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मोदी सरकार के दावों की पोल खोल रही गांवों में बिजलीकरण की हकीकत, नीति आयोग ने ही लगाया सवालिया निशान

नयी दिल्लीः केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल भले ही देश के 13,516 गांवों में बिजलीकरण का काम पूरा करने का दावा करते हों, लेकिन उनके इन दावों की पोल नीति आयोग की रिपोर्ट ही खोल रही है. नीति आयोग ने देश के गांवों में किये गये बिजलीकरण को लेकर जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें […]

नयी दिल्लीः केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल भले ही देश के 13,516 गांवों में बिजलीकरण का काम पूरा करने का दावा करते हों, लेकिन उनके इन दावों की पोल नीति आयोग की रिपोर्ट ही खोल रही है. नीति आयोग ने देश के गांवों में किये गये बिजलीकरण को लेकर जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि सरकार जिन गांवों में बिजलीकरण का काम पूरा कर लिये जाने का दावा करती है, उनमें से ज्यादातर गांवों के लोग अब भी लालटेन युग वाली रात बिता रहे हैं. उसने अपनी रिपोर्ट में साफ तरीके से इस बात का जिक्र किया है कि कर्इ गांवों के लोगों को सरकार के इस अभियान का लाभ नहीं मिला है. इसका मतलब साफ है कि सरकार ने गांवों में बिजलीकरण के मामले में केवल कागजी घोड़ा दौड़ाने का काम किया है.

इस खबर को भी पढ़ेंः ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए आरइसी देगा ऋण

देश की नीति नियामक संस्था नीति आयोग की राष्ट्रीय उर्जा नीति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के बिजली करण के दावों की पोल खोलकर रख दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के ग्रामीण विद्युतीकरण अभियान से लाभान्वित होनेवाले कई गांवों के काफी घरों में अब भी अंधेरा है. उन्हें इसका फायदा ‘नहीं’ हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, कई गांवों का विद्युतीकरण हो चुका है, पर इनमें काफी परिवार बिजली से वंचित हैं. उनके लिए स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

गांवों की स्थिति में नहीं आया कोर्इ बदलाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययनों से यह सामने आया है कि पूर्व में कनेक्शन देने की योजनाओं और अब दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाइ) के बावजूद स्थिति में विशेष बदलाव नहीं आया है. बिजली पहुंच की स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ है. बिजली मंत्रालय को आड़े हाथ लेते हुए आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया में प्रमुख चुनौती यह है कि सिर्फ गांवों को लक्ष्य किया जा रहा है, घरों या परिवारों को नहीं. कई ऐसे राज्य हैं जहां विद्युतीकरण की दर ऊंची है, लेकिन परिवारों को बिजली नहीं मिल पा रही है.

नीति आयोग की रिपोर्ट महत्वपूर्ण

नीति आयोग की यह रिपोर्ट इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है, वह सीधे अपने अध्यक्ष प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है. नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया हैं. सरकार के नीति निर्धारण में नीति आयोग के विचारों को शामिल किया जाता है. मसौदे पर टिप्पणी की तारीख 24 जुलाई कर दी है.

पीएम मोदी ने 1000 दिन का किया है वायदा

प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को लालकिला से अपने संबोधन में कहा था कि अगले एक हजार दिन में बिजली सुविधाओं से वंचित 18,452 गांवों में बिजली पहुंचा दी जायेगी. इसके लिए एक मई, 2018 की डेडलाइन तय की गयी है.

पीयूष गोयल ने 13516 गांवों में पहुंचाने का किया है दावा

बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने मई में कहा था कि इन 18,452 गांवों में से 13,516 में बिजली पहुंचा दी गयी है. 944 गांवों में आबादी नहीं है जबकि बाकी बचे 3,992 गांवों का एक मई, 2018 तक विद्युतीकरण कर दिया जायेगा. इस दिशा में काम चल रहा है.

देश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता में अभी देरी

नीति आयोग ने राष्ट्रीय ऊर्जा नीति (एनइपी) के अपने मसौदे में कहा है कि अभी भी 30.4 करोड़ नागरिक बिजली की सुविधा से वंचित हैं. 50 करोड़ लोग खाना पकाने के लिए जैव ईंधन पर निर्भर हैं. उन्हें अभी तक एलपीजी नहीं मिली है. देश को अभी ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के लिए काफी इंतजार करना होगा. सच्चाई सरकारी दावों से एकदम अलग है.

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