दिन में छाएगी रात, झिलमिलाएंगे तारे, 6.23 मिनट तक अंधेर में डूबेगा दुनिया का हिस्सा, सदी का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण इस दिन

Longest Solar Eclipse of the 21st Century: 21वीं सदी का अब तक का सबसे लंबा सूर्यग्रहण होने वाला है, जो लगभग 6 मिनट 23 सेकंड तक चलेगा और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. इस दौरान सूर्य पूरी तरह दिखाई नहीं देगा, तापमान में गिरावट महसूस होगी, आसमान में तारे चमकने लगेंगे और कुछ क्षणों के लिए ऐसा लगेगा जैसे धरती की गति ठहर गई हो.

By Anant Narayan Shukla | December 1, 2025 9:43 AM

Longest Solar Eclipse of the 21st Century: आम तौर पर पूर्ण सूर्यग्रहण कई वर्षों या महीनों के अंतराल में दिखाई देते हैं, लेकिन वर्ष 2027 में होने वाला ग्रहण अपनी अवधि को लेकर इतिहास रचने वाला है. यह 21वीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण माना जा रहा है, जो वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. 2 अगस्त 2027 को होने वाले इस दुर्लभ खगोलीय नज़ारे के दौरान लगभग 6 मिनट 23 सेकंड तक दिन में अंधेरा छा जाएगा, मानो रात उतर आई हो. अंतरिक्ष विज्ञान के जानकार और खगोल प्रेमी इस घटना को लेकर अभी से रोमांचित हैं और विशेष तैयारियाँ कर रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इस दिन कई जगहों पर दिन का प्रकाश अचानक कम हो जाएगा, तापमान में गिरावट महसूस होगी, आसमान में तारे चमकने लगेंगे और कुछ क्षणों के लिए ऐसा प्रतीत होगा जैसे धरती की चाल थम सी गई हो. यह ग्रहण अपनी लंबी अवधि और अद्भुत प्रभावों के कारण विशिष्ट माना जा रहा है.

21वीं सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण

यह दुर्लभ खगोलीय घटना वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड और अंतरिक्ष के कई अनसुलझे रहस्यों को और गहराई से जानने का अनूठा मौका प्रदान करेगी. विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इतना लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण पिछले सौ वर्षों में नहीं हुआ है और भविष्य में इसे फिर से देख पाना लगभग असंभव होगा. 2 अगस्त 2027 को लगने वाला यह ग्रहण 21वीं सदी का सबसे अधिक समय तक चलने वाला पूर्ण सूर्यग्रहण माना जा रहा है. इसकी शुरुआत अटलांटिक महासागर के ऊपर होगी और चंद्रमा की छाया सबसे पहले जिब्राल्टर जलडमरूमध्य के आसपास पृथ्वी की सतह को छुएगी. इसके बाद अंधेरे की यह पट्टी दक्षिणी स्पेन, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र और मध्य पूर्व के कुछ क्षेत्रों से गुजरते हुए आगे बढ़ेगी. इन इलाकों में लगभग 6.5 मिनट तक सूरज पूरी तरह दृश्यमान नहीं होगा. ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक देगा, जिससे दोपहर का समय सांझ की तरह दिखाई देगा. तापमान करीब 5 से 10 डिग्री तक कम हो सकता है, हवा की दिशा बदल सकती है और पक्षियों एवं अन्य जीवों के व्यवहार में अनोखे बदलाव देखने को मिल सकते हैं. यही बातें इस घटना को और भी अधिक रोचक और विशिष्ट बनाती हैं.

वैज्ञानिकों के लिए एक अनोखा अवसर

सभी पूर्ण सूर्यग्रहण वैज्ञानिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं, लेकिन अधिकांश ग्रहणों की अवधि 3 मिनट से कम होती है, जिससे अध्ययन का समय सीमित रहता है. 2027 का ग्रहण खास इसलिए भी है क्योंकि यह घनी आबादी और आसानी से पहुँचने योग्य क्षेत्रों से होकर गुजरेगा. 2027 में होने वाला ग्रहण खगोलविदों को लगभग दोगुना समय देगा, जिससे वे सूर्य, उसके कोरोना और पृथ्वी के वातावरण में होने वाले बदलावों का विस्तृत अवलोकन कर पाएँगे. यह ग्रहण अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक “ओपन लैब” जैसा होगा, जहाँ वैज्ञानिक सूर्य की बाहरी परतों, मैग्नेटिक फील्ड और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के बारे में कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ जुटा सकेंगे. यह इसे खगोल विज्ञान, तापमान के बदलाव और पशु व्यवहार जैसी वैज्ञानिक गतिविधियों के अध्ययन के लिए एक आदर्श अवसर बनाएगा. स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, इतनी अवधि वाला अगला सूर्यग्रहण 2114 तक संभव नहीं है.

