लॉकडाउन में बढ़ रही मानसिक परेशानी, लोगों का तनाव कम करने में जुटी झारखंड की कई संस्थाएं

लॉकडाउन 4.0 समाप्त होने वाला है. कोरोना के कारण मरीजों की बढ़ती संख्या और लॉकडाउन के कारण कई तरह के प्रतिबंध का असर मानव जीवन पर सीधा दिख रहा है. लोगों में तनाव बढ़ रहा है. पहले लोगों के पास ज्यादा काम का तनाव होता था, आज काम नहीं होने का तनाव है. काम पर नहीं जाने से स्ट्रेस बढ़ रहा है. कमाई का जरिया रुक गया है. शारीरिक परश्रिम नहीं हो पा रहा है.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 31, 2020 11:01 AM

रांची : लॉकडाउन 4.0 समाप्त होने वाला है. कोरोना के कारण मरीजों की बढ़ती संख्या और लॉकडाउन के कारण कई तरह के प्रतिबंध का असर मानव जीवन पर सीधा दिख रहा है. लोगों में तनाव बढ़ रहा है. पहले लोगों के पास ज्यादा काम का तनाव होता था, आज काम नहीं होने का तनाव है. काम पर नहीं जाने से स्ट्रेस बढ़ रहा है. कमाई का जरिया रुक गया है. शारीरिक परश्रिम नहीं हो पा रहा है.

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कई कारण हैं, जो लोगों की मनोदशा को संतुलित रखने में मुश्किल पैदा कर रहे हैं. इससे घरेलू हिंसा भी बढ़ रही है. इससे लोग कैसे उबरें, इसके लिए मनोचिकित्सा, मनोविज्ञान के क्षेत्र से जुड़े लोग प्रयास कर रहे हैं. कई लोग निजी, तो कुछ लोग संस्थागत तौर पर प्रयास कर रहे हैं.

कोशिश हो रही है, कि लोगों को इस विकट परिस्थिति में गलत कदम उठाने से रोका जाये. देश के नामी मनोचिकित्सा संस्थानों में शामिल सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियैट्री (सीआइपी) और रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो-साइकियैट्री एंड अलाइड साइंसेज (रिनपास) के मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक कई फोरम पर अपनी सेवा दे रहे हैं. कुछ राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. इन संस्थानों के हेल्पलाइन भी चल रहे हैं.

यूनीसेफ, सीआइपी और झारखंड सरकार कर रही जागरूक

झारखंड सरकार, सीआइपी और यूनिसेफ ने मिलकर 30 वेबिनार का आयोजन किया है. इसके माध्यम से अब तक 600 बच्चों को कोविड19 से बचाव और इस दौरान होने वाली मानसिक परेशानी की जानकारी दी जा रही है. झारखंड सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने सभी बाल सुधार गृहों में इसका आयोजन किया है. बच्चों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के उपाय बताये गये हैं.

सीआइपी के चिकित्सक डॉ निशांत गोयल बताते हैं कि इसके अतिरिक्त हेल्थ वर्कर और हेल्पलाइन में काम कर रहे लोगों का भी मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग हो रहा है. इस दौरान वैसे लोगों के काउंसलिंग की जरूरत ज्यादा है, जो कोविड-19 के काम से सीधे जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि सीआइपी ट्रेनर भी तैयार कर रहा है, जो आगे चलकर इस वायरस से उत्पन्न होने वाली समस्या से जूझ रहे लोगों की मानसिक परेशानी दूर कर सकें.

वक्त लॉकडाउन के बाद के सोचने का

एसोसिएशन ऑफ साइकियैट्रिक सोशल वर्कर प्रोफेशनल की संस्थापक सदस्य सह रिनपास की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनीषा किरण बताती हैं कि अब समय लॉकडाउन के बाद सोचने का है. लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे. जीना इसी कोविड19 के साथ है. यह अभी खत्म नहीं होने वाला है. लॉकडाउन खत्म होने पर भी इसके बारे में विचार करना होगा.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद रूटीन चेंज करना होगा. कैसे रखना है, इसके मैनेजमेंट को लेकर भी अब लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. लॉकडाउन के बाद लोगों को क्या-क्या हैबिट अपनाने हैं, इस पर भी विचार करना होगा. संस्था पूरे देश में काउंसलिंग कर रही है. हर दिन सैकड़ों लोगों की शिकायतें सुनकर उनको निदान बताया जा रहा है.

तनाव कम करने में सहायक हो सकता है योग

रिनपास के मनोवैज्ञानिक योग विशेषज्ञ पीके सिंह बताते हैं कि योग में अनुशासन की जरूरत होती है. लॉकडाउन के दौरान घर पर खाने-पीने का समय नहीं बदलना है. काम करके समय खर्च कर सकते हैं. केवल कोविड19 की चर्चा हो रही है. इससे परेशानी बढ़ी है. इससे फ्यूचर को लेकर लोग चिंतित हैं. बचाव का तरीका अपनाना है.

श्री सिंह ने कहा कि योग से स्ट्रेस कम हो सकता है. बच्चों को भी योग सिखायें. रूटीन बनाना जरूरी है. इसे पॉजिटिव लेकर चल सकते हैं. योग अनुशासन सिखाता है. दिमाग को शांत रखने वाले आसन करें. श्वांस संबंधी आसन जरूर करें. नाक और गले को मजबूत बनाने के लिए कपालभाति, मन की शांति के लिए अनुलोम-विलोम सुबह-शाम कर सकते हैं.

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इम्यूनिटी डेवलप करने के लिए इसका नियमित अभ्यास कर सकते हैं. इस दौरान वजन नहीं बढ़े, इस पर भी ध्यान देना जरूरी है. ओवर ईटिंग से बचना चाहिए.

Posted By : Mithilesh Jha

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