मुस्लिम मुल्कों के झंडे में चांद-सितारा कहां से आए? क्या इस्लाम से इनका कोई ताल्लुक है?
Why Islamic Flag Has Crescent Moon and Stars: पाकिस्तान, मलेशिया और सिंगापुर जैसे मुस्लिम देशों के झंडों में दिखने वाले आधे चांद और सितारे का इस्लाम से क्या सच में कोई धार्मिक संबंध है फिर इसकी जड़े इतिहास में छिपी है? ऐसे में आइए जानते हैं इस्लाम में चांद और तारों को झंडों पर इस्तेमाल करने की शुरूआत कहां से हुई. इस पूरी कहानी को समझने के लिए हमें सदियों पूरानी सभ्यता और ऐतीहासिक घटनाओं की गहराई में जाना होगा.
Why Islamic Flag Has Crescent Moon and Stars: आपने अक्सर ये गौर किया होगा कि इस्लाम देशों के झंडे में चांद और सितारे होते हैं. कई लोगों का मानना है कि यह मुस्लमानों की पहचान है और लगभग दुनिया के ज्यादातर इस्लाम देश के झंडों में यह जरूर देखने को मिलता है. ऐसे में क्या हरे रंग के साथ ही चांद और सितारों का भी ताल्लुक इस्लाम से है? क्या विश्व के सभी मुस्लिम देश के झंडे में एक जैसे प्रतीक ही होते हैं? ऐसे में आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से और इसके पीछे की असली वजह.
चांद और सितारे का प्रतीक कैसे आया?
इस्लाम धर्म का सीधे तौर पर चांद और सितारे के इस प्रतीक से कोई संबंध नहीं है बल्कि इसके लिए हमें कुछ ऐतिसाहिसक घटनाओं के बारे में जानना और समझना होगा.एक पोस्ट के अनुसार इस्लाम धर्म का सीधे तौर पर चांद और तारों से कोई ताल्लुक नहीं है बल्कि यह ऑटोमन (उस्मानी) साम्राज्य से लिया गया है. ऑटोमन साम्राज्य ने ही पहली बार अपने झंडे में तारे और आधे चांद का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही यहां के लोग चांद और तारे की पूजा करते थे जिसकी वजह से बाद में उनके सिक्कों पर भी चांद और तारों की आकृतियां उकेरी गई थी.
ऑटोमन साम्राज्य के बाद ग्रीक (यूनानी लोगों) ने इसे अपनाया और फिर बीजैन्टाइन ने भी बाद में इसे ऑटोमन साम्राज्य के झंडे में भी इस्तेमाल किया जाने लगा. मूल रूप से इस्लाम धर्म में आधे चांद और सितारा का कोई धार्मिक मतलब नहीं है बल्कि इसे ऑटोमन साम्राज्य से लिया गया है.
पाकिस्तान और तुर्की जैसे मुल्कों के झंडे पर मौजूद चांद और सितारे को दुनिया भर में इस्लाम और इस्लामी सभ्यता से जोड़कर देखा जाता है. ज्यादातर लोगों का ये मानना है कि यह इस्लाम में इसे किसी पवित्र चीज से जोड़ा जाता है. बल्कि असल में सच्चाई बिल्कुल विपरीत है जहां चांद सितारे के प्रतीक का इस्लाम धर्म से कोई सीधा संबंध नहीं है.
इस्लाम से बहुत पहले इसकी शुरूआत हुई (Crescent Moon Meaning In Islam)
चांद और सितारे का प्रतीक इस्लाम की शुरूआत से बहुत पहले हुआ था. प्राचीन मेसोपोटामिया, मिस्र और कई दूसरी सभ्यताओं में चांद को अक्सर देवताओं और खगोलीय शक्तियों से जोड़ा जाता था. इस सभ्यता के अनुसार चांद और सितारे जब एक साथ आते थे तो वह देवी आईसिस और चंद्र देव खोंसू का प्रतीक माने जाते थे.
