हावड़ा : सती की शक्ति भगवान को भी झुका देती है: पं. शम्भु शरण लाटा

नया मंदिर (बांधाघाट) में श्रीराम सेवा समिति ट्रस्ट (हावड़ा) की नौ दिवसीय रामकथा का 8वां दिन हावड़ा : ‘कथा जहां भी होती है उससे सारे संसार का हित होता है. केवल कहने या सुनने वालों का भला नहीं होता क्योंकि शब्द नष्ट नहीं होते. आज तो विज्ञान ने भी मान लिया है जबकि हमारे शास्त्र […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 23, 2018 9:08 AM
नया मंदिर (बांधाघाट) में श्रीराम सेवा समिति ट्रस्ट (हावड़ा) की नौ दिवसीय रामकथा का 8वां दिन
हावड़ा : ‘कथा जहां भी होती है उससे सारे संसार का हित होता है. केवल कहने या सुनने वालों का भला नहीं होता क्योंकि शब्द नष्ट नहीं होते. आज तो विज्ञान ने भी मान लिया है जबकि हमारे शास्त्र तो बहुत पहले से कहते हैं कि शब्द ब्रह्म है. संसार का हित कथा से कैसे होता है? शब्द नष्ट नहीं होता.
आप जो कुछ भी बोलते हैं अंतरिक्ष में जमा हो जाता है. आजकल वातावरण में बुरे शब्द ज्यादा हैं और ऐसे बुरे वातावरण में जब राम नाम का शब्द और यह संकीर्तन अंतरिक्ष में पहुंचेगा तो बहुत लाभ होगा संसार का. इससे उसके पापों का शमन होगा. इसलिए कथा से संसार की भलाई है.’
ये उद्गार शनिवार को बांधाघाट के सेठ बंशीधर जालान स्मृति नया मंदिर में श्रीराम सेवा समिति ट्रस्ट (हावड़ा) की ओर से आयोजित नौ दिवसीय श्री रामकथा के अष्टम दिन वाणी भूषण पं. शम्भु शरण जी लाटा ने व्यक्त किये. उन्होंने महासती अनसुईया का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सती में इतनी शक्ति होती थी को भगवान को झुका दे. पतिव्रत धर्म कम नहीं है.
जब जीवन में आपत्ति आये तब अपना पति कैसा भी हो, बूढ़ा हो, रोगी, मूर्ख, धनहीन, अंधा, बेहरा, क्रोधी या अतिदीन हो. यदि नारी ऐसे पति का भी अपमान करती है तो उसको यमराज के यहां बहुत कष्ट सहना पड़ता है. नारी का एक धर्म, एक व्रत- मन से कर्म से वचन से पति को कष्ट ना पहुंचाए उसकी सेवा करे. जो सतमार्ग पर चलते हैं कभी-कभी भगवान उनकी परीक्षा लेते हैं लेकिन मेरा मानना है कि भगवान उस भक्त का यश इस संसार के सामने लाना चाहते हैं.
एक बार ऐसी लीला की कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश साधु बनकर अनसुईया माता के आश्रम में आये- भिक्षां देहि भिक्षां देहि. अनसुईया जी फल-फूल लेकर आयीं. साधुओं ने कहा हम भिक्षा नहीं लेते और फिर इन देवों ने महासती के सामने निर्वस्त्र होकर भोजन कराने की जो शर्त रखी उसके कारण इन देवों को सती ने अपने सतीत्व के बल पर बालक बना दिया.
पं. लाटा ने कहा कि प्रत्येक जीव में तीन गुण समाये हैं. सतोगुण, रजोगुण व तमोगुण. त्रिगुणमयी सृष्टि है जिसमें सतोगुण ज्यादा है वो व्यक्ति अच्छा है. जिसमें रजोगण ज्यादा है वो व्यक्ति परिश्रम बहुत करेगा, काम-धंधा बहुत करेगा और जिसमें तमोगुण ज्यादा है वो पड़ा रहेगा, आलसी होगा. रामचरित मानस में कहा गया है- त्रिविध जीव जग वेद बखाने. कल रविवार 23 दिसंबर को इस रामकथा का समापन होगा और इस दिन कथा का समय प्रातः 9.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक होगा.

Next Article

Exit mobile version