दक्षिण कोरियाई के पूर्व राष्ट्रपति ने रची थी किम जोंग को उकसाने की साजिश! फोन नोट्स में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

South Korea Yoon Suk Yeol bait Kim Jong Un with drones: दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल के ऊपर उत्तर कोरिया को भड़काने का आरोप लगा है. उन्होंने प्योंगयांग तक ड्रोन उड़ाकर उत्तर कोरिया को सैन्य हमला करने के लिए उकसाया, ताकि दक्षिण कोरिया में वे मार्शल लॉ लगा सकें.

By Anant Narayan Shukla | November 14, 2025 5:45 PM

South Korea Yoon Suk Yeol bait Kim Jong Un with drones: दक्षिण कोरिया में एक चौंकाने वाले राजनीतिक विवाद ने तूल पकड़ लिया है. यह खुलासा हुआ कि पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल पर उत्तर कोरिया को जानबूझकर भड़काने की कोशिश करने के आरोप लगे हैं. अभियोजकों का कहना है कि यून और उनके कुछ वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने प्योंगयांग के भीतर तक गुप्त ड्रोन भेजकर उत्तर कोरिया की नेतृत्व व्यवस्था को उकसाने की योजना बनाई थी. यह कथित रणनीति उस मार्शल लॉ के लिए माहौल तैयार करने का हिस्सा बताई जा रही है, जिसे यून ने पिछले साल दिसंबर में अचानक लागू करने की कोशिश की थी.

मामले से जुड़े एक शीर्ष रक्षा अधिकारी के फोन से मिले नोट्स में इस योजना के इशारे मिलते हैं. इन दस्तावेजों के मुताबिक यून और उनके साथी अधिकारी चाहते थे कि उत्तर कोरिया इतनी तीखी प्रतिक्रिया दे कि वे देश में सैन्य नियंत्रण लागू करने को उचित ठहरा सकें. अभियोजकों ने सोमवार को यह सबूत जारी किए, जो उत्तर कोरिया के इस दावे की पुष्टि करते प्रतीत होते हैं कि दक्षिण कोरिया ने पिछले अक्टूबर में उनके देश में एंटी-रेजीम पर्चे गिराने के लिए गुप्त ड्रोन भेजे थे. यह वही घटना थी जिसने किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग को बेहद कड़ी प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया था.

उत्तर कोरिया ने धमकाया, साउथ ने मार्शल लॉ लगाया

ड्रोन घुसपैठ के बाद उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया से सभी सड़क और रेल संपर्क काटने की धमकी दी और अपनी ओर की दो सड़कों को नष्ट भी कर दिया, हालांकि उसने कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की. कुछ हफ्तों बाद, यून ने यह कहते हुए मार्शल लॉ घोषित कर दिया कि दक्षिण कोरियाई लोकतंत्र “उत्तर कोरियाई कम्युनिस्ट ताकतों” से खतरे में है. लेकिन यह कदम उलटा पड़ गया, सांसदों ने सेना के अवरोधों को पार करते हुए संसद में प्रवेश किया और आदेश को रद्द कर दिया. इसी घटना ने यून के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और अंततः उनके महाभियोग का रास्ता खोला.

यून पूरी तरह इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं. उनका कहना है कि उन्होंने न तो ड्रोन भिजवाए और न ही सत्ता हथियाने का कोई प्रयास किया. लेकिन अभियोजन पक्ष द्वारा जुटाए गए दस्तावेज़ कुछ और ही कहानी बयान करते प्रतीत होते हैं.

उत्तर कोरिया में कम से कम तीन उड़ान भरी गई

उत्तर कोरिया ने पिछले वर्ष अक्टूबर में दावा किया था कि दक्षिण कोरियाई ड्रोन कई बार उनके हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर पर्चे गिरा रहे हैं. KCNA ने एक पेड़ में अटके ड्रोन की तस्वीरें भी जारी की थीं. दक्षिण कोरिया के सेना के एक सेवानिवृत्त जनरल और मौजूदा सांसद किम ब्युंग-जू ने भी अमेरिकी न्यूज कंपनी सीएनए को बताया था कि उन्हें अंदरूनी सूत्रों से इन गुप्त उड़ानों के बारे में जानकारी मिली थी. उनके अनुसार, ऐसी उड़ानें कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों 3 अक्टूबर, 8-9 अक्टूबर और 13 नवंबर 2023 पर हुई थीं. 

किम का कहना है कि इन उड़ानों का उद्देश्य उत्तर कोरिया को ऐसा महसूस कराना था कि उसकी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाई जा रही है, जिससे वह सैन्य प्रतिक्रिया देने को मजबूर हो जाए. उन्होंने इसे उत्तर कोरिया की गर्दन पर चाकू रखने जैसा कदम बताया. अभियोजकों द्वारा जब्त दस्तावेजों में कई जगह अस्थिर परिस्थितियाँ पैदा करने, उत्तर कोरिया को चेहरा खोने पर मजबूर करने और ऐसी प्रतिक्रिया उकसाने का जिक्र मिलता है, जिसे नियंत्रित करना मुश्किल हो. 

नोट्स में अन्य स्थानों का भी है जिक्र

कुछ नोट्स में तो संभावित लक्ष्य स्थलों के नाम तक दर्ज हैं, जैसे प्योंगयांग, दो परमाणु संयंत्र, किम के अवकाश स्थल, सामजियों और वोनसान जैसे संवेदनशील शहर. एक नोट में तो यह भी लिखा था कि “परिस्थितियाँ इस हद तक बिगड़नी चाहिए कि पुलिस उन्हें नियंत्रित न कर सके” और इसके लिए “दुश्मन की प्रतिक्रिया पहले आनी चाहिए.”

