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सुब्रतो चौधरी आत्महत्या मामला: संजय लाला-‘तुम्हारा पति कहां है?’ झूमा चौधरी-‘वे मर गये’ संजय-‘कोई बात नहीं, पैसे तो ऊपर जाने के बाद भी वसूल लेंगे’

झरिया संजय श्रीवास्तव उर्फ संजय लाला-‘तुम्हारा पति कहां है?’ झूमा चौधरी-‘वे मर गये, ऊपर चल गये.’ संजय लाला-‘कोई बात नहीं, पैसे तो ऊपर जाने के बाद भी वसूल लेंगे.’ रोंगटे खड़ी कर देनेवाली संजय लाला की यह बात झूमा चौधरी के कानों में अब भी गूंज रही हैं. झरिया शहर के अमलापाड़ा निवासी व राजगंज […]

झरिया
संजय श्रीवास्तव उर्फ संजय लाला-‘तुम्हारा पति कहां है?’
झूमा चौधरी-‘वे मर गये, ऊपर
चल गये.’
संजय लाला-‘कोई बात नहीं, पैसे तो ऊपर जाने के बाद भी वसूल लेंगे.’
रोंगटे खड़ी कर देनेवाली संजय लाला की यह बात झूमा चौधरी के कानों में अब भी गूंज रही हैं. झरिया शहर के अमलापाड़ा निवासी व राजगंज के नेताजी फिलिंग स्टेशन पेट्रोल पंप के संचालक सुब्रतो चौधरी द्वारा आत्महत्या करने के बाद उनकी पत्नी झूमा की पूरी दुनिया ही उजड़ गयी है. अंदर तक टूट चुकी झूमा पर अचानक दो बच्चों की परवरिश और वृद्ध ससुर (सुब्रतो चौधरी के पिता) की देखभाल की जिम्मेदारी आ गयी है. इन जिम्मेदारियों का सामना करने से पहले झूमा की कोशिश पति के सामने आत्महत्या करने के गंभीर हालात पैदा करनेवाले संजय लाला समेत अन्य को सजा दिलाना है. मामले में पुलिस की भूमिका से आहत झूमा ने रविवार को झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र भेज कर न्याय की गुहार लगायी. झूमा ने पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, गृह सचिव, आरक्षी महानिरीक्षक, आरक्षी उप महानिरीक्षक बोकारो प्रक्षेत्र और धनबाद के एसएसपी को भी दी है.
प्रताड़ना से तंग आकर की आत्महत्या : डीजीपी को भेजे गये पत्र में झूमा ने कहा है कि संजय श्रीवास्तव उर्फ संजय लाला, शंभू प्रसाद अग्रवाल, राजेश कुमार दुबे, विंदेश्वर सिंह तथा राकेश कुमार की प्रताड़ना से तंग कर उसके पति ने आत्महत्या कर ली. पेट्रोल पंप में पार्टनर शंभु अग्रवाल व राजेश कुमार दुबे ने एक साजिश के तहत पेट्रोल पंप के 30-35 लाख रुपये गबन कर लिये. जब भी उसके पति इन साझेदारों से हिसाब की मांग करते थे, वे लोग मारपीट पर उतारू हो जाते थे. उनसे तंग आकर पति ने संजय लाला से 14 लाख रुपये ब्याज पर लिये. इस राशि को कई किस्तों में ब्याज समेत 16 लाख रुपये चुका दिये थे. बावजूद सूदखोर संजय लाला जबरन सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की बरटांड़ शाखा का 10 से 12 चेक ले लिया. इसके बाद 10 लाख का चेक बाउंस करवा कर नोटिस भेज दिया.
सूद के लिए धमकी देता रहा संजय लाला : पत्र में झूमा ने कहा है कि 14 लाख रुपये का कर्ज चुकाने और दो लाख रुपये ज्यादा देने के बाद भी संजय लाला और सूद की मांग करता रहा. संजय लाला उसके पति को बराबर फोन पर धमकी देने लगा कि सूद के और रुपये नहीं देने पर पत्नी व बच्चों को अगवा करवा लेगा. संजय लाला अपने गुर्गे राकेश कुमार के साथ घर पर आकर गाली-गलौज भी करने लगा. इससे उसके पति गंभीर रूप से तनाव में रहने लगे. उनकी तबीयत दिनों-दिन बिगड़ने लगी. संजय लाला और लीज पर पेट्रोल पंप देने वाले विंदेश्वर सिंह आपस में मिले हुए थे. विंदेश्वर सिंह ने साजिश के तहत पेट्रोल पंप चलाने के लिए संजय लाला से पैसे दिलवाये थे. सूद में प्राप्त राशि दोनों आपस में बांट लेते थे. सूद का पैसा देने में एक दिन की भी देरी होती, तो दोनों घर पर आकर पैसे देने का दबाव बनाते थे. नहीं देने पर जान मारने की धमकी देते थे.
