क्या है Mobile e-voting? जानें किस राज्य में शुरू हुई यह सेवा और किसे मिलेगा फायदा

Mobile e-voting: डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए बिहार देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जहां मोबाइल ऐप के जरिए ई-वोटिंग की सुविधा शुरू की जाएगी। यह नई व्यवस्था 28 जून को होने वाले नगर निगम और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों से शुरू होगी.

By Ankit Anand | June 24, 2025 4:59 PM
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Mobile e-voting: बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां मोबाइल आधारित ई-वोटिंग की शुरुआत होने जा रही है. 28 जून को होने वाले नगर निकाय चुनाव से इसकी शुरुआत होगी. इस नई व्यवस्था के तहत प्रवासी श्रमिकों, विकलांगों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोग अपने वोट एक सुरक्षित एंड्रॉयड ऐप के जरिए डाल सकेंगे. इस सिस्टम को C-DAC और बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने मिलकर तैयार किया है.

इसमें ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, फेस रिकग्निशन और लाइव फेस स्कैन जैसी एडवांस्ड तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है जिससे चुनाव की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जा सके. आइए विस्तार से जानते हैं इस नए e-voting सिस्टम के बारे में.

कैसे कर सकेंगे Mobile e-voting 

मोबाइल ई-वोटिंग सिस्टम दो एंड्रॉयड ऐप्स के जरिए किया जा सकेगा. पहला ऐप “e-Voting SECBHR” है जिसे सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) ने बनाया है. और दूसरा ऐप बिहार चुनाव आयोग द्वारा तैयार किया गया है.

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इन दोनों ऐप्स में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है जिनमें ब्लॉकचेन इंटीग्रेशन, लाइवनेस डिटेक्शन, फेशियल रिकग्निशन और लाइव फेस कंपेरिजन शामिल हैं. इन तकनीकों का उद्देश्य पहचान की धोखाधड़ी रोकना और वोटिंग प्रक्रिया को पूरी तरह सुरक्षित बनाना है.

किन्हें मिलेगा Mobile e-voting का फायदा?

इस नई सुविधा का लाभ उन लोगों को मिलेगा जो किसी वजह से मतदान केंद्र नहीं पहुंच पाते. इनमें प्रवासी मजदूर, दिव्यांगजन, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति शामिल हैं. राज्य चुनाव आयुक्त दीपक प्रसाद ने जानकारी दी कि अब तक 10,000 से ज्यादा मतदाता इस सेवा के लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं और अनुमान है कि आने वाले चुनावों में लगभग 50,000 लोग मोबाइल ई-वोटिंग के माध्यम से अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे.

लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से रखा जाएगा सुरक्षा और पारदर्शिता का ख्याल

इस सिस्टम में VVPAT जैसी ऑडिट ट्रेल तकनीक को शामिल किया गया है ताकि हर वोट का सुरक्षित रिकॉर्ड किया जा सके. इसके अलावा वोटों की गिनती के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR), EVM की सुरक्षा के लिए डिजिटल लॉक और मतदाता की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) जैसी आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया गया है.

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