ड्रैगन की चालबाजी! विवादित क्षेत्र पर कब्जे के लिए चली शैतानी चाल, अरबों के प्रोजेक्ट को दिया हरी झंडी

South China Sea Scarborough Shoal: चीन ने Scarborough Shoal पर नेचर रिजर्व बनाने का ऐलान किया, जिससे फिलीपींस और अमेरिका की चिंता बढ़ी. जानिए क्यों ये छोटा एटॉल बन गया South China Sea में राजनीतिक टकराव और अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट्स का हॉटस्पॉट.

By Govind Jee | September 12, 2025 11:54 AM

South China Sea Scarborough Shoal: जरा सोचिए कि एक छोटा-सा एटॉल, चारों तरफ नीला समंदर, बीच में झील जैसा टर्क्वॉइज लैगून और आस-पास भरपूर मछलियां. सुनने में तो ये किसी ट्रैवल व्लॉग का लोकेशन लगता है, लेकिन असलियत में ये है एशिया की राजनीति का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट. नाम है Scarborough Shoal. फिलीपींस और चीन दोनों कहते हैं कि ये हमारा है. अब चीन ने यहां नेचर रिजर्व बनाने का ऐलान कर दिया है जो कि अरबों की प्रोजेक्ट है और फिलीपींस गुस्से में लाल-पीला. आइए समझते हैं कि आखिर ये मसला है क्या.

South China Sea Scarborough Shoal: क्यों खास है Scarborough Shoal?

लोकेशन यह कि फिलीपींस से करीब 200 किलोमीटर दूर और उसकी Exclusive Economic Zone (EEZ) के अंदर. मछलियों का खजाना और बीच में एक खूबसूरत लैगून, जहां जहाज तूफान से बचकर शरण ले सकते हैं. स्ट्रैटेजिक पोजिशन यह इसका साउथ चाइना सी के बीचोंबीच बैठा है, जहां से हर साल 3 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार गुजरता है. यानी ये एटॉल सिर्फ नेचर का गहना नहीं, बल्कि भू-राजनीति का ताश का इक्का है.

South China Sea Scarborough Shoal: चीन का नया ‘नेचर रिजर्व’ प्लान

चीन ने कहा कि हम यहां 3,524 हेक्टेयर का नेशनल नेचर रिजर्व बना रहे हैं. ये रिजर्व एटॉल के नॉर्थ-ईस्ट हिस्से को कवर करेगा, जो बड़े जहाज़ों के एंट्री पॉइंट के पास है.चीन ने मकसद यह बताया है कि कोरल रीफ और इकोसिस्टम की रक्षा के लिए है. फिलीपींस ने तुरंत सवाल उठाया कि सुनो, रक्षा तो छोड़ो, तुमने तो यहां क्लैम खनन करके कोरल तबाह किए हैं. अब फिलीपींस सोच रहा है कि मामला इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन तक ले जाए.

किसका है ये इलाका?

2012 में एक बड़े स्टैंडऑफ के बाद चीन ने यहां कब्जा जमा लिया था. तब से चीनी कोस्ट गार्ड और ट्रॉलर हमेशा मौजूद रहते हैं. फिलीपींस के मछुआरे आते तो हैं, लेकिन चीन की मौजूदगी में उनकी औकात ‘गेस्ट अपीयरेंस’ जैसी रह जाती है. 2016 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने कहा था कि चीन का ब्लॉकेड इंटरनेशनल लॉ के खिलाफ है क्योंकि ये ट्रेडिशनल फिशिंग ग्राउंड है कई देशों का. लेकिन कोर्ट ने ये नहीं बताया कि जमीन किसकी है.

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टकराव का रिस्क

पिछले कुछ सालों में यहां कई बार झड़प हुई है. वॉटर कैनन चलाना, नावों का टकराना, खतरनाक स्टंट करना, सब कुछ हो चुका है. कभी चीन के जेट्स फिलीपींस के एयरक्राफ्ट के पीछे पड़ जाते हैं. अब तक गोली नहीं चली, लेकिन माहौल इतना गर्म है कि कभी भी चिंगारी भड़क सकती है. फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस जूनियर चीन को आंखें दिखा रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि उनकी कोस्ट गार्ड चीन की आर्मी के सामने कमजोर है.

यहां एक बड़ा फैक्टर है – अमेरिका

1951 का Mutual Defence Treaty है, जिसमें साफ लिखा है कि अगर फिलीपींस पर हमला हुआ तो अमेरिका डिफेंड करेगा. हाल ही में इस संधि में ये भी जोड़ा गया कि हमला साउथ चाइना सी में कहीं भी हो, अमेरिका उतरेगा.

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एक्सपर्ट्स की राय क्या है इस मुद्दे पर 

चीन के थिंक टैंक के एक्सपर्ट Yang Xiao बोले कि रिजर्व का प्लान सही है, इससे हमारा कंट्रोल और गवर्नेंस दिखता है. जबकि फिलीपींस यूनिवर्सिटी के एनालिस्ट Jay Batongbacal ने कहा कि ये सिर्फ बहाना है. असली मकसद है दबाव बनाना और मछुआरों को गिरफ्तार करके उन्हें सौदेबाजी की चिप्स की तरह इस्तेमाल करना.

Scarborough Shoal सिर्फ समुद्र का एक छोटा टुकड़ा नहीं है. ये एशिया की राजनीति का बारूदी सुरंग है. चीन इसे “इकोलॉजिकल प्रोटेक्शन” बता रहा है. फिलीपींस इसे “सॉवरेनिटी पर कब्जा” मान रहा है. और अमेरिका बैकस्टेज से देख रहा है, मौका पड़ा तो मैदान में कूदेगा. कह सकते हैं कि नेचर रिजर्व का झंडा गाड़ने के बहाने चीन ने साउथ चाइना सी की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है.