T20 साबित हुई ट्रंप-पुतिन मीटिंग, रूस ने अमेरिका को अलास्का के ग्राउंड पर दी पटखनी, यूक्रेन बना मूकदर्शक
Russia Defeated America: अलास्का में ट्रंप-पुतिन मुलाकात में यूक्रेन युद्ध पर कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ. रूस को मिली मोहलत, पुतिन की शर्तें बनीं, यूक्रेन की सहमति जरूरी. वैश्विक दबाव और आर्थिक हालात युद्ध पर असर डाल सकते हैं.
Russia Defeated America: अलास्का में 15 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई, लेकिन इसमें यूक्रेन युद्ध को लेकर कोई ठोस समझौता या युद्धविराम तय नहीं हुआ. यह मीटिंग 2 घंटे 45 मिनट की रही जो बिना किसी नतीजे और 12 मिनट की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ खत्म हो गई. न तो रूस ने हमला रोकने की सहमति दी, न ही किसी क्षेत्र को छोड़ने की बात बनी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी जहां 8 मिनट तक पुतिन बोले तो सिर्फ 4 मिनट ही ट्रंप ने मीडिया को जवाब दिए. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बैठक रूस के लिए लाभकारी रही, क्योंकि उन्हें अमेरिकी प्रतिबंधों से मोहलत मिली. रूस की सेना धीरे-धीरे पूर्वी यूक्रेन में आगे बढ़ रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर के बाद मौसम खराब होने से लड़ाई और मुश्किल हो जाएगी. पुतिन चाहते हैं कि मौजूदा बढ़त को रणनीतिक जीत में बदला जाए. इसलिए वे जल्दी समझौते के बजाय युद्ध को अपनी शर्तों पर आगे बढ़ाना चाहते हैं.
Trump-Putin T20 Meeting Match in Alaska: पुराने दुश्मन
डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस पर तेल और गैस खरीदने वालों के खिलाफ सेकेंडरी सैंक्शन्स लागू करने की धमकी दी थी. अगर यह लागू हो जाता, तो रूस का व्यापार और मुश्किल में पड़ जाता. लेकिन ट्रम्प ने पुतिन से मैत्रीपूर्ण रवैया अपनाया और यह धमकी लागू नहीं की, जिससे रूस को बड़ी राहत मिली.
पुतिन का नरम रुख और वैश्विक दबाव
व्लादिमीर पुतिन को अक्सर अड़ियल नेता माना जाता है. बावजूद इसके, उन्होंने ट्रम्प के साथ नरमी दिखाई. इसकी वजह है कि रूस का बड़ा व्यापार भारत और चीन जैसे देशों के साथ जुड़ा है. अगर अमेरिकी प्रतिबंध तुरंत लागू होते, तो रूस का व्यापार घाटा और बढ़ता. इसी कारण पुतिन ने युद्ध जल्दी खत्म नहीं किया.
Ukraine Became Spectator: ट्रंप की रणनीति और जेलेंस्की का रुख
ट्रंप ने यूक्रेन में जल्दी शांति समझौते की बात की, लेकिन पुतिन अपनी शर्तों पर अडिग रहे. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बार-बार कहा कि रूस उनके देश में युद्ध अपराध कर रहा है और कोई समझौता बिना उनकी सहमति के स्वीकार्य नहीं होगा. पुतिन ने यूक्रेन को ‘ब्रदर नेशन’ कहा और अपने ऐतिहासिक दृष्टिकोण को दोहराया. इसके बावजूद उन्होंने किसी भी क्षेत्र में रूस की पकड़ी हुई जमीन छोड़ने से इंकार किया. ट्रंप के लिए यह झटका रहा, क्योंकि उनका उद्देश्य यूक्रेन में निवेश बढ़ाना और दुर्लभ खनिजों पर पकड़ मजबूत करना था.
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यूक्रेन के लिए राहत की दो बातें हैं:
मुलाकात में कोई जल्दीबाजी में समझौता नहीं हुआ, जो रूस के पक्ष में हो सकता था. पुतिन की जिद पूरी दुनिया ने देख ली है, जिससे वैश्विक समर्थन यूक्रेन के पक्ष में बना हुआ है. वर्तमान हालात में शांति प्रक्रिया आसान नहीं है. पुतिन ने डोनबास क्षेत्र पर पूरा कब्जा चाहा है, जबकि यूक्रेन अपनी जमीन धीरे-धीरे वापस लेने की योजना में है. यूक्रेनी तोपें मोर्चों पर तैनात हैं और रूस धीरे-धीरे अपनी पकड़ बढ़ाना चाहता है. हालांकि वैश्विक दबाव और आर्थिक कठिनाइयों के चलते रूस लंबे समय तक युद्ध नहीं झेल सकता.
ट्रंप की जेलेंस्की से मुलाकात
15 अगस्त को हुई अलास्का मुलाकात के बाद, ट्रंप और जेलेंस्की की मुलाकात को लेकर अटकलें लग रही हैं. यूरोपीय नेता ट्रंप पर दबाव डाल रहे हैं कि वह यूक्रेन का समर्थन करें. वहीं पुतिन, युद्ध में लाभ देखकर बातचीत में देरी कर रहे हैं, जबकि ट्रंप जल्दी नतीजे चाहते हैं.