लंबे ग्रहण के पीछे छिपा दुर्लभ संयोग

सूर्यग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी बिल्कुल एक सीध में आ जाते हैं. जब चंद्रमा सूर्य के बीच आकर उसकी किरणों को रोकता है, तब पृथ्वी पर अंधेरा फैलता है. हालाँकि पूर्ण सूर्यग्रहण हर 18 महीनों में कहीं-न-कहीं देखने को मिलते हैं, लेकिन इतनी लंबी अवधि का ग्रहण बेहद दुर्लभ है. लेकिन 2 अगस्त 2027 को पृथ्वी सूर्य से अपने सबसे दूर बिंदु पर होगी, जिससे सूर्य अपेक्षाकृत छोटा दिखाई देगा. दूसरी ओर, चंद्रमा उसी समय अपने परिक्रमा पथ में आगे बढ़ते हुए पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु पर पहुँच जाएगा. इस वजह से चंद्रमा आकार में बड़ा दिखाई देगा और सूर्य को अधिक समय के लिए ढककर रख सकेगा. यही दुर्लभ खगोलीय संयोग इस ग्रहण को असाधारण रूप से लंबा बनाता है.

मिनट-दर-मिनट दिखाई देगा यह अद्भुत नजारा

पूर्णता (टोटेलिटी) आने से लगभग 60-80 मिनट पहले चंद्रमा सूर्य के किनारे को ढकना शुरू कर देगा. धीरे-धीरे सूर्य की रोशनी कम होती जाएगी और वह पतले से चांद की तरह कटा हुआ दिखाई देगा. इसके बाद अंधेरा छा जाएगा, तापमान गिरने लगेगा, तारे दिखाई देंगे और सूर्य का कोरोना एक दूधिया अंगूठी की तरह चमकेगा. वैज्ञानिक इसे लाइव वैज्ञानिक प्रयोगशाला की तरह देख रहे हैं, क्योंकि सूर्य के कोरोना को इतने साफ और इतने लंबे समय तक देखने का मौका दशकों तक फिर नहीं मिल सकता.

भारत में नहीं देख पाएंगे यह सूर्यग्रहण

यह जादुई अंधेरा 6 मिनट 23 सेकंड तक रहेगा. फिर धीरे-धीरे सूर्य की रोशनी वापस लौटेगी, सामान्य परिस्थितियाँ बहाल होंगी और दुनिया भर के वेधशालाएँ (तारामंडल) हर पल को रिकॉर्ड करेंगी. यह सूर्यग्रहण केवल वैज्ञानिकों के लिए ही नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी रोमांचक अनुभव होगा. भारत इस ग्रहण के पूर्ण पथ (path of totality) में नहीं आता है. हालांकि देश के कुछ हिस्सों में हल्का-फुल्का आंशिक सूर्यग्रहण दिख सकता है. पूर्णता की अवधि में नग्न आंखों से सूर्य देखना सुरक्षित है, लेकिन आंशिक चरणों के दौरान बिना सुरक्षा के सूर्य की ओर देखना खतरनाक है. विशेषज्ञ सोलर फिल्टर, प्रमाणित ग्रहण वाले चश्मे या अन्य स्वीकृत सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करने की सलाह देते हैं.

2 अगस्त 2027 को इतने लंबे समय तक दिन में अंधेरा छा जाना एक अद्भुत दृश्य होगा. सूर्य विलीन हो जाएगा, आसमान में तारे दिखाई देंगे, तापमान गिरने लगेगा और वातावरण में एक रहस्यमयी शांति छा जाएगी. यह नजारा उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए जीवनभर याद रहने वाला अवसर होगा. दुनिया भर से लाखों पर्यटक इस ग्रहण को देखने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि अगली बार ऐसा दृश्य देखने के लिए एक सदी से अधिक इंतजार करना पड़ेगा.

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