मुल्लाओं को छोड़ना होगा देश! ईरान में तीन साल के सबसे बड़े प्रदर्शन, क्या ट्रंप की दबाव नीति रंग ला रही है?
Iran Protests: पिछले तीन सालों में ईरान में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनकी वजह गिरती हुई अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई है, जिससे सड़कों पर गुस्सा फूट पड़ा है. लोग तेहरान, मशहद और दूसरे शहरों में खुलेआम नारे लगा रहे हैं. रियाल की गिरती कीमत, भ्रष्टाचार और धार्मिक सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी, अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बीच एक नया संकट पैदा कर रही है.
Iran Protests: ईरान इस समय पिछले तीन साल का सबसे बड़ा प्रदर्शन देख रहा है. राजधानी तेहरान, धार्मिक शहर मशहद, औद्योगिक केंद्र इस्फहान, सांस्कृतिक शहर शिराज और कई छोटे कस्बों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इसकी वजह है देश की अर्थव्यवस्था की तबाही और अयातुल्ला अली खामेनेई के नेतृत्व वाली सरकार से बढ़ती नाराजगी. लोग अब खुलकर अपनी आवाज उठा रहे हैं, क्योंकि रोजमर्रा की जिंदगी मुश्किलों से भरी है. इस आंदोलन की बड़ी वजह है ईरानी रियाल का तेजी से गिरना. अब 1 डॉलर के मुकाबले रियाल 42,000 के पार जा चुका है. महंगाई दर 42% से ज्यादा है और देश की आबादी 9.2 करोड़ है. इससे रोजमर्रा की चीजें जैसे खाना, दवाइयां और अन्य जरूरतें आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं. कई लोग अपने घर चलाने की जंग लड़ रहे हैं.
Iran Protests Biggest Uprising In Years in Hindi: खुलकर विरोध के नारे
सोशल मीडिया पर वीडियो दिखा रहे हैं कि लोग डर के बिना नारे लगा रहे हैं. ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने X (ट्विटर) पर लिखा कि लोग एक सुर में नारे लगा रहे हैं कि मुल्लाओं को ईरान छोड़ना होगा और तानाशाही मुर्दाबाद. ये आवाज उन लोगों की है जो अब इस्लामिक रिपब्लिक नहीं चाहते. विदेशों में बसे ईरानियों के बीच एक तस्वीर बहुत चर्चा में है. इसमें एक आदमी तेहरान की सड़क के बीच चुपचाप बैठा है, जबकि सरकारी सुरक्षा बल उसके पास बाइक पर आगे बढ़ रहे हैं. जेसन ब्रॉडस्की, यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान के पॉलिसी डायरेक्टर ने इसे 1989 के चीन के तियानमेन स्क्वायर दृश्य से तुलना की. कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि शाह समर्थक नारे भी सुनाई दिए, जो 1979 की क्रांति से पहले की राजशाही की याद दिलाते हैं.
सरकार का बयान
ईरानी सरकारी मीडिया ने विरोध को छोटा दिखाने की कोशिश की. IRNA ने कहा कि यह केवल आर्थिक शिकायतें हैं. मोबाइल फोन दुकानदारों ने रियाल गिरने से विरोध किया. लेकिन अर्ध-सरकारी एजेंसी Fars News ने माना कि कुछ नारे आर्थिक मांगों से आगे निकल गए हैं. इससे साफ है कि जनता का गुस्सा सिर्फ पैसों तक सीमित नहीं है.
विरोध का कारण क्या है?
ईरान में ऐसा बड़ा आंदोलन आखिरी बार 2022-23 में हुआ था, जब महसा अमीनी की मौत हुई थी. उस वक्त भी देश हिल गया और सरकार ने सख्त कार्रवाई की. अब एक बार फिर वही हालात नजर आ रहे हैं. लोग सिर्फ गिरती अर्थव्यवस्था से नहीं बल्कि सालों की नाकामी, भ्रष्टाचार और धार्मिक कट्टरता से परेशान हैं. सोमवार को तेहरान और मशहद में झड़पें हुईं. फॉक्स न्यूज के अनुसार, पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. ग्रैंड बाजार, जो सत्ता के दिल के पास है, विरोध का बड़ा केंद्र बन गया. वहां लोग नारे लगा रहे थे कि डरो मत, हम सब साथ हैं और सुरक्षा बलों को बे-शर्म कह रहे थे. (Iran Protests Biggest Uprising In Years Trump Pressure Impact in Hindi)
सेंट्रल बैंक प्रमुख का इस्तीफा
एपी के अनुसार, आर्थिक संकट के बीच सेंट्रल बैंक प्रमुख मोहम्मद रजा फर्जिन ने इस्तीफा दे दिया. अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों के अनुसार आम ईरानी इस स्थिति के लिए भ्रष्टाचार, गलत नीतियां और धार्मिक शासन को जिम्मेदार मानते हैं. अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि ईरानी लोग सड़कों पर इसलिए हैं क्योंकि सरकार ने देश को चरमपंथ और भ्रष्टाचार से बर्बाद किया. उन्हें ऐसी सरकार चाहिए जो उनकी सेवा करे, न कि मुल्लाओं की.
अंतरराष्ट्रीय दबाव
ईरान की मौजूदा स्थिति अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से अलग नहीं है. अमेरिका ने 2015 के न्यूक्लियर डील से बाहर निकलकर ‘मैक्सिमम प्रेशर’ नीति लागू की. तेल की कमाई कम हुई और ईरान वैश्विक सिस्टम से कट गया. हाल के महीनों में ईरान-इजरायल तनाव, नए UN प्रतिबंध और ट्रंप की नीतियों ने हालात और बिगाड़े. डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को क्षेत्रीय अस्थिरता का जिम्मेदार ठहराया और हमास को हथियार न छोड़ने पर चेतावनी दी.
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने कहा कि लोगों की रोजी-रोटी उनकी रोज की चिंता है. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि नुकसान बहुत गहरा है. अर्थशास्त्री अमीर हुसैन महदवी के अनुसार, अगर प्रतिबंध नहीं हटे या खर्चों में कटौती नहीं हुई, तो महंगाई लंबे समय तक बनी रहेगी. कनाडा की ईरानी मूल की नेता गोल्डी घमरी ने पूछा कि क्या अमेरिका ने ईरान में सत्ता परिवर्तन की इशारा दे दी है.
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