क्यों फिसली पाकिस्तान की जुबान? फेल हो गई पाक-अफगान शांति वार्ता, तालिबान ने अब किया बड़ा खुलासा
Pakistan Afghanistan Peace Talks: इस्तांबुल में पाकिस्तान-अफगान शांति वार्ता बिना नतीजे खत्म हो गई थी. अब तालिबान ने दावा किया है कि पाकिस्तान TTP के खिलाफ फतवे की मांग पर अड़ गया था जबकि अफगानिस्तान ने इसे अव्यावहारिक बताया. सीमा पर तनाव, युद्ध विराम और दोनों पक्षों के आरोपों के बीच वार्ता फिर से अनिश्चित हो गई है.
Pakistan Afghanistan Peace Talks: इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच दो दिन तक शांति वार्ता चली. इसका मकसद सीमा पर बढ़ते तनाव को कम करना और चल रहे नाज़ुक सीजफायर को स्थिर करना था. लेकिन वार्ता खत्म होते ही स्थिति और उलझ गई. न कोई समझौता हुआ और न अगली बैठक का प्लान. दोनों देश एक-दूसरे पर वार्ता टूटने की जिम्मेदारी डाल रहे हैं.
Pakistan Afghanistan Peace Talks: पाकिस्तान की क्या थी मांग
वार्ता से लौटने के बाद काबुल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मुल्ला नजीब (अफगान गृह मंत्रालय के डिप्टी मिनिस्टर और अफगान डेलिगेशन के प्रमुख) ने दावा किया कि पाकिस्तान की मुख्य मांग यह थी कि तालिबान के सुप्रीम लीडर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ फतवा जारी करें. नेटवर्क एटीन के अनुसार, मुल्ला नजीब पाकिस्तान इस बात पर अड़ा था कि सुप्रीम लीडर सार्वजनिक रूप से TTP के खिलाफ फतवा दें.
नजीब ने पाकिस्तान को जवाब देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान को फतवा चाहिए तो उसे लिखित अनुरोध भेजना होगा. सुप्रीम लीडर ‘आमिर’ हैं, ‘मुफ्ती’ नहीं. वे आदेश देते हैं, फतवे नहीं.” नजीब ने यह भी बताया कि अफगान तालिबान के पास दार-उल-इफ्ता (धार्मिक प्राधिकरण) है और फतवे से जुड़े मुद्दों पर वही फैसला लेता है. उनके अनुसार, पाकिस्तान चाहे तो दार-उल-इफ्ता को आधिकारिक आवेदन भेज सकता है.
पाकिस्तान का आरोप- TTP को पनाह मिल रही है
पाकिस्तान का आरोप है कि 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से TTP अधिक सक्रिय हुई है और पाकिस्तान में हमले बढ़े हैं. पाकिस्तान मानता है कि TTP को अफगानिस्तान से सहारा और सुरक्षित ठिकाना मिलता है. लेकिन तालिबान इन आरोपों को खारिज करता है. उनका तर्क है कि TTP एक अलग संगठन है. इसका गठन तालिबान के शासन आने से पहले हो चुका था. अफगानिस्तान किसी भी देश के खिलाफ अपनी जमीन इस्तेमाल नहीं होने देगा.
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Pakistan Afghanistan Peace Talks in Hindi: सीमा पर बढ़ता तनाव
वार्ता से पहले सीमा पर गोलाबारी और झड़पें हो चुकी थीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक कई सैनिक और नागरिक मारे गए. 9 अक्टूबर को काबुल में धमाके हुए, जिसे अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की ड्रोन स्ट्राइक बताया. इसके बाद दोनों देशों में टकराव बढ़ा. 19 अक्टूबर को कतर की मध्यस्थता में अस्थायी सीजफायर लागू हुआ, जो अभी भी मुश्किल से चला हुआ है.
अफगान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने वार्ता टूटने पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मांगें अव्यावहारिक थीं, इसलिए वार्ता आगे नहीं बढ़ सकी. मीडिया से बात करते हुए मुजाहिद ने यह भी कहा कि हम क्षेत्र में असुरक्षा नहीं चाहते. युद्ध हमारा पहला विकल्प नहीं है. लेकिन अगर लड़ाई होती है, तो हम अपना बचाव करेंगे. उन्होंने एक लिखित बयान में दोहराया कि अफगानिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने देगा. किसी भी बाहरी मांग से देश की संप्रभुता प्रभावित नहीं होगी.
अगली बैठक की कोई योजना नहीं है
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जीयो न्यूज से बातचीत में वार्ता खत्म होने की पुष्टि करते हुए कहा कि बातचीत खत्म हो गई है. अगली बैठक की कोई योजना नहीं है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सीजफायर तब तक जारी रहेगा जब तक अफगानिस्तान की ओर से उल्लंघन नहीं होता. उधर, अफगान अधिकारियों ने दावा किया कि बातचीत खत्म होने के कुछ ही घंटों बाद सीमा पर फिर झड़प हुई, जिसमें चार नागरिकों की मौत और पांच लोग घायल हुए.
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