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आर्थिक वृद्धि में गिरावट का कारण नोटबंदी नहीं, दूसरी तिमाही में वृद्धि 7 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान : राजीव कुमार

नयी दिल्ली : नीति आयोग के नवनियुक्त उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि मजबूत आर्थिक बुनियाद, बेहतर मानसून तथा एफडीआई एवं सेवा क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.0 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी कहा कि पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2017) में […]

नयी दिल्ली : नीति आयोग के नवनियुक्त उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि मजबूत आर्थिक बुनियाद, बेहतर मानसून तथा एफडीआई एवं सेवा क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.0 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी कहा कि पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2017) में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का कारण नोटबंदी नहीं है.

उल्लेखनीय है कि कल जारी आधिकारिक आंकड़ों में पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत बतायी गयी जो तीन साल में सबसे कम रही है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष का पद संभालने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कुमार ने कहा, ‘जीएसटी के सुचारु क्रियान्वयन, मजबूत आर्थिक बुनियाद, बेहतर मानसून तथा एफडीआई एवं सेवा क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) में आर्थिक वृद्धि 7.0 से 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी के कारण पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि कम रही है, उन्होंने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा, ‘जीडीपी की गिरावट में नोटबंदी का कोई हाथ नहीं हो सकता.’ उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी केवल छह सप्ताह के लिये आठ नवंबर से 30 दिसंबर तक थी. उसमें भी करेंसी मौजूद थी. जनवरी के पहले सप्ताह से नये नोटों को चलन में लाने का काम शुरू हो गया. वह छह सप्ताह का समय था जब करेंसी की कमी थी. इसीलिए यह कहना कि नोटबंदी से अप्रैल-जून के दौरान आर्थिक वृद्धि में गिरावट आयी बिल्कुल गलत है..’

कुमार ने कहा, ‘मौद्रिक सिद्धांत को लेकर कुछ अर्थशास्त्रियों ने इस आधार पर अनुमान लगाया था कि मुद्रा में 10 या 14 प्रतिशत कमी से आर्थिक वृद्धि में इतनी कमी आयेगी. यह व्यर्थ था.’ उन्होंने इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी से आर्थिक वृद्धि में करीब दो प्रतिशत कमी आयेगी. कुमार ने कहा कि तिमाही आंकडे का इस प्रकार के निष्कर्ष के लिये उपयोग नहीं किया जा सकता. वास्तव में जीडीपी वृद्धि में कमी का कारण जीएसटी लागू होने से पहले कंपनियों द्वारा उस दौरान बचे हुए मॉल को छूट देकर निकालना (डिस्टाकिंग) तथा विनिर्माण क्षेत्र का तुलनात्मक आधार पर कमजोर प्रदर्शन है.

उल्लेखनीय है कि सालाना आधार पर विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि तेजी से घटकर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 1.2 रह गयी. एक साल पहले इसी तिमाही में यह 10.7 प्रतिशत थी. आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मैं अभी नीति आयोग में नया हूं लेकिन मेरे हिसाब से जब नीति आयोग नीति पर काम करता है तो उसे आर्थिक वृद्धि के बारे में अनुमान के बारे में भी सोचना चाहिये. आखिर हम अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक के अनुमान का हवाला देते ही हैं.’

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