ट्रेन हादसों पर अब लगेगा ब्रेक, दक्षिण-पूर्व रेलवे के सभी व्यस्त रूटों पर होगा सुरक्षा ‘कवच’, जानिए कैसे करेगा काम

Train News : दक्षिण-पूर्व रेलवे के सभी व्यस्त रूटों पर अत्याधुनिक ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली 'कवच' लगाया जायेगा. इससे आये दिन ट्रेनों के बीच होने वाले टक्कर और ट्रेन हादसों को रोका जा सकेगा. यह प्रणाली डिजिटल रेडियो आधारित सिग्नलिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है.

By Dipali Kumari | June 10, 2025 11:36 AM

Train News : ट्रेन हादसों पर लगाम लगाने के लिए एक बेहतरीन कदम उठाया जा रहा है. दक्षिण-पूर्व रेलवे के सभी व्यस्त रूटों पर अत्याधुनिक ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली ‘कवच’ लगाया जायेगा. यह प्रणाली डिजिटल रेडियो आधारित सिग्नलिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है. वर्ष 2028 तक दक्षिण-पूर्व रेलवे के अंतर्गत 1563 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पर कवच सिस्टम के कार्यान्वयन की योजना है. रेलवे सूत्रों के अनुसार 2 जुलाई 2025 को इस परियोजना के लिए टेंडर खोला जायेगा. टेंडर में भाग लेने की अंतिम तिथि 16 जुलाई 2025 निर्धारित की गयी है.

इन रूटों पर लगेगा कवच

यह सुरक्षा कवच प्रणाली आद्रा, रांची, खड़गपुर और चक्रधरपुर मंडलों के तहत आने वाले विभिन्न रूटों पर लगाया जायेगा. इसमें खड़गपुर आद्रा सेक्शन, आसनसोल-आदा-चांडिल सेक्शन, पुरुलिया-कोटशिला-मुरी सेक्शन, कोटशिला बोकारो स्टील सिटी सेक्शन, रांची टोरी सेक्शन शामिल है. यह पूरा रेल नेटवर्क लगभग 1563 किलोमीटर में फैला हुआ है.

जानिये कैसे काम करता है कवच?

रेलवे अधिकारियों के अनुसार कवच प्रणाली को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यदि किसी ट्रेन को उसकी पटरियों पर निर्धारित दूरी के भीतर दूसरी ट्रेन के मौजूद होने की सूचना मिलती है, तो यह उसे स्वचालित रूप से रोक देती है. यह तकनीक रेडियो कम्युनिकेशन और उन्नत सिग्नल प्रोसेसिंग के माध्यम से कार्य करती है. कवच सेफ्टी इंटीमिटी लेवल-4 प्रमाणित है, जो विश्वसनीयता की दृष्टि से किसी भी सुरक्षा प्रणाली का सर्वोच्च स्तर माना जाता है. कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक का ट्रेनों के लिये अनुमोदित किया गया है. परीक्षण के दौरान यह भी प्रमाणित हुआ है कि कवच तकनीक तीन प्रमुख जोखिम स्थितियों, आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और सिग्नल की अनदेखी में प्रभावी रूप से कार्य करती है.

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सुरक्षा कवच की खासियत

  • कवच रेडियो के जरिए मूवमेट अथॉरिटी के कंटीन्युअस अपडेट के सिद्धांत पर काम करती है.
  • यदि रेल इंजन ब्रेक लगाने में असफल रहता है तो कवच टेक्नोलॉजी ऑटोमेटिक तरीके से ब्रेक लगा देती है.
  • एलसी गेट्स पास आते ही ड्राइवर के हस्तक्षेप के बिना कवच अपने आप सीटी बजाना शुरू कर देता है.
  • ट्रेन के रेड सिग्नल के करीब पहुंचने पर अपने आप ब्रेक लग जाते हैं. यह तकनीक लाइन-साइड सिग्नल रिपीट करती है, जो उच्च गति और धुंध वाले मौसम में बेहद उपयोगी है.
  • डायरेक्ट लोको-टू-लोको संवाद के जरिए टक्कर से बचाव और दुर्घटना की स्थिति में एसआरएस फीचर को सपोर्ट करती है.

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