माता सरस्वती के मंदिर में होती है मां लक्खी की पूजा
स्थानीय लोगों के अनुसार इस सरस्वती मंदिर का इतिहास करीब 70 वर्षों से भी अधिक पुराना है.
दो दशकों से चली आ रही है यही परंपरा, लोगों का उत्साह होता है चरम पर नियामतपुर. आसनसोल नगर निगम के कुल्टी इलाके में स्थित वार्ड संख्या 61 अंतर्गत कुलतोड़ा गांव के सरस्वती मंदिर में कोजागरी लक्खी पूजा का आयोजन लोगों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है. यहां पिछले दो दशकों से शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरी लक्खी पूजा की विशेष परंपरा निभायी जाती है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस सरस्वती मंदिर का इतिहास करीब 70 वर्षों से भी अधिक पुराना है. पहले यहां केवल मां सरस्वती की पूजा होती थी, लेकिन वर्ष 2003 में मंदिर समिति और ग्रामीणों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि इसी मंदिर में मां लक्ष्मी की पूजा भी की जायेगी, ताकि आसपास के गांव की महिलाएं एक स्थान पर एकत्रित होकर देवी की आराधना कर सकें. तब से हर साल यहां लक्खी पूजा का आयोजन होता आ रहा है. यह परंपरा अब पूरे क्षेत्र की पहचान बन चुकी है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस पूजा का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि ग्राम एकता और सामाजिक सद्भाव को भी मजबूत करना है. मंदिर समिति के सदस्यों के अनुसार, यह आयोजन अब आसनसोल–कुल्टी क्षेत्र में सामूहिक उत्सव का रूप ले चुका है, जिसमें हर वर्ग और उम्र के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.
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