सामजियों उत्तर कोरिया में पवित्र स्थल माना जाता है क्योंकि यह किम जोंग इल का जन्मस्थान है और उनके दादा के जापानी उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक भी है. वहीं वोनसान-कल्मा पर्यटन क्षेत्र किम जोंग उन की प्रतिष्ठित परियोजनाओं में से एक है, जिसे उत्तर कोरिया ने “बहुत बड़ी सफलता” कहा है.

‘दुश्मन की स्थितियाँ पैदा करनी होंगी’- ऐसा था लक्ष्य

23 अक्टूबर के एक अन्य मेमो में “लक्ष्य और अंतिम स्थिति” शीर्षक के तहत “कम से कम राष्ट्रीय सुरक्षा संकट” और “अधिकतम नूह की बाढ़” जैसे वाक्यांश थे, जो संभवतः बाइबिल की उस कथा की ओर इशारा थे जिसमें महाप्रलय से केवल नूह की नाव पर मौजूद लोग ही बचे थे. 5 नवंबर के एक नोट में लिखा था, “पहले दुश्मन की कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसी स्थिति होनी चाहिए जो या तो युद्ध जैसी हो या जिसे पुलिस नियंत्रण नहीं कर सके. दुश्मन की स्थितियाँ पैदा करनी होंगी… हमें निर्णायक अवसर का इंतजार करना होगा.” अभियोजन पक्ष का कहना है कि सैन्य गोपनीयता के कारण वे और विवरण साझा नहीं कर सकते, लेकिन अन्य सबूत यह दिखाते हैं कि मार्शल लॉ की योजना 2023 के अंत में सेना में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के फेरबदल के बाद तेजी से आगे बढ़ने लगी थी.

सियोल के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि यह साबित हो जाता है कि यून ने राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का इस्तेमाल किया, तो इसका असर केवल घरेलू राजनीति तक सीमित नहीं रहेगा. यह अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बनेगा, क्योंकि ऐसी ड्रोन कार्रवाइयाँ 1953 के युद्धविराम समझौते का उल्लंघन मानी जाएंगी.

यून के मार्शल लॉ को सांसदों ने किया फेल

घटनाक्रम का अंत 3 दिसंबर की रात हुआ जब यून ने अचानक टीवी पर आकर मार्शल लॉ घोषित किया. उसके कुछ ही समय बाद सशस्त्र सैनिक हेलिकॉप्टरों से संसद भवन में उतरे और सदन में घुसने की कोशिश की. नागरिकों और कर्मचारियों ने दरवाजे बंद कर सैनिकों को रोकने की कोशिश की, ये दृश्य लाइव प्रसारित हुए. सांसदों ने अंततः सैनिकों को हटाकर अंदर प्रवेश किया और वोट करते हुए मार्शल लॉ को खारिज कर दिया. इस कदम ने भारी जन-प्रदर्शन, कानूनी चुनौतियाँ और अंततः यून के पद से हटने की राह खोल दी.

संसद में बहुमत नहीं होने पर किया खेल

यून एक कट्टर रूढ़िवादी नेता हैं और उत्तर कोरिया पर सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं, 2022 के चुनाव में मुश्किल से जीते थे. उनकी पार्टी के पास संसद में बहुमत नहीं था और उनके अधिकांश विधायी प्रयास बार-बार विफल होते रहे. वर्ष के अंत में उनके प्रशासन की यह निराशा नाटकीय रूप से फूट पड़ी. दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून और उनके पूर्व रक्षा अधिकारी किम और यिओ पर राज्यहित को नुकसान पहुँचाने, दुश्मन की मदद करने और अपने अधिकार का दुरुपयोग करने के आरोप हैं. ये तीनों मार्शल लॉ की घोषणा से जुड़े राजद्रोह के आरोपों पर पहले से ही मुकदमे का सामना कर रहे हैं.

हैरानी है कि उत्तर कोरिया ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी

जनरल से नेता बने सांसद किम ब्युंग-जू ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि उत्तर कोरियाई नेता ने इन कथित ड्रोन उड़ानों के बाद कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने कहा, “पीछे मुड़कर देखें तो दक्षिण कोरिया के लिए यह सौभाग्य था कि उत्तर ने केवल बयानबाजी तक सीमित रहकर कोई सैन्य कदम नहीं उठाया. यदि वे उस समय प्रतिक्रिया देते, तो हालात स्थानीय संघर्ष तक बढ़ सकते थे.” उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन युद्ध में रूस के लिए लड़ने के लिए उत्तर कोरिया द्वारा 10,000 सैनिक भेजे जाने के कारण किम शायद किसी अतिरिक्त मोर्चे को खोलना नहीं चाहते थे.

अमेरिका के लिए भी पैदा हो जाता खतरा

सियोल में एव्हा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लीफ-एरिक इस्ले ने कहा कि यदि यून ने वास्तव में इन ड्रोन उड़ानों का आदेश दिया था, तो यह दक्षिण कोरिया में घरेलू राजनीति और सुरक्षा नीति का एक खतरनाक मेल साबित होता. सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में कोरिया चेयर विक्टर चा ने कहा कि इस मामले के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी गंभीर हो सकते हैं, विशेषकर अमेरिका के लिए, जिसके हजारों सैनिक कोरियाई प्रायद्वीप पर तैनात हैं. उन्होंने कहा कि ड्रोन उड़ानें युद्धविराम समझौते का उल्लंघन होंगी. उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि उत्तर कोरिया अक्सर युद्धविराम का उल्लंघन करता है, लेकिन उन्हें अपने देश में राजनीतिक जवाबदेही का सामना नहीं करना पड़ता. लेकिन दक्षिण कोरिया जैसे लोकतंत्र में ऐसा संभव नहीं है.”

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