और अंतत: पति ने की आत्महत्या
पत्र में झूमा ने कहा है कि 15 सितंबर, 2017 को एक ओर संजय लाला व विंदेश्वर सिंह की धमकी, तो दूसरी ओर साझेदारों के धोखे ने उसके पति को तोड़ दिया. 15 सितंबर, 2017 को उसके बीमार पति को देखने दोनों साझेदार शंभु अग्रवाल व राजेश कुमार उसके घर आये थे. उसके पति ने दोनों से हिसाब मांगा. पति ने कहा कि आप लोगों (शंभु अग्रवाल व राजेश कुमार) के कारण ही आज मेरी यह हालत हुई है. इतना सुनते ही शंभु व राजेश उसके पति पर गुस्सा हो गये और बोले कि रुपये भूल जाओ, कोई हिसाब मिलने वाला नहीं है. फिर 17 सितंबर, 2017 को राकेश कुमार 4-5 लोगों के साथ उसके घर आये और पति को आवाज देकर नीचे बुलाया. बोला कि संजय लाला व विंदेश्वर सिंह फोन पर बात करना चाहते हैं. राकेश कुमार ने मोबाइल से किसी नंबर पर बात कराया. पति ने मुझे बताया कि संजय लाला आज ही 10 लाख देने की मांग कर रहा है. नहीं देने पर पत्नी-बच्चों को उठा लेने की धमकी दे रहा है. नीचे से ऊपर आने के बाद उसके पति काफी तनाव में थे. मैंने धैर्य रखने को कहा, लेकिन अंतत: पति का धैर्य टूट गया और उन्होंने आत्महत्या कर ली. पति द्वारा आत्महत्या के बाद उस दिन रात आठ बजे तक लगातार संजय लाला का फोन आता रहा. जब मैंने फोन उठाया तो संजय ने पूछा कि तुम्हारा पति कहां है? जब हमने कहा कि आप लोगों से तंग आकर वे ऊपर चले गये. यह सुनकर संजय ने कहा कोई बात नहीं, पैसा तो ऊपर से भी वसूल लेंगे. झूमा ने बताया कि घटना के दिन संजय लाला ने मेरे पति के मोबाइल पर 28 बार फोन किया था. घटना से पूर्व पति ने कुछ कॉल रिसीव भी किया था. सुब्रतो के मोबाइल में संजय लाला का नंबर एसएल नाम से सेव था.
सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग जांच से आरोपियों को बचाने का प्रयास
सुब्रतो चौधरी आत्महत्या मामले में पुलिस ने झरिया थाना में कांड संख्या-212/17 पर भादंवि की धारा 306, 34 के तहत मामला दर्ज किया है. मृतक सुब्रतो चौधरी के परिजन और मुहल्ले के लोगों का आरोप है कि पुलिस सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग जांच कराने की बात कह कर आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही है. संजय लाला ने अपनी पहुंच व पैरवी के बल पर एक नयी साजिश रची है. सवाल किया है कि क्या पुलिस सभी सुसाइड नोट की हैंडराइिटंग जांच करवाती है? पुलिस घटना के आठ दिन बाद भी आरोपियों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की, जो आश्चर्य की बात है. उन्होंने वरीय पुलिस अधिकारियों से मामले में निष्पक्ष जांच करने की मांग की. इधर, जानकारी मिली है कि संजय लाला नियमित रूप से धनबाद कोर्ट मोड़ में दिख रहा है. एसएसपी और सिटी एसपी ऑफिस के चक्कर काट रहा है. विभिन्न माध्यमों से पैरवी करवा रहा है.
मां दुर्गा कभी माफ नहीं करेगी
पूरी फिजां में जहां दुर्गापूजा को लेकर उल्लास व उत्साह का माहौल है, सुब्रतो चौधरी के घर में मातम पसरा हुआ है. मुहल्ले में भी अजीब किस्म की उदासी छायी हुई है. मृतक की पत्नी झूमा चौधरी, पुत्र जिशानु (14), शान (10) और मृतक के पिता मलय चौधरी (65) बदहवास पड़े हैं. घर पर पहुंचने वाले रिश्तेदारों, मुहल्ले के लोगों व शुभचिंतकों की आंखें सुब्रतो चौधरी के परिवार को देखकर नम हो जा रही हैं. पुत्र जिशानु रो-रो कर कहता है-‘मेरे पापा की जान सूदखोर संजय लाला की प्रताड़ना से गयी है. मां दुर्गा उसे कभी माफ नहीं करेंगी. मेरे पापा ने किसी का क्या बिगाड़ा था? भगवान ने क्यों मेरे पापा को मुझसे छीन लिया?’
