बांग्लादेश में हिंसक भीड़ पर गोली चलाने के आदेश, फैसला सुनाएगा ICT; शेख हसीना को सजा-ए-मौत की मांग
ICT to give verdict on Sheikh Hasina: अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) सोमवार को 78 वर्षीय हसीना के खिलाफ फैसला सुनाने वाला है. मामले की सुनवाई उनकी गैर-मौजूदगी में पूरी की गई. उनके ऊपर पिछले साल आंदोलना को दबाने कि लिए सुरक्षा बलों का इस्तेमाल का आरोप लगा है, जिसमें कथित तौर पर 1400 लोगों के मारे जाने की सूचना है.
ICT to give verdict on Sheikh Hasina: बांग्लादेश में सोमवार का दिन हंगामेदार होने की पूरी संभावना है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के विरुद्ध कथित अपराधों से जुड़े मामले में विशेष न्यायाधिकरण फैसला सुनाने वाला है. इस फैसले के आने से ठीक एक दिन पहले, रविवार को देशभर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई. राजधानी ढाका में पुलिस को हिंसक भीड़ पर गोली चलाने तक के निर्देश जारी किए गए हैं. इसी बीच, हसीना ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे किसी तरह की घबराहट में न आएं. वहीं अभियोजन पक्ष ने रविवार को एक बार फिर हसीना के लिए मृत्युदंड की मांग दोहराई.
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-बीडी) सोमवार को 78 वर्षीय हसीना के खिलाफ फैसला सुनाने वाला है. मामले की सुनवाई उनकी गैर-मौजूदगी में पूरी की गई. आईसीटी-बीडी के अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने पत्रकारों को बताया, “हमने हसीना के लिए कानून के तहत अधिकतम सजा की मांग की है. इसके अलावा, दोषी की संपत्ति जब्त कर उसे पिछले साल के प्रदर्शनों में मारे गए लोगों और घायलों के परिजनों में बांटने का अनुरोध भी किया गया है.”
तमीम ने कहा कि कानून के अनुसार, हसीना तब तक सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय प्रभाग में फैसले को चुनौती नहीं दे सकेंगी, जब तक वे आत्मसमर्पण नहीं करतीं या फैसले के 30 दिनों के भीतर गिरफ्तार नहीं हो जातीं. सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ के मुताबिक, गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि कानून-व्यवस्था बिगड़ने की किसी भी आशंका को रोकने के लिए सभी एजेंसियों ने आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं. फैसले से पहले बढ़ते तनाव को देखते हुए देशभर में बीजीबी की तैनाती की गई है, और ढाका पुलिस को हिंसक उपद्रवियों पर गोली चलाने तक की अनुमति दी गई है.
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फैसला आने से पहले बवाल की शुरुआत
इस फैसले के आने से पहले ही बांग्लादेश में बवाल होने की शुरुआत हो गई है. पिछले कुछ दिनों में 30 से अधिक कच्चे बमों के धमाके दर्ज किए गए हैं. रविवार को भी कई स्थानों से विस्फोटों की खबरें आईं. दर्जनों बसों को आग के हवाले किया गया और कई जिलों में गंभीर झड़पें हुईं. रैपिड एक्शन बटालियन लगातार छापेमारी कर रही है और शेख हसीना की पार्टी से जुड़े कई पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया. स्थानीय अखबारों के अनुसार, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) के आयुक्त एसएम सज्जात अली ने कहा, “मैंने वायरलेस पर संदेश दिया कि जो भी बसों को आग लगाने या जानलेवा देसी बम फेंकने की कोशिश करे, उसे गोली मार दी जाए. हमें कानून में यह अधिकार स्पष्ट रूप से प्राप्त है.”
शेख हसीना के ऊपर क्या हैं आरोप?
हसीना, उनके गृह मंत्री असद-उज-जमां खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर पिछले वर्ष सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्यों सहित मानवता के विरुद्ध अपराध करने के आरोप हैं. पिछले साल स्टूडेंट प्रोटेस्ट के दौरान 15 जुलाई से 5 अगस्त 2024 तक कथित तौर पर 1400 लोगों के मारे जाने की सूचना थी. इन सभी मौतों के लिए शेख हसीना सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया है. उन पर सुरक्षा बलों के क्रूरतम इस्तेमाल का आरोप लगा. 10 जुलाई 2025 को न्यायाधिकरण ने तीनों के खिलाफ आरोप तय किए थे. हसीना और कमाल पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चला और अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया, जबकि मामून ने व्यक्तिगत रूप से सुनवाई में हिस्सा लिया और बाद में सरकारी गवाह बन गए.
आवामी लीग ने दी संघर्ष की चेतावनी
इसी बीच, अवामी लीग की वेबसाइट पर जारी एक ऑडियो संदेश में हसीना ने पार्टी नेताओं और समर्थकों से अपनी संभावित सजा को लेकर चिंतित न होने की अपील की. उन्होंने कहा, “हमने इस तरह के कई हमले और मुकदमे पहले भी देखे हैं.” उन्होंने आगे कहा, “मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता. अल्लाह ने मुझे जीवन दिया है और एक दिन मेरी मृत्यु निश्चित है, लेकिन मैं देश की जनता के लिए काम करती रही हूं और आगे भी करती रहूंगी.”
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हसीना ने यूनुस सरकार पर लगाया आरोप
शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त को जान पर खतरा देखते हुए भारत आ गई थीं. उनकी अनुपस्थिति में ट्रिब्यूनल ने 23 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की और 13 नवंबर को आदेश के लिए 17 नवंबर की तिथि की घोषणा की थी. अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना ने सामूहिक हत्याओं के आरोपों से इनकार करते हुए जिम्मेदारी अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर डाल दी. उनका कहना था कि यूनुस ने स्वयं स्वीकार किया है कि उन्होंने एक सुनियोजित योजना के तहत मेरी सरकार को हटाया था. उन्होंने कहा, “हमारे संविधान के अनुच्छेद 7(बी) में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यदि कोई निर्वाचित प्रतिनिधियों को बलपूर्वक सत्ता से हटाता है, तो उसे दंडित किया जाएगा. यूनुस ने यही किया.”
हसीना ने ही बनाई थी ICT
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) की स्थापना स्वयं शेख हसीना ने की थी, ताकि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराधों की जांच और सुनवाई की जा सके. उनके शासनकाल में इसी ट्रिब्यूनल ने जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं को सजा सुनाई थी. अब इसी अदालत में अंतरिम सरकार ने हसीना के खिलाफ मुकदमा चलाया है और गवाहों की पूरी गवाही सुनी जा चुकी है. हसीना ने अभियोजन पक्ष पर आरोप लगाया कि वे उनके खिलाफ पूरी तरह मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, “अगर कोई अदालत में झूठी शिकायत करता है, तो कानून के तहत उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है, और एक दिन ऐसा होगा ही.”
हसीना ने ICT बताया को कंगारू कोर्ट
हाल के दिनों में शेख हसीना ने बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) को कंगारू कोर्ट बताते हुए आरोप लगाया कि इस पर उनके राजनीतिक विरोधियों से जुड़े पुरुषों का नियंत्रण है. दूसरी ओर, अवामी लीग ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) में यूनुस सरकार के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध, हत्याओं और अवैध गिरफ्तारियों के आरोप दायर किए हैं. वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हसीना के लगातार हो रहे इंटरव्यू और दखलअंदाजी से तिलमिला उठी है. उसने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है.
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