गर्दन काट देंगे… चीन के डिप्लोमैट जियान ने जापानी पीएम को जापान में ही धमकाया, किस बात पर भड़का ड्रैगन?
China Japan Conflict: जापानी की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने पिछले महीने ही अपना पदभार संभाला है. उन्हें अपने ही देश में एक चीनी राजनयिक ने सिर काटने की धमकी दी है. इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.
China Japan Conflict: जापान की प्रधानमंत्री साने तकाइची को अपने ही देश में सर से कलम करने की धमकी मिली है. यह धमकी किसी और ने नहीं बल्कि उसके पड़ोसी देश चीन की ओर से आई है. जापान में तैनात एक चीनी राजनयिक ने ताइवान के समर्थन में दिए गए बयानों को लेकर तकाइची को सिर काटने की धमकी दे दी. इस बयान से टोक्यो में आक्रोश है. इस बयान के बाद पूर्वी एशिया की दो प्रमुख शक्तियों के बीच तनाव बढ़ गया है. हालांकि चीनी काउंसिल जनरल की टिप्पणी को सोशल मीडिया से हटा लिया गया है.
जापानी की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने पिछले महीने ही अपना पदभार संभाला है. उन्होंने शुक्रवार को संसद की एक समिति में कहा कि अगर चीन ताइवान की नाकाबंदी करता है, तो यह जापान के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करने वाली स्थिति बन सकती है. ऐसी स्थिति जो टोक्यो को अपनी सेल्फ-डिफेंस फोर्स तैनात करने के लिए मजबूर कर सकती है. पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी ताइवान एक लोकतांत्रिक रूप से शासित द्वीप है. यह 1949 से चीन से अलग शासन में रह रहा है. यह जापानी सीमा से केवल 60 मील की दूरी पर स्थित है. यह क्षेत्र विवाद का विषय है. चीन लगातार इस एरिया में अपनी सैन्य दादागिरी दिखा रहा है.
उस गर्दन को काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं
इसके जवाब में ओसाका स्थित चीन के काउंसिल जनरल जू जियान (Xue Jian) ने रविवार को एक्स/ट्विटर पर तीखी टिप्पणी की. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “वह गंदी गर्दन जो खुद ही आगे आ गई, मेरे पास उसे बिना एक पल गंवाए काट देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. क्या तुम इसके लिए तैयार हो?” यह पोस्ट बाद में हटा दी गई, लेकिन जापान सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी.
जापान ने दर्ज कराया विरोध
सरकार के मुख्य कैबिनेट सचिव मिनोरू किहारा ने इसे बेहद अनुचित करार दिया. उन्होंने टोक्यो का औपचारिक विरोध बीजिंग के सामने दर्ज कराया है. किहारा ने कहा कि जू पहले भी कई बार भड़काऊ बयान दे चुके हैं. जापान ने चीन से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है. इस तरह के बयान न देने की मांग की है.
चीन का जवाब: जू ने गलत कुछ नहीं कहा
हालांकि जापान की आलोचना के बावजूद, चीन ने अपने राजनयिक का बचाव किया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान (Lin Jian) ने सोमवार को कहा कि जू के बयान प्रधानमंत्री ताकाइची की गलत और खतरनाक टिप्पणियों के जवाब में थे. उन्होंने कहा कि ताकाइची के बयान चीन की स्थिति को गलत तरीके से पेश करते हैं. लिन ने जापान पर अपने ऐतिहासिक दायित्वों से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया. उन्होंने जापान को चेतावनी भी दे दी. लिन ने कहा कि टोक्यो को चीन के “आंतरिक मामलों में दखल” नहीं देना चाहिए.
ताकाइची का बयान नरम पड़ा
प्रधानमंत्री ताकाइची ने बाद में पत्रकारों से कहा कि उनके बयान सिर्फ काल्पनिक थे. यह एक हाइपोथेटिकल सिचुएशन पर आधारित थे. उन्होंने कहा कि वह भविष्य में ऐसे बयान देने से बचेंगी.
जापान की राजनीति और चीन के साथ तनाव
हालांकि यह घटना पहले से ही तनावपूर्ण चीन-जापान संबंधों को और बिगाड़ सकती है. ताइवान का मुद्दा चीन के लिए काफी अहम है. जबकि जापान के लिए अपनी सुरक्षा के लिए इस समय कुछ भी करने के लिए तत्पर दिख रहा है. चीन और जापान के बीच सेनकाकू द्वीप को लेकर भी तनातनी है. साने ताकाइची अपने राष्ट्रवादी विचारों और चीन के प्रति सख्त रुख के लिए जानी जाती हैं. वे देश की सेना को और मजबूत करने की पक्षधर दिखती रही हैं. जापान को अमेरिका (विशेष रूप से ट्रंप प्रशासन) के साथ भी रक्षा सहयोग मिलने की संभावना है.
चीन के खिलाफ खड़ा अमेरिका
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान की यात्रा की थी, जहां उन्होंने तकाइची से मुलाकात की. इस मुलाकात में दोनों नेताओं का आपसी सामंजस्य देखने लायक था. इसके साथ हाल ही में उन्होंने जापान के रक्षा बजट को GDP के 1% से ऊपर ले जाने की भी बात कही थी. ताइवान स्ट्रेट में स्थिरता बनाए रखने में जापान की अधिक सक्रिय भूमिका की वकालत भी तकाइची ने व्यक्त की है. वहीं अमेरिकी रक्षा अधिकारियों का भी लंबे समय से मानना है कि अगर ताइवान पर कोई संघर्ष होता है, तो उसमें जापान की भूमिका बेहद अहम होगी. इसी सिलसिले में चीन के खिलाफ बना अघोषित क्वॉड समिति में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के अलावा जापान और भारत हैं. यह एलायंस अभी भंग नहीं हुआ है, लेकिन भारत की शिथिलता की वजह से इसमें अनकहा, लेकिन सर्वमान्य बात यह है कि अब इसमें फिलीपींस की एंट्री हो चुकी है. भारत ने इस ग्रुप में मिलिट्री के उपयोग से साफ इनकार किया था.
ताइवान मुद्दा एशिया की राजनीति में कितना संवेदनशील और विस्फोटक है, यह चीनी राजदूत की टिप्पणी से समझा जा सकता है.
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