Harvard को ट्रंप की चुनौती, 2.2 अरब डॉलर की ग्रांट पर रोक, जानिए वजह

Harvard University: अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह ऐलान किया है कि अब सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी को दी जाने वाली वित्तीय सहायता बंद कर दी जाएगी. यह फैसला हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा ट्रंप प्रशासन के निर्देशों को मानने से इनकार करने के जवाब में लिया गया.

By Neha Kumari | April 15, 2025 1:23 PM

Harvard University: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि अब से सरकार से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाली वित्तीय सहायता बंद कर दी जाएगी. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को प्रति वर्ष प्रशासन की तरफ से 2.2 अरब डॉलर का ग्रांट और 60 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट राशि दिया जाता था, जो कि डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले के बाद बंद कर दिया जाएगा.

ट्रंप प्रशासन के फैसले के पीछे का कारण

जानकारी के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यह फैसला तब लिया गया जब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ट्रंप सरकार के कुछ आदेशों को मानने से मना कर दिया. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कुछ समय से प्रदर्शन चल रहा है, जिससे रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कुछ निर्देश दिए गए थे, जिसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने मानने से इनकार कर दिया था. जिसके जवाब में डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला आया.

ट्रंप सरकार का कहना है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एंटी-सेमिटिज्म, मतलब यहूदी विरोधी गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे रोकने के लिए कुछ जरूरी बदलाव करना आवश्यक है. लेकिन जब यूनिवर्सिटी ने प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देश मानने से इनकार कर दिया, तो ट्रंप की जॉइंट टास्क फोर्स टू कॉम्बैट एंटी-सेमिटिज्म ने यह कदम उठाया.

ट्रंप प्रशासन की मांगें क्या हैं?

ट्रंप प्रशासन द्वारा यूनिवर्सिटी को पिछले शुक्रवार को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें मांग की गई थी कि एडमिशन और हायरिंग मेरिट के आधार पर किया जाए. एडमिशन से पहले छात्र और फैकल्टी के विचारों की जांच की जाए. कुछ क्लबों की मान्यताओं को समाप्त कर दिया जाए. डाइवर्सिटी, इक्विटी और इनक्लूजन जैसे प्रोग्रामों के आयोजन बंद कर दिए जाएं. मास्क पहनने पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए. कैंपस में किसी भी तरह की हिंसा को बढ़ावा देने वाले संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

हार्वर्ड ने निर्देश मानने से क्यों किया इनकार?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट एलन गार्बर ने निर्देशों को मानने से साफ इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वह यूनिवर्सिटी की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों के साथ समझौता नहीं करेंगे.

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