सऊदी अरब में किंग की खास अपील, 13 नवंबर को करें इस्तिका नमाज, क्या है पैगंबर की परंपरा वाली इस प्रेयर की वजह?

Istisqa prayer in Saudi Arabia: सऊदी अरब के किंग सलमान ने अपने नागरिकों से अपील की है कि वे 13 नवंबर को इस्तिका नमाज अदा करें. उन्होंने लोगों से तौबा (पश्चाताप), सदका (दान) और दूसरों की मदद करने का भी आग्रह किया, ताकि अल्लाह की रहमत, राहत और रोजी के लिए दुआ की जा सके.

By Anant Narayan Shukla | November 11, 2025 1:49 PM

Istisqa prayer in Saudi Arabia: सऊदी अरब में इस साल बारिश ने अपनी नेमत उचित मात्रा में नहीं बरसाई है. ऐसे में किंगडम में इस साल सूखे की स्थिति का सामना कर सकता है. मक्का और मदीना के संरक्षक और सऊदी अरब के किंग सलमान ने अपने सभी नागरिकों से खास अपील की है. उन्होंने सऊदी अरब वासियों से आग्रह किया है कि वे पैगंबर की परंपरा के अनुरूप 13 नवंबर को ‘इस्तिस्का नमाज’ अदा करें. उन्होंने लोगों से तौबा (पश्चाताप), सदका (दान) और दूसरों की मदद करने का भी आग्रह किया, ताकि अल्लाह की रहमत, राहत और रोजी के लिए दुआ की जा सके. यह देशव्यापी प्रार्थना सामूहिक रूप से अल्लाह से बारिश और कृपा मांगने का प्रतीक है.

पैगंबरी परंपरा से प्रेरित शाही आदेश

आस्था और परंपरा से ओत-प्रोत इस पुकार में सऊदी अरब के मुसलमानों से गुरुवार, 13 नवंबर को इस्तिस्का नमाज अदा करने का अनुरोध किया गया है. यह नमाज पैगंबर मोहम्मद की सुन्नत पर आधारित है, जो सूखे और पानी की कमी के समय अल्लाह की रहमत और बारिश की दुआ के लिए अदा की जाती है. सऊदी प्रेस एजेंसी द्वारा जारी रॉयल कोर्ट के बयान के अनुसार, किंग सलमान का यह निर्देश सलात-उल-इस्तिस्का की पैगंबरी परंपरा के अनुरूप है. यह नमाज सूखे के समय सामूहिक विनती के रूप में अदा की जाती है, जो अल्लाह के सामने विनम्रता और उसकी रहमत की सामूहिक आशा को दर्शाती है. किंग सलमान ने सभी नागरिकों और निवासियों से इस राष्ट्रव्यापी आयोजन में भाग लेने की अपील की, ताकि पूरे देश की मस्जिदें एक साथ अल्लाह से बारिश और राहत की दुआ कर सकें.

तौबा और इंसानियत का संदेश

किंग सलमान ने केवल नमाज अदा करने की अपील नहीं की, बल्कि लोगों से सच्चे दिल से तौबा करने, अल्लाह से माफी मांगने और नेकी के कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि लोगों को स्वेच्छा से दान देना चाहिए, अतिरिक्त नमाजें अदा करनी चाहिए और दूसरों की तकलीफें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मोमिनों को चाहिए कि वे दूसरों के बोझ को हल्का करें और उनकी परेशानियां कम करें, ताकि अल्लाह हमारी कठिनाइयों को दूर करे और हमें वह अता करे जिसकी हम उम्मीद करते हैं.”

इस्तिस्का का क्या अर्थ है?

‘इस्तिस्का’ का अर्थ है: पानी की याचना करना. यह एक इस्लामी नमाज है जो उस समय अदा की जाती है जब बारिश नहीं होती या सूखा पड़ता है. इसे सामूहिक रूप से खुले मैदानों या मस्जिदों में अदा किया जाता है, जो मानव की आध्यात्मिक और शारीरिक आवश्यकता दोनों को दर्शाता है. इस्लामी मत के अनुसार, इंसान की रोजी-रोटी और जीवन अल्लाह की रहमत पर निर्भर है, इसलिए उसे शुक्रगुजार, विनम्र और सेवा-भाव से जीवन जीना चाहिए. यह नमाज भी ईश्वर की रहमत के लिए की जा रही है. 

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