नेपाल में सियासी घमासान! क्या कुलमन घीसिंग बनेंगे अंतरिम पीएम? सुशीला कार्की रेस से बाहर, भारत से भी है खास नाता

Kul man Ghising Will Be Interim PM: नेपाल की जेन-जेड क्रांति ने सत्ता का नक्शा बदल दिया है. कुलमन घीसिंग बन सकते हैं अंतरिम पीएम जिनका भारत से भी है नाता. युवाओं का समर्थन और हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी.

By Govind Jee | September 11, 2025 3:57 PM

Kul man Ghising Will Be Interim PM: नेपाल तीन दिनों से हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आग में जल रहा है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है और अब देश में अंतरिम सरकार के गठन की तैयारी तेज हो गई है. इस बार युवा शक्ति, यानी जेन-जेड प्रदर्शनकारी, ने सत्ता का नया चेहरा चुनने में अहम भूमिका निभाई है. अब इंजीनियर से नेता बने कुलमन घीसिंग के नाम को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में आगे बढ़ाया गया है.

Kul man Ghising Will Be Interim PM: कुलमन घीसिंग का नाम आगे, भारत से भी है खास कनेक्शन 

स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदर्शनकारी युवाओं ने गुरुवार को कुलमन घीसिंग का नाम अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए बढ़ाया था. कुलमन की सरकार विरोधी सोच ने उन्हें युवा वर्ग में लोकप्रिय बना दिया था. बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रदर्शनकारियों ने उन्हें अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए नामित किया. कुलमन का भारत से भी खास संबंध है, उन्होंने जमशेदपुर, भारत से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी और 1994 में NEA में शामिल हुए थे.

इस चुनाव में पूर्व सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस सुशीला कार्की भी चर्चा में थीं, लेकिन जेन-जेड ने उनके पक्ष में मतदान नहीं किया. कारण स्पष्ट है कि 73 वर्ष की उम्र और संविधान के अनुसार पूर्व जज को पीएम बनने की अनुमति नहीं. कुलमन को “देशभक्त और सबकी पसंदीदा शख्सियत” के रूप में देखा जा रहा है. प्रारंभिक पसंद बालेन शाह ने यह जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया था. इस फैसले ने विरोध प्रदर्शन के भीतर कुछ मतभेद भी जन्म दिए हैं, लेकिन युवाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका समर्थन कुलमन के साथ है.

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नेपाल की राजनीतिक प्रक्रिया और संविधान

नेपाल की 2015 की संविधान व्यवस्था के अनुसार, नया प्रधानमंत्री या तो बहुमत वाली पार्टी से आता है या राष्ट्रपति किसी सांसद को नामित करता है. अगर विश्वास मत में असफलता होती है तो संसद भंग हो सकती है और नए चुनाव कराए जा सकते हैं. फिलहाल, सेना काठमांडू की सड़कों पर शांति बनाए रखने के लिए तैनात है.

हिंसा और प्रदर्शन का सच

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन जल्दी ही भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ व्यापक विरोध में बदल गया. प्रदर्शनकारियों ने संसद और सिंग्हा दरबार जैसे ऐतिहासिक सरकारी भवनों पर कब्जा किया, आगजनी की और पूर्व मंत्रियों पर हमला किया. सोमवार से अब तक 31 लोग मारे गए और 1,300 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

प्रधानमंत्री ओली की इस्तीफा देने की घोषणा इस हिंसा और अशांति के बीच आई. उनकी वर्तमान लोकेशन अज्ञात है, लेकिन उन्हें काठमांडू से सैन्य विमान में जाते देखा गया. सेना ने कहा कि वे केवल अंतरिम सरकार बनने तक नियंत्रण बनाए रखेंगे.

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भारत की प्रतिक्रिया और आगे की राह

भारत ने शांति और संवाद की अपील की है और सीमा सुरक्षा कड़ी कर दी है. नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी भी जारी की गई है. जेन-जेड आंदोलन अब सिर्फ सोशल मीडिया विरोध नहीं रहा; यह भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ युवा क्रांति बन चुका है. और कुलमन घीसिंग, जिनकी लोकप्रियता युवाओं में भारी है, इस नाटकीय बदलाव के केंद्र में खड़े हैं. नेपाल की राजनीति अब एक नए मोड़ पर है, और युवा शक्ति ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि सत्ता में बदलाव अब उनकी मर्जी से होगा.