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ऑपरेशन ड्रग माफिया का गठन, नकली दवाओं पर रहेगी खुफिया नजर

पटना : पटना सहित पूरे बिहार में नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए औषधि विभाग ऑपरेशन ड्रग माफिया चलायेगा. इसके लिए एक टीम बनायी गयी है, जिसमें औषधि विभाग के आठ ड्रग इंस्पेक्टर होंगे. इंस्पेक्टर सच्चितानंद के नेतृत्व में गठित आठ सदस्यीय टीम नकली व अवैध दवा विक्रेताओं पर नजर रखेंगे. इनकी खुफिया नजर […]

पटना : पटना सहित पूरे बिहार में नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए औषधि विभाग ऑपरेशन ड्रग माफिया चलायेगा. इसके लिए एक टीम बनायी गयी है, जिसमें औषधि विभाग के आठ ड्रग इंस्पेक्टर होंगे. इंस्पेक्टर सच्चितानंद के नेतृत्व में गठित आठ सदस्यीय टीम नकली व अवैध दवा विक्रेताओं पर नजर रखेंगे. इनकी खुफिया नजर दवाओं के गोरख धंधे व इनसे जुड़े लोगों पर रहेगी. स्वास्थ्य विभाग स्तर पर गठित टीम में सच्चितानंद विक्रांत, राजेश सिन्हा, राजेश गुप्ता, अशोक आर्या, कैमूदीन अंसारी, देवेंद्र कुमार राव, राजीव राज, संजय पासवान शामिल किये गये हैं.
नेपाल से खरीदते थे एक्सपायर दवाएं
तीन दिनों तक चली छापेमारी व बरामद अवैध दवाओं में ड्रग विभाग ने कई तरह के खुलासे किये हैं. पकड़ी गयी दवाओं में कई ऐसी दवाएं हैं, जो नेपाल की हैं. ये सभी दवाएं एक्सपायर हैं, विभाग को संदेह हुआ है कि आरोपित रमेश पाठक व बिट्टू नेपाल के सीएनफ से एक्सपायरी दवाएं सस्ते दाम पर में खरीदते थे और पटना सहित पूरे बिहार में महंगे दाम पर बेचते थे. इतना ही नहीं, उन दवाओं को नया करने के लिए कानपुर से रैपर की छपाई कर उन एक्सपायरी दवाओं पर लगायी जाती थी और संबंधित दुकानों में सप्लाइ करते थे.
पटना. नकली व एक्सपायरी दवाओं के मामले में रमेश पाठक को पांच थाने की पुलिस खोज रही है. इसके लिए एक विशेष टीम गठित की गयी है. सूत्रों का कहना है कि रमेश पाठक छापेमारी के पूर्व ही कोलकाता भाग गया है. पुलिस को अनुसंधान में यह जानकारी हाथ लगी है और एक विशेष टीम कोलकाता निकल चुकी है. रमेश पाठक ही नकली व एक्सपायरी दवाओं के खेल का मास्टरमाइंड है और इसके तार यूपी, महाराष्ट्र, दिल्ली, आसाम, पशिचम बंगाल के दवा माफियाओं से जुड़े हुए है.
खरीदते थे 50 रुपये किलो, बनाते थे हजारों
अब तक मिली जानकारी के अनुसार रमेश पाठक एक्सपायरी दवाओं के स्ट्रिप पर दी गयी जानकारी को मिटा कर उसमें नया एक्सपायरी डेट व मैन्यूफैक्चरिंग डेट डालने के बाद उसकी सप्लाई कूरियर के माध्यम से इन राज्यों के दवा माफियाओं को कर देता था. उक्त राज्यों के गिरोहों द्वारा एक्सपायरी दवाएं भी दी जाती थीं.
इसका कायाकल्प करने की जिम्मेवारी रमेश पाठक को ही थी. रमेश पाठक के तार बिहार के हर जिले में भी थी, जो उसकी बनायी गयी दवा को ले जाते थे और ग्रामीण इलाकों में आसानी से बिक्री कर देते थे. इसमें एमआर, मेडिकल दुकानदार, दवा बनाने की कंपनी के कर्मियों की मिलीभगत की पूरी आशंका है. ये लोग ही रमेश पाठक को रद्दी के भाव में दवाइयां उपलब्ध कराते थे. अभी तक जानकारी मिली है उसके अनुसार रमेश पाठक या कबाड़ी दुकानदार बिट्टु कुमार मात्र पचास रुपये में एक किलो दवाइयां खरीद लेते थे और उस एक किलो दवा की हजारों रुपये आसानी से बना लेते थे. जिन्हें इस गोरखधंधे की जानकारी नहीं होती थी, उन्हें उल्टा पुल्टा समझा कर माल ले लिया जाता था.
रमेश पाठक के घर की कुर्की-जब्ती करेगी पुलिस
सरगना रमेश पाठक अगर नहीं पकड़ा गया तो फिर उसके घर की कुर्की-जब्ती के लिए पटना पुलिस द्वारा आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जायेगी. उसकी गिरफ्तारी वारंट से लेकर कुर्की-जब्ती तक का आदेश लिया जायेगा. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि रमेश पाठक को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन कर दिया गया है और उसकी संपत्ति की कुर्की-जब्ती के लिए कार्रवाई की जायेगी.

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