प्रेग्नेंसी इंडिया में डिलिवरी अमेरिका में, अब और नहीं, बर्थ टूरिज्म पर सख्त हुआ US, एंबेसी ने जारी की एडवाइजरी
US Visa denial for giving birth in America: अमेरिकी दूतावास ने भारतीय लोगों के लिए एक सख्त नोट जारी किया है. इसमें उसने कहा है कि वह उन लोगों को वीजा नहीं देगा, जिनका उद्देश्य अमेरिका जाकर बच्चे को जन्म देना है और उसके माध्यम से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करना है.
US Visa denial for giving birth in America: प्रेग्नेंसी इंडिया में और डिलिवरी अमेरिका में. यह मजाक नहीं सच्चाई है. कुछ लोग भारत से अमेरिका सिर्फ इसलिए जाते थे, ताकि वे अपने बच्चे को अमेरिका में जन्म दे सकें. लेकिन अब US इस पर सख्त हुआ है. उसने बर्थ टूरिज्म पर कड़ी एडवाइजरी जारी की है. अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि वह उन आवेदकों को टूरिस्ट वीजा नहीं देगा जिनका मुख्य उद्देश्य अमेरिका जाकर बच्चे को जन्म देना और उसके माध्यम से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करना है. दूतावास ने कहा कि आवेदक के ऊपर इस मसले पर शक होने पर B-1 या B-2 टूरिस्ट वीजा आवेदन को अस्वीकार कर दिया जाएगा.
अमेरिकी दूतावास ने एक्स (ट्विटर) पर एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर की. इसमें उसने कहा, “यदि अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के अधिकारी यह मानते हैं कि आवेदक की यात्रा का मुख्य उद्देश्य बच्चे को अमेरिकी नागरिकता दिलाने के लिए अमेरिका में जन्म देना है, तो वे टूरिस्ट वीजा आवेदन को अस्वीकार कर देंगे. यह अनुमति नहीं है.” पहले देश में जन्म लेने वाले को अमेरिकी नागरिकता मिल जाती थी. इसलिए कई लोग इसका फायदा उठा रहे थे. अब अमेरिका ने इस पर सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है.
ट्रंप प्रशासन अमेरिका नागिरकता पर सख्त
यह स्पष्टिकरण मौजूदा अमेरिकी नियमों के अनुरूप है, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने पहले ही कड़ा किया था. इन नियमों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बी-1/बी-2 टूरिस्ट वीजा उन लोगों को जारी नहीं किया जाएगा जिन पर यह संदेह हो कि वे मुख्य रूप से बच्चे को जन्म देने के लिए यात्रा कर रहे हैं. जनवरी 2020 में ट्रंप प्रशासन ने एक नियम लागू किया था, जिसके अनुसार बच्चे के जन्म को एक ‘मेडिकल उद्देश्य’ माना गया और इसके लिए वैध चिकित्सीय आवश्यकता तथा अमेरिका में खर्च वहन करने की क्षमता साबित करनी जरूरी थी, न कि यह नागरिकता पाने का माध्यम बने.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2020 में जन्मसिद्ध नागरिकता (बर्थराइट सिटिजनशिप) समाप्त करने का आदेश साइन किया था. इसके तहत अमेरिका में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को स्वचालित रूप से नागरिकता मिल जाती है. इस घोषणा के पीछे उन मामलों को लेकर चिंता जताई गई थी, जिनमें कुछ यात्री 14वें संशोधन द्वारा स्थापित जन्मसिद्ध नागरिकता प्रावधान का दुरुपयोग करने की कोशिश करते थे. यह संशोधन आमतौर पर अमेरिका में जन्म लेने वाले लगभग सभी बच्चों को नागरिकता प्रदान करता है.
अमेरिकी संघीय अदालत ने लगाई रोक
वहीं अप्रैल में अमेरिकी विदेश विभाग ने यह संदेश जारी किया थी, जिसमें कहा गया था कि बच्चे के लिए नागरिकता हासिल करने के मकसद से टूरिस्ट वीजा का उपयोग करना सिस्टम का मिसयूज है. इसकी वजह अमेरिकी हेल्थ केयर सिस्टम पर बोझ पैदा होता है. हालांकि यह आदेश अभी लागू नहीं हो सका है, क्योंकि इसके खिलाफ दायर कई मुकदमों के चलते संघीय अदालतों ने प्रारंभिक रोक लगा दी है. इसके बावजूद, अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) ने जुलाई में एक कार्यान्वयन ब्लूप्रिंट जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि अदालत की अनुमति मिलने पर इस नीति को कैसे लागू किया जाएगा.
कड़ा हो रहा अमेरिकी वीजा पाना
यह नीति ट्रंप-युग में लागू की गई उन व्यापक कोशिशों का हिस्सा है, जिनका लक्ष्य कानूनी और अवैध दोनों तरह की आव्रजन गतिविधियों में कटौती करना है. अमेरीकी सरकार अब H-1B विशेष कौशल कर्मचारियों और H-4 आश्रितों के लिए जारी किए जाने वाले वीजा पर भी नियमों को कड़ा बना रहा है. इसके लिए वह सोशल मीडिया अकाउंट की जांच भी करेगा. ट्रंप सरकार ने बीते दिनों लगभग 85,000 वीजा आवेदन रद्द किए हैं. वहीं जिन भारतीयों का वीजा अपॉइंटमेंट पहले से तय थी, उसे भी आगे के लिए बढ़ा दिया गया है. दूतावास ने लोगों को मेल कर इसकी जानकारी दी है. इसे 2026 तक के लिए भी बढ़ाया जा चुका है. ऐसे सुरक्षा जांचों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आवेदक सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करते हों और किसी भी भ्रामक जानकारी का पता लगाया जा सके.
ये भी पढ़ें:-
ChatGPT ने उकसाया और बेटे ने कर दी मां की हत्या, OpenAI के खिलाफ आरोप, परिवार ने दर्ज कराया केस
अमेरिका के बाद इस देश ने भारत पर लगाया 50% टैरिफ, ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ सकता है बड़ा असर
