क्या भारत-नेपाल संबंध में आएगी तल्खी ? नेपाली कांग्रेस ने नए राजनीतिक मानचित्र के पक्ष में मत देने का किया फैसला

नेपाल की सरकार (Oli government) द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए देश के नए राजनीतिक मानचित्र (new map) से संबंधित विधेयक पर मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस (Nepali Congress ) ने चर्चा की और इसके पक्ष में मत देने का फैसला किया है. इस संबंध में सानेपा में पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय कार्यकारिणी समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह फैसला किया गया.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 31, 2020 10:53 AM

नेपाल की सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत किए गए देश के नए राजनीतिक मानचित्र से संबंधित विधेयक पर मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने चर्चा की और इसके पक्ष में मत देने का फैसला किया है. इस संबंध में सानेपा में पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय कार्यकारिणी समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह फैसला किया गया.

‘काठमांडू पोस्ट’ ने सीडब्ल्यूसी सदस्य मिन बिश्वकर्मा के हवाले से कहा है कि इस विधेयक को जब मतदान के लिए प्रस्तुत किया जाएगा, पार्टी इसका समर्थन करेगी. नेपाली कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक सीडब्ल्यूसी की बैठक में रखा गया प्रस्ताव उस संविधान संशोधन विधेयक से संबंधित है जिसमें संविधान के अनुच्छेद 9 (दो) से संबंधित तीसरी अनुसूची में शामिल राजनीतिक मानचित्र में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है.

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कानून, न्याय और संसदीय कार्य मंत्री शिवमाया तुम्बाहांगफे को बुधवार को विधेयक को संसद में प्रस्तुत करना था. हालांकि, विधेयक को नेपाली कांग्रेस के अनुरोध पर सदन की कार्यवाही की सूची से हटा दिया गया था क्योंकि पार्टी को सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस पर निर्णय लेना था. नेपाली संविधान में संशोधन करने के लिए संसद में दो तिहाई मतों का होना आवश्यक है.

भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने हाल ही में देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों पर दावा किया गया था. भारत ने इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी और कहा था कि “कृत्रिम रूप से क्षेत्र के विस्तार” को स्वीकार नहीं किया जाएगा. भारत ने नेपाल ने कहा था कि इस प्रकार “मानचित्र के द्वारा अनुचित दावा” न किया जाए.

इस मामले को लेकर अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने खबर प्रकाशित की है जिसके अनुसार विपक्ष की सहमति के बाद अब संविधान संशोधन पर औपचारिक तौर पर दो तिहाई बहुमत हासिल करने के लिए इसे संसद में पेश किया जाएगा. इस पूरे घटनाक्रम का असर भारत-नेपाल संबंधों पर पड़ने की संभावना है. हालांकि ये संविधान संशोधन संसद में कब पेश किया जाएगा यह बात अभी सामने नहीं आयी है. अख़बार कहता है कि इस संविधान संशोधन के संसद में पास होने से राष्ट्रवादी और भारत विरोधी नेता होने की प्रधानमंत्री ओली की छवि को बल मिलेगा.

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