H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर फीस से हड़कंप, 20 राज्यों ने ट्रंप सरकार को घसीटा कोर्ट में, कहा- विदेशी टैलेंट की हो सकती है कमी
H1b Visa Fee: अमेरिका में H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर फीस को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. कैलिफोर्निया की अगुवाई में 20 राज्यों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. राज्यों का आरोप है कि यह फैसला कानून और संविधान के खिलाफ है.
H1b Visa Fee: अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है. ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर की भारी-भरकम फीस लगा दी. बस इसी फैसले के खिलाफ 20 राज्यों ने मिलकर अदालत का दरवाजा खटखटा दिया है. ज्यादातर राज्य डेमोक्रेटिक हैं और इस मुकदमे की अगुवाई कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा कर रहे हैं. राज्यों का कहना है कि यह फैसला न सिर्फ गलत है, बल्कि कानून और संविधान दोनों के खिलाफ है.
H1b Visa Fee in Hindi: क्या है पूरा मामला?
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने 19 सितंबर से H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर की नई फीस लागू कर दी. इसके बाद 20 राज्यों ने ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा दायर कर दिया. इन राज्यों का आरोप है कि प्रशासन ने कांग्रेस से मिले अधिकारों से आगे बढ़कर फैसला लिया है. उनका कहना है कि यह कदम H-1B वीजा प्रोग्राम को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश जैसा है.
मुकदमे में साफ कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन ने वह काम किया है, जिसकी इजाजत कांग्रेस ने कभी नहीं दी. रॉब बॉन्टा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएनएन के हवाले से कहा कि कांग्रेस ने H-1B प्रोग्राम को बेहतर बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं. जिसमें फीस तय की, नियम बनाए और निगरानी बढ़ाई. लेकिन कभी भी किसी राष्ट्रपति को यह अधिकार नहीं दिया कि वह 1 लाख डॉलर जैसी फीस लगाकर पूरे प्रोग्राम की जड़ ही हिला दे.
शिक्षा और स्वास्थ्य सेक्टर पर सबसे बड़ा असर
रॉब बॉन्टा के मुताबिक, यह नई फीस सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के नियोक्ताओं पर गैरकानूनी आर्थिक बोझ डालेगी. उन्होंने कहा कि इसका सीधा असर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम क्षेत्रों पर पड़ेगा, जहां पहले से ही कर्मचारियों की कमी है. बॉन्टा ने कहा कि ट्रंप का यह गैरकानूनी 1 लाख डॉलर वाला फैसला कैलिफोर्निया के पब्लिक एम्प्लॉयर्स और जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा.
कैलिफोर्निया का तर्क क्या है?
बॉन्टा ने यह भी कहा कि कैलिफोर्निया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसने देखा है कि जब दुनिया भर के हुनरमंद लोग यहां आकर काम करते हैं, तो राज्य और देश दोनों आगे बढ़ते हैं. उनके अनुसार, इस तरह की फीस लगाने से न सिर्फ टैलेंट आना रुकेगा, बल्कि सिस्टम और कमजोर होगा. इस मुकदमे का सीधा मकसद है कि 1 लाख डॉलर की इस फीस पर रोक लगवाना.
राज्यों का कहना है कि इमिग्रेशन कानून और उससे जुड़ी फीस में इतने बड़े बदलाव का अधिकार सिर्फ कांग्रेस के पास है, राष्ट्रपति के पास नहीं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में बॉन्टा ने बताया कि जनवरी में ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से अब तक कैलिफोर्निया 49 मुकदमे दायर कर चुका है. रॉब बॉन्टा ने दो टूक कहा कि कोई भी राष्ट्रपति प्रशासन अपने मन से इमिग्रेशन कानून नहीं बदल सकता. कोई राष्ट्रपति मनमानी से हमारे स्कूलों, अस्पतालों और यूनिवर्सिटीज को अस्थिर नहीं कर सकता. न ही कोई राष्ट्रपति कांग्रेस, संविधान और कानून को नजरअंदाज कर सकता है.
US States Lawsuit Trump Administration in Hindi: कौन-कौन से राज्य मुकदमे में शामिल?
इस कानूनी लड़ाई में कुल 20 राज्य शामिल हैं. कैलिफोर्निया इस मुकदमे का नेतृत्व कर रहा है, जबकि मैसाचुसेट्स सह-नेतृत्व में है. इनके अलावा एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉय, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवाडा, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, नॉर्थ कैरोलाइना, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वॉशिंगटन और विस्कॉन्सिन भी शामिल हैं.
डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल्स की अगुवाई वाले इस गठबंधन ने शुक्रवार (12 दिसंबर) को इस कानूनी कार्रवाई का ऐलान किया. मुकदमे में कहा गया है कि DHS की यह नई नीति गैरकानूनी है और जरूरी सार्वजनिक सेवाओं के लिए खतरा बन सकती है. राज्यों का आरोप है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रोक्लेमेशन के जरिए यह फैसला लिया, जो एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसीजर एक्ट और अमेरिकी संविधान दोनों का उल्लंघन करता है.
H-1B वीजा क्यों जरूरी है?
H-1B वीजा प्रोग्राम विदेशी प्रोफेशनल्स को अमेरिका में काम करने की इजाजत देता है. इसके तहत वे लोग आते हैं जिनके पास बैचलर डिग्री या उसके बराबर की योग्यता होती है. अस्पताल, यूनिवर्सिटीज और पब्लिक स्कूल इस प्रोग्राम पर काफी हद तक निर्भर हैं. मुकदमे में बताया गया है कि अभी H-1B वीजा की शुरुआती फीस 960 डॉलर से लेकर 7,595 डॉलर तक है. ऐसे में सीधे 1 लाख डॉलर की फीस लगाने से हालात और बिगड़ सकते हैं.
बॉन्टा के अनुसार, पूरे अमेरिका में करीब 30 हजार शिक्षक H-1B वीजा पर काम कर रहे हैं, जबकि पिछले साल 17 हज़ार H-1B वीजा धारक स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में 2036 तक करीब 86 हजार डॉक्टरों की कमी हो सकती है. वहीं H-1B वीजा धारकों में शिक्षकों की संख्या तीसरे नंबर पर आती है. ऐसे में राज्यों का कहना है कि यह नई फीस शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है.
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