अब एक ही ट्रैक पर एक साथ दौड़ेंगी दो ट्रेनें, रेलवे ने की ABS सिस्टम की शुरूआत

सहरसा जंक्शन सहित समस्तीपुर रेल मंडल के सभी हैवी रूटों पर सिस्टम से लैस किया जायेगा. ट्रेनों की गति तेज करने और सुरक्षित सफर के लिए सिग्नल सिस्टम को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है.

By Prabhat Khabar | February 17, 2023 2:32 PM

समस्तीपुर रेल मंडल के व्यस्ततम रूटों पर अब एक ही ट्रैक पर एक साथ दो ट्रेनें दौड़ेंगी. समस्तीपुर से उजियारपुर के बीच बुधवार को इंटरमीडिएट ब्लॉक सिस्टम की शुरुआत की गयी. आने वाले दिनों में मानसी से सहरसा, सहरसा से पूर्णिया, सहरसा से फारबिसगंज जैसे सेक्शन के हैवी रूटों पर इस सिस्टम को शुरू किया जायेगा.

सहरसा जंक्शन सहित समस्तीपुर रेल मंडल के सभी हैवी रूटों पर सिस्टम से लैस किया जायेगा. ट्रेनों की गति तेज करने और सुरक्षित सफर के लिए सिग्नल सिस्टम को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है. इस सिस्टम से वर्तमान संरचना के साथ रेलवे लाइन की क्षमता बढ़ जायेगी और ज्यादा ट्रेनें चल सकेंगी.

क्या है एबीएस सिस्टम

इंटरमीडिएट ब्लॉक सिस्टम प्रणाली रेलवे की आधुनिककरण सिस्टम प्रणाली में एक है. इसको लगाने से एक से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी पर सिग्नल लगेगा. एक स्टेशन से ट्रेन खुलते ही बीच के स्टेशन पर सिग्नल पहुंचेगी, ताकि अगले स्टेशन के लिए खुलते ही पीछे से दूसरी ट्रेन का परिचालन किया जा सके.

सेक्शन की दूरी

सहरसा-मानसी 41 किमी

सहरसा-फारबिसगंज 112 किमी

सहरसा-पूर्णिया कोर्ट 94 किमी

सहरसा-निर्मली 71 किमी

सहरसा सहित रेल मंडल के सभी अत्यंत व्यस्ततम रूटों पर लगेगा एबीएस सिस्टम

हैवी ट्रैफिक सेक्शन अब एबीएस प्रणाली सिस्टम से होंगे लैस

एक से दूसरे स्टेशन के बीच हर पांच किमी पर एक सिग्नल

अब स्टेशनों पर अधिक देर तक नहीं रुकेगी ट्रेन

एबीएस सिस्टम प्रणाली से लैस होने के बाद परिचालन की दृष्टि से परिचालन व्यवस्था बेहतर होगी. समय बचत के साथ ट्रेन की स्पीड बढ जायेगी. अधिक से अधिक ट्रेनों का परिचालन हो सकेगा. नयी व्यवस्था में 10 किलोमीटर स्टेशन की दूरी पर 5 किलोमीटर की रेंज में एक सिग्नल लगाया जायेगा. सुरक्षा के लिए एक अतिरिक्त लाइन होगी. भविष्य में छोटे स्टेशन का निर्माण किया जा सकेगा.

वीरेंद्र कुमार, सीपीआरओ, हाजीपुर जोन

हर पांच किमी पर एक सिग्नल :

एक से दूसरी स्टेशन बीच की दूरी 10 किमी होगी. पांच किमी के रेंज में एक सिग्नल लगेगा. अगर दूरी 10 किमी से कम है, तो और उस रेलखंड पर ट्रैफिक अधिक है तो भी एक से दूसरे स्टेशन के बीच एक सिग्नल लगेगा. सेफ्टी के दृष्टिकोण से उस जगह सिग्नल ओवरलैप भी किया जायेगा.

छोटे स्टेशन का भी होगा निर्माण :

सिस्टम के लगने से सुरक्षा और सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी. जहां-जहां पांच किमी की दूरी पर अतिरिक्त सिग्नल लगेगा. वहां पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से अतिरिक्त लाइन भी होगी. भविष्य में उस जगह पर एक छोटे स्टेशन का भी निर्माण किया जायेगा.

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