कोलकाता : दूरदर्शी, प्रेरक नेता, सच्चे मानवतावादी के साथ जेआइएस समूह के संस्थापक व चेयरमैन सरदार जोध सिंह का निधन हो गया. गुरुवार को जेआइएस समूह ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया. 98 वर्ष की आयु में श्री सिंह ने अपना शरीर छोड़ दिया. जेआइएस समूह की ओर से शोक प्रकट करते हुए बताया गया कि श्री सिंह एक सच्चे देशभक्त थे. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें ‘बाबूजी’ के रूप में भी संबोधित किया जाता था. जेआइएस परिवार के लिए वे वास्तव में सभी के पिता के समान थे, इसलिए उन्हें ऐसे शब्द से संबोधित किया गया था.
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जेआइएस समूह के संस्थापक व चेयरमैन सरदार जोध सिंह नहीं रहे
कोलकाता : दूरदर्शी, प्रेरक नेता, सच्चे मानवतावादी के साथ जेआइएस समूह के संस्थापक व चेयरमैन सरदार जोध सिंह का निधन हो गया. गुरुवार को जेआइएस समूह ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया. 98 वर्ष की आयु में श्री सिंह ने अपना शरीर छोड़ दिया. जेआइएस समूह की ओर से शोक प्रकट करते हुए […]
पिछले 66 वर्षों में जेआइएस समूह के लिए उत्कृष्टता, दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता के लिए उनका कभी न खत्म होने वाला अभियान प्रेरणादायक रहेगा और हमेशा जेआइएस समूह के साथ रहेगा, क्योंकि श्री सिंह इतने सालों में सम्मान के साथ एक विरासत बना गये हैं.
सरदार जोध सिंह का जन्म 1920 में मोंटगोमरी जिले के एक गांव में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था, जो भारत-पाक विभाजन के दौरान भारत में बस गये थे. लुधियाना में व्यापार की संभावनाओं के लिए खोज करने के बाद,
वह पूर्व की तरफ कोलकाता की ओर प्रस्थान किये. उन्होंने डेयरी कारोबार के लिए एक उपजाऊ जमीन देखी. सरदार जोध सिंह प्रथम 1952 में कोलकाता आये थे और तब से यह उनका घर बन गया. उन्होंने जल्द ही इस डायरी व्यवसाय को एक समृद्ध उद्यम में बदल दिया और कोलकाता के अग्रणी दूध डेयरी उत्पाद आपूर्तिकर्ताओं को दूध की आपूर्ति शुरू कर दी.
उन्हें अपने ऊर्जावान अभिनव विचारों और बच्चों के उत्साह के लिए याद किया जायेगा. वे परिवहन, लोहा और इस्पात, रियल एस्टेट, दूरसंचार बुनियादी ढांचे और शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक काम और उपक्रम बनाने में सफल रहे. जेआइएस समूह के शैक्षिक प्रयासों द्वारा उन्होंने निरक्षरता को हटाने के रास्ते में सबसे व्यापक रूप से अग्रणी भूमिका के तौर पर काम किए.
शिक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने का विचार पहली बार उनके अंदर उस वक्त उभर कर आया था, जब वे अपने ही बेटे को अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में नामांकित करने गये थे और उन्हें कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ा था. बाबूजी ने 1998 में आसनसोल में एक इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के साथ शिक्षा के क्षेत्र में अपना प्रथम अध्याय शुरू किया, 2000 में वह जेआइएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग हुआ. इस तरह वह आगे बढ़ते गये. आज उनके कठिन प्रयासों से जेआइएस ग्रुप शैक्षिक संगम बन गया है. शिक्षा के क्षेत्र में जेआइएस ग्रुप विभिन्न क्षेत्रों में 126 कार्यक्रमों व 26 संस्थानों के साथ विभिन्न कार्यक्रमों में नामांकित 35,000 से अधिक छात्रों के साथ पूर्वी भारत का सबसे बड़ा प्रमुख शैक्षिक सेवा प्रदाता है.
श्री सिंह हमेशा विद्यार्थियों से घिरा होना चाहते थे और यह विश्वास था कि हम सभी को एक उद्देश्य के लिए यहां जीवन दिया गया है. वे वास्तव में अपने विश्वास पर निर्भर रहते थे, क्योंकि उन्होंने अपनी उत्कृष्टता से कई जीवन को प्रकाशित किया. उन्होंने शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की, जहां अकादमिक प्रशिक्षण के अलावा, गहरी जड़ें मानव मूल्यों को सिखाया जाता है. साथ ही समाज को जिम्मेदार, सकारात्मक, योगदान देनेवाले युवा वयस्कों को वापस देने के लिए सिखाया जाता है. बाबूजी (श्री सिंह) के जुनून और कार्य नैतिकता एक उद्योग की कसौटी है. उन्हें केवल उनका परिवार ही नहीं, बल्कि हर किसी को वे याद आयेंगे. हर कोई उन्हें याद करेगा, जो बाबूजी को जानते हैं और उनके साथ बातचीत किये हैं और समय व्यतीत किये हैं.
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