसरे कार्यों के लिए साहित्य भी भरपूर मिलेंगे़
लाेकतांत्रिक व्यवस्था ना टूट सकती है, ना झुक सकती : किशोर
सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि लोक विधायी प्रक्रिया इस तरह के आयोजन से मजबूत होती है़ पिछले 64 वर्षों में संसदीय लोकतंत्र देश में मजबूत हुआ है़
यह व्यवस्था ना तो टूट सकती है और ना ही झुक सकती है़ इस तरह के सम्मेलन का लक्ष्य संसदीय प्रक्रिया-पद्धति को जनोन्मुखी बनाना है़ हमें झारखंड विधानसभा पर गर्व है़ मुख्यमंत्री प्रश्नकाल हो या फिर विपक्ष द्वारा कटौती प्रस्ताव वापस लेने का मामला हो़ यह सब शुद्ध संसदीय व्यवहार-अनुशासन का प्रतीक है़

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