पिता की हालत बिगड़ी : जवान बेटे की मौत देख चुके सुब्रतो चौधरी के पिता मलय चौधरी (65) की हालत बिगड़ गयी है. वह बिस्तर पर पड़े हैं. हर आने-जाने वाले को सिर्फ आंसू भरी नेत्रों से देखते रहते हैं. कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं. उनके चेहरे का यह भाव साफ बताता है, जैसे कह रहे हों-‘काश! ईश्वर ने बेटे की जगह उन्हें उठा लिया होता.’
गुस्से में हैं मुहल्ले के लोग
पास-पड़ोस की महिलाएं सुब्रतो चौधरी के परिजनों को ढाढ़स बंधाने के प्रयास में लगी हैं. पड़ोसी सुब्रतो चौधरी की मौत का जिम्मेदार उसके पार्टनरों और सूदखोर संजय लाला को ठहरा रहे हैं. पड़ोसियों ने कहा कि सुब्रतो चौधरी काफी शांत मिजाज इंसान थे. वह ऐसा कभी नहीं कर सकते थे. शुरू से संघर्ष कर परिवार का भरण पोषण किया. पार्टनरों की प्रताड़ना और पैसे के लेन-देन का दबाव बनाने के कारण ही उसने ऐसा कदम उठाया. पार्टनरों के कारनामे के कारण उसके पास पैसे का भी अभाव हो गया था.
दशेर मेला दुर्गा मंदिर में रहेगा सन्नाटा : बंगाली समुदाय द्वारा अमलापाड़ा स्थित दशेर मेला दुर्गा मंदिर में मनायी जाने वाली दुर्गा पूजा इस वर्ष फीकी रहेगी. बंगाली समुदाय के लोगों का कहना है कि मुहल्ला में इतनी बड़ी दुखद घटना हुई है, इसके चलते पूजा से लोगों का ध्यान हट गया है. इस वर्ष मंदिर की सजावट आदि में भी कटौती का निर्णय लिया गया है. मंदिर में बंगाली परिवार लंबे समय से धूमधाम से मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं.
पैसे के अभाव में पिता का इलाज नहीं करा सके सुब्रतो
झूमा चौधरी ने बताया कि मेरे ससुर मलय चौधरी हार्ट के मरीज हैं. डॉक्टरों ने उनकी बाइपास सर्जरी कराने की सलाह दी थी, लेकिन मेरे पति पार्टनर व सूदखोर संजय लाला के जाल में इस कदर फंस चुके थे कि घर में पैसे का अभाव हो गया. सूदखोर का पैसा वापस करने के चक्कर में मेरे पति अपने पिता का इलाज नहीं करा सके.
झूमा को सता रही बच्चों की चिंता
मृतक की पत्नी झूमा चौधरी को अपने बच्चों की चिंता सता रही है. उनका कहना है कि संजय लाला व पति के पार्टनरों को उनके परिवार के बारे में सारी जानकारी है. संजय ने मेरे पति को धमकी भी दी थी कि पैसा नहीं देने पर तुम्हारी पत्नी व बेटों को उठा लेंगे. मेरे बच्चे स्कूल जाते हैं. बच्चे किस स्कूल में पढ़ते हैं, उनका स्कूल आने-जाने का क्या समय है? सब कुछ उनको मालूम है. पता नहीं, अब मेरे बच्चों व परिजनों की सुरक्षा का क्या होगा? मेरा व मेरे बच्चों का भविष्य अंधकार में चला गया. झूमा का मायका भभूरिया, पुरूलिया (प़ बंगाल) में है.
संजय लाला में मानवता नहीं : झूमा चौधरी ने कहा कि संजय लाला में मानवता नहीं है. कुछ माह पूर्व मेरे पति की तबीयत काफी बिगड़ गयी थी. उन्हें धनबाद स्थित पाटलिपुत्र नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था. उस समय भी पैसे की मांग को लेकर संजय लाला व उसका भगीना विकास पाटलिपुत्र नर्सिंग होम पहुंच गये थे. दोनों जबरन मेरे पति को पाटलिपुत्र नर्सिंग होम से अस्वस्थ हालत में उठाकर अपने साथ कहीं ले गये थे. करीब चार घंटे बाद उन्हें अस्पताल वापस पहुंचाया था. इसको लेकर चिकित्सकों ने नाराजगी जतायी थी. जब वे लोग वापस अस्पताल लाये तो सुब्रतो काफी डरे हुए थे.

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