ट्रंप क्यों चाहते हैं चीन के हवाई जहाज रूस के ऊपर से न उड़ें? अमेरिका के नए ऑर्डर के पीछे क्या है कारण?
Donald Trump on Chinese Airlines flying over Russia on US routes: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध अब एक नए मुकाम पर पहुंच चुका है. डोनाल्ड ट्रंप नए फरमान के तहत चाहते हैं कि चीनी एयरलाइन अमेरिका में आते समय रूस के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल न करे. आखिर ट्रंप ऐसा क्यो चाहते हैं?
Donald Trump on Chinese Airlines flying over Russia on US routes: अमेरिका चीन से हर मोर्च पर लड़ाई कर रहा है. टैरिफ, सैंक्शन, रेयर अर्थ मैटेरियल के बाद अब बात एयरलाइन के रूट पर आ गई है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को चीनी एयरलाइनों को रूस के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने से रोकने का प्रस्ताव रखा. हर बार की तरह चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. बीजिंग ने कहा कि इस तरह के कदम अंतरराष्ट्रीय यात्रा और लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान को नुकसान पहुंचाएंगे. लेकिन वॉशिंगटन ने चीनी एयरलाइनों को रूस के हवाई क्षेत्र से होकर अमेरिका आने-जाने से क्यों रोक लगाई है?
अमेरिका का तर्क है कि रूस के ऊपर से उड़ने की अनुमति मिलने से चीनी एयरलाइनों को अनुचित लाभ मिलता है, क्योंकि अमेरिकी एयरलाइनों को रूस से बचते हुए लंबा और महंगा रास्ता अपनाना पड़ता है. अमेरिकी परिवहन विभाग ने यह सुझाव तब दिया जब कई अमेरिकी एयरलाइनों ने इस मुद्दे को उठाया. अमेरिकी एयरलाइंस ने कहा कि उन्हें रूस के हवाई क्षेत्र से बैन होने के कारण लंबा मार्ग तय करना पड़ता है, जबकि चीनी एयरलाइंस अभी भी रूस के ऊपर से होकर छोटे रास्ते से उड़ान भरती हैं, जिससे वे तेज और सस्ती सेवाएं दे पा रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रशासन ने चीन को दो दिन का समय जवाब देने के लिए दिया है और संकेत दिया है कि अंतिम आदेश नवंबर से लागू किया जा सकता है.
यह रास्ता पड़ता है छोटा
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के जवाब में रूस ने अमेरिकी और कई यूरोपीय एयरलाइनों को अपने हवाई क्षेत्र से उड़ान भरने पर रोक लगा दी थी. रूस का हवाई मार्ग अब भी एशिया, यूरोप और उत्तर अमेरिका के बीच का सबसे छोटा रास्ता माना जाता है, जो कम ईंधन खपत और परिचालन लागत प्रदान करता है.
चीन ने अमेरिका को लताड़ा
अमेरिकी प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “चीनी एयरलाइनें जब अमेरिका आती-जाती हैं, तो उनको रूस के ऊपर से उड़ान भरने से रोकने से यात्रा और लोगों के बीच आदान-प्रदान में बाधा उत्पन्न करेगा.” मंत्रालय ने ट्रंप प्रशासन को सलाह दी कि वह अपनी नीतियों और उनके अमेरिकी व्यवसायों पर प्रभाव पर गंभीरता से विचार करे. चीन का इशारा अमेरिका के द्वारा अन्य देशों पर लगाए गए टैरिफ की ओर था. चीनी विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, “दूसरे देशों और दुनिया भर के यात्रियों को दंडित करने के बजाय, शायद अब समय आ गया है कि अमेरिका अपनी नीतियों और उनके अपने व्यवसायों पर असर पर गौर करे.”
अमेरिका और चीन के बीच जारी है व्यापार युद्ध
यह कदम ऐसे समय में आया है जब वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच आर्थिक मोर्चों पर तनाव बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को ही चीन ने दुर्लभ धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल्स) के निर्यात पर कड़े नियंत्रणों की घोषणा की, जो अमेरिकी उद्योगों के लिए अहम हैं. इसे अमेरिका के व्यापारिक प्रतिबंधों के जवाबी कदम के रूप में देखा जा रहा है. इस तनाव को और बढ़ाते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की, जो 1 नवंबर 2025 से लागू होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी महत्वपूर्ण सॉफ़्टवेयर पर निर्यात नियंत्रण भी उसी दिन से लागू किए जाएंगे. ट्रंप ने दावा किया कि यह निर्णय बीजिंग से आए एक अत्यंत शत्रुतापूर्ण पत्र के बाद लिया गया है, जिसमें चीन ने लगभग सभी उत्पादों पर बड़े पैमाने पर निर्यात नियंत्रण लगाने की योजना का ऐलान किया था.
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