1150000000 रुपये का दरिया-ए-नूर, 117 साल बाद बांग्लादेश में खुलेगा कोहिनूर हीरे की बहन का रहस्य

Dariya-E-Noor Diamond: ढाका की बैंक तिजोरी में 117 साल से छिपा दरिया-ए-नूर हीरा अब खुलने वाला है. नवाबों के वंशज ख्वाजा नईम मुराद के परिवार का ऐतिहासिक खजाना, 26 कैरेट का यह बहुमूल्य हीरा कोहिनूर से जुड़ा है. बांग्लादेश सरकार ने तिजोरी खोलने का आदेश दिया है.

By Govind Jee | September 5, 2025 12:57 PM

Dariya-E-Noor Diamond: ढाका की एक बैंक तिजोरी में 117 साल से छिपा दरिया-ए-नूर हीरा अब फिर से चर्चा में है. यह हीरा, जिसे अक्सर कोहिनूर का बहन हीरा कहा जाता है, नवाबों के वंशज ख्वाजा नईम मुराद के लिए हमेशा से एक रहस्य बना हुआ था. अब बांग्लादेश सरकार ने नकदी संकट के बीच तिजोरी खोलने का आदेश दिया है और यह पता चल सकेगा कि ऐतिहासिक हीरा आज भी सुरक्षित है या नहीं. दरिया-ए-नूर 26 कैरेट का है और इसकी सतह लंबवत टेबल जैसी है. यह हीरा सोने की कलाईबंद में जड़ा हुआ था और इसके चारों ओर 10 छोटे हीरे लगे थे, जिनमें से हर एक लगभग 5 कैरेट का है. कहा जाता है कि इसे गोलकोंडा खानों से निकाला गया, वहीं से कोहिनूर भी आया था.

Dariya-E-Noor Diamond: ऐतिहासिक सफर, नवाबों से ब्रिटिश तक

ब्रिटिश राज से पहले हीरा माराठा शासकों के पास था. इसके बाद यह हैदराबाद के मंत्री नवाब सिराज-उल-मुल्क के परिवार के पास आया. फिर पंजाब के शासक रंजीत सिंह ने इसे पहना, और उनके निधन के बाद यह ब्रिटिशों के हाथ आया. कहा जाता है कि कोहिनूर के साथ ही इसे रानी विक्टोरिया को भेजा गया, लेकिन रानी इससे प्रभावित नहीं हुईं. 1887 में कलकत्ता के बैलीगंज में नवाब के घर वाइसराय लॉर्ड डफरिन और लेडी डफरिन ने हीरे को देखा. लेडी डफरिन ने अपनी पुस्तक Our Viceroyal Life in India में लिखा कि यह हीरा उन्हें बहुत आकर्षक नहीं लगा.

Rare diamonds in Bangladesh: बांग्लादेश में दरिया-ए-नूर

ढाका के पहले नवाब ख्वाजा अलीमुल्लाह ने 1852 में हीरे को नीलामी में खरीदा. 1908 में नवाब सलीमुल्लाह को वित्तीय संकट के कारण ब्रिटिश अधिकारियों से उधार लेना पड़ा और उन्होंने हीरे को बैंक में गिरवी रखा. इसके बाद यह हीरा पाकिस्तान के राज्य बैंक और अंततः सोनाली बैंक, बांग्लादेश तक पहुंचा. 1985 में तिजोरी खोली गई थी, लेकिन हीरे की मौजूदगी की कोई पुष्टि नहीं हुई.

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खजाने और वर्तमान कीमत

दरिया-ए-नूर उस समय 108 खजानों के संग्रह का हिस्सा था. इसमें शामिल थे, सोने-चांदी की तलवार, मोतियों से जड़ी टोपी और जड़ाऊ सितारा ब्रोच, जो कभी फ्रांसीसी महारानी के पास था. 1908 के अदालती दस्तावेजों में इसकी कीमत 5 लाख रुपये और पूरे खजाने का मूल्य 18 लाख रुपये बताया गया था. आज के हिसाब से यह लगभग 13 मिलियन डॉलर (115 करोड़ रुपये यानि कि 1150000000 रुपये) के बराबर है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे दुर्लभ हीरों का बाजार मूल्य इससे कई गुना अधिक हो सकता है.

सवाल अभी भी बने हुए हैं

ख्वाजा नईम मुराद ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया और कहा कि वह हीरे को देखने की उम्मीद रखते हैं. सोनाली बैंक के प्रबंध निदेशक शौकत अली खान के अनुसार, तिजोरी अब तक पूरी तरह नहीं खोली गई है. निरीक्षण टीम केवल गेट खोलकर हीरी के कमरे तक पहुंची थी. अब बांग्लादेश सरकार की अनुमति के बाद पता चलेगा कि दरिया-ए-नूर आज भी सुरक्षित है या नहीं. 117 साल से बंद इस ऐतिहासिक खजाने का रहस्य अब धीरे-धीरे खुलने वाला है.

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