मेसोपोटामिया से संबंध
इसी तरह से मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में चंद्र देवता सिन की पूजा की जाती थी और चांद को प्रतीक विभिन्न संसकृतियों में महत्वपूर्ण था. सितारों को नेविगेशन और समय मापने के लिए भी उपयोग किया जाता था, जो प्राचीन समाजों में खगोलीय प्रतीक को महत्वपूर्ण बनाता था.यह प्रतीक बाइजेंटाइन साम्राज्य से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है. कॉन्सटेंटिनोपल (इस्तांबुल) शहर इस चिन्ह का मुख्य प्रतीक था. बाद में यह तुर्क साम्राज्य का भी हिस्सा बन गया. इस प्रतीक को तुर्क साम्राज्य (ऑटोमन साम्राज्य) ने इस्तेमाल किया. उस्मानी साम्राज्य के दौरान चांद सितारा तुर्की पहचान का हिस्सा बन गया और धीरे-धीरे उनके झंडों पर भी दिखाई देने लगा.
इसे इस्लाम से क्यों जोड़ा गया? (Islamic Flag With Crescent Moon And Stars)
उस्मानी साम्राज्य का दुनिया भर में तेज प्रभाव था, जिस समय में खलीफा आंदोलन अपने चरम पर था तभी लोगों ने उनके इस प्रतीक को अपनाना शुरू किया और धीरे धीरे इसे इस्लाम से जोड़ा जाने लगा. चांद और सितारे का प्रतीक इस्लाम के उदय से बहुत पहले का है. प्राचीन मेसोपोटामिया, मिस्र और अन्य सभ्यताओं में चांद का प्रतीक अलग-अलग संस्कृतियों में बहुत जरूरी था. मान्यताओं के अनुसार, कॉन्स्टेंटिनोपल के संस्थापक सम्राट कॉन्स्टेंटाइन ने चांद और सितारे को शहर के प्रतीक के रूप में अपनाया था.
इस्लाम धर्म से कोई सीधा संबंध नहीं है (Islamic Nations Flag)
दुनिया के कई ऐसे मुस्लिम देश है जहां के झंडे में चांद और सितारे हैं जैसे कि पाकिस्तान, तुर्की, अल्जीरिया, अजरबैजान, मलेशइया, मॉरटेनिया, लीबिया, सिंगापुर और उज्बेकिस्तान हैं. हालांकि कई ऐसे मुस्लिम बहुल देश हैं जहां के झंडे में चांद और तारे नहीं होते है जिससे की यह साफ पता चलता है कि इस प्रतीक का इस्लाम धर्म से कोई सीधा संबंध नहीं है. इनमें से सऊदी, अरब, ईरान, इंडोनेशिया, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कैवेत, ओमान और कतर जैसे देशों के झंडे में इस्लाम धर्म के अलग-अलग प्रतीक बनाए गए हैं.
ऑटोमन साम्राज्य की बड़ी भूमिका रही
चांद और सितारे के प्रतीक को लोकप्रिय बनाने में ऑटोमन (उस्मानी) साम्राज्य की बड़ी भूमिका रही है. ऑटोमन साम्राज्य (1299–1922) ने अपने झंडे पर हिलाल (आधा चांद) और सितारे का इस्तेमाल किया. यह प्रतीक उनसे पहले भी बीजैन्टाइन साम्राज्य में मौजूद था, लेकिन ऑटोमन शासकों ने इसे अपनाकर पूरे इस्लामी विश्व में पहचान दिलाई. क्योंकि उस समय ऑटोमन साम्राज्य का विश्व भर में दबदबा था इसलिए धीरे-धीरे इसे इस्लाम से जोड़ दिया गया.
खिलाफत आंदोलन से संबंध (Khilafat Movement)
बाद में भारत में 1919 में खिलाफत आंदोलन की शुरूआत हुई थी जहां तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य को बचाने के लिए भारतीय मुस्लमानों ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाने के लिए उनके खिलाफ आंदोलन किया था. 1906 में ही भारत में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई थी और बाद में मुस्लिम लीग की मांग पर ही भारत से अलग पाकिस्तान बनाया गया था. यही वजह है कि आज पाकिस्तान के झंडे में आधा चांद और सितारा है.
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