पाकिस्तान F-16 पर तैनात कर रहा था न्यूक्लियर हथियार, पूर्व CIA अधिकारी का खुलासा; इंदिरा गांधी ने स्ट्राइक की क्यों नहीं दी थीं मंजूरी

Pakistan F-16 Nuclear Weapons: पूर्व CIA अधिकारी रिचर्ड बार्लो का खुलासा. अमेरिका जानता था कि पाकिस्तान अपने F-16 लड़ाकू विमानों पर न्यूक्लियर हथियार तैनात कर रहा था. उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक बम था. भारत-इजराइल की स्ट्राइक योजना, अमेरिकी दोहरे मानक और खुफिया चेतावनियों को नजरअंदाज करने की कहानी अब सामने आई.

By Govind Jee | November 7, 2025 8:05 PM

Pakistan F-16 Nuclear Weapons: पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर हमेशा से ही रहस्य और विवाद बने हुए हैं. अब पूर्व CIA अधिकारी रिचर्ड बार्लो ने ऐसे खुलासे किए हैं, जो इस खेल की सच्चाई को सामने ला देते हैं. उन्होंने एएनआई के साथ बातचीत में बताया कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों को पता था कि पाकिस्तान अपने F-16 लड़ाकू विमानों पर परमाणु हथियार तैनात कर रहा था. उनके बयान से यह भी पता चलता है कि परमाणु हथियारों का यह खेल सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक कारणों से भी जुड़ा था.

Pakistan F-16 Nuclear Weapons: ‘यह था इस्लामिक बम’

बार्लो ने कहा कि 1990 में अमेरिकी खुफिया समुदाय ने देखा कि पाकिस्तान के F-16 पर न्यूक्लियर हथियार लगाए जा रहे थे. इसमें कोई शक नहीं था कि ये विमान परमाणु हथियार ले जा सकते हैं. उन्होंने इसे AQ खान और पाकिस्तान के जनरलों के नजरिए से “इस्लामिक बम, मुस्लिम बम” कहा. बार्लो ने आरोप लगाया कि यूएस की अरबों डॉलर की सैन्य और सीक्रेट मदद पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हुई.

भारत-इजराइल की प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक की योजना

बार्लो ने भारत और इजराइल की कथित योजना का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया कि दोनों देश पाकिस्तान के कहूटा न्यूक्लियर फैसिलिटी पर प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक करने पर विचार कर रहे थे. उन्होंने टिप्पणी की यह अफसोस की बात है कि इंदिरा गांधी ने इसे मंजूरी नहीं दी. इससे कई समस्याओं का समाधान हो सकता था. खुलासों के व्यक्तिगत प्रभाव का जिक्र करते हुए बार्लो ने कहा कि मेरी जिंदगी तबाह हो गई. मैंने अपनी नौकरी, अपनी शादी और सब कुछ खो दिया. 

अमेरिकी दोहरे मानक

हालांकि अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का विरोध किया और प्रतिबंध लगाए, आलोचकों का मानना है कि यह केवल दिखावा था. कोल्ड वॉर के दौरान पाकिस्तान सोवियत आक्रमण के खिलाफ अमेरिका का मुख्य सहयोगी था, इसलिए अमेरिका ने अक्सर निर्णायक कदम उठाने से बचा. रिपोर्ट्स बताती हैं कि वाशिंगटन में अधिकारी कहूटा में यूरेनियम समृद्धि गतिविधियों से अवगत थे लेकिन इन चेतावनियों को अक्सर नजरअंदाज किया गया ताकि पाकिस्तान के साथ रणनीतिक और सैन्य संबंध बनाए रखे जा सकें.

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