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कावेरी विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 3 दिन के अंदर कर्नाटक छोड़ें 6000 क्यूसेक पानी

नयी दिल्ली / बेंगलुरू : सुप्रीम कोर्ट ने आज कावेरी विवाद को लेकर अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कर्नाटक तीन दिन के अंदर 6000 क्यूसेक पानी छोड़ें. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार यानी 30 सितंबर को होगी. ज्ञात हो कि कावेरी की पानी को लेकर दोनों राज्यों में […]

नयी दिल्ली / बेंगलुरू : सुप्रीम कोर्ट ने आज कावेरी विवाद को लेकर अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कर्नाटक तीन दिन के अंदर 6000 क्यूसेक पानी छोड़ें. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार यानी 30 सितंबर को होगी. ज्ञात हो कि कावेरी की पानी को लेकर दोनों राज्यों में लंबे समय से विवाद चल रहा है. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बेंगलुरू में हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसक प्रदर्शन में एक की मौत हो गयी थी वहीं 50 से ज्यादा बसों को जला दिया गया था.उधर फैसले के बाद कावेरी हितरक्षणा समिति के अध्यक्ष जीएम गौड़ा ने कहा, ‘ कावेरी का जल तमिलनाडु के पास होना प्रतिष्ठा का विषय है इसलिए तमिलनाडु इसे चाहता है’.

कर्नाटक के कांग्रेस सांसदों ने की प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
आज भी मंडया जिले में कावेरी जल विवाद को लेकर प्रदर्शन हुआ है.कर्नाटक के कांग्रेस सांसदों ने की प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांगकर्नाटक के कांग्रेस सांसदों ने आज कावेरी मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की और उनसे आग्रह किया कि वह सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएं.लोकसभा और राज्यसभा से ताल्लुक रखने वाले लगभग 11 कांग्रेस सांसदों ने कावेरी विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ संसद परिसर में आज गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया. शीर्ष अदालत ने 20 सितंबर को कर्नाटक को निर्देश दिया था कि वह तमिलनाडु को प्रतिदिन 6,000 क्यूसेक पानी जारी करे. इसने कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन करने का भी सुझाव दिया था.
बेंगलूर ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद डीके सुरेश ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने के बाद कहा, ‘‘हमने मोदी जी से मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने तथा मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने तथा कावेरी जल विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने का निर्देश देने का आग्रह किया है.’ उन्होंने बताया कि कांग्रेस सांसदों ने यह भी मांग की कि कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच पानी बंटवारे के मुद्दे के समाधान के लिए कावेरी प्रबंधन बोर्ड स्थापित नहीं किया जाना चाहिए.
सुरेश ने कहा कि तमिलनाडु को पानी जारी करना कर्नाटक के लिए संभव नहीं होगा क्योंकि पिछले दो वर्षों से भीषण सूखे के कारण इसके जलाशयों में पानी नहीं है.उन्होंने कहा कि कर्नाटक के पास पेयजल की मांग को पूरा करने के लिए भी मुश्किल से ही पानी है.सांसदों ने शिकायत की कि प्रधानमंत्री ने उनकी चिंताओं को सुनने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया

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