केयू : शोध में नहीं होगी कॉपी-पेस्ट की गुंजाइश

गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य के लिए तैयार किया गया सॉफ्टवेयर... जमशेदपुर : पीएचडी शोधार्थी हों या शिक्षक, उनके द्वारा किये जानेवाले शोधकार्य तभी स्वीकृत होंगे, जब उसमें कहीं से कोई शोध सामग्री कॉपी-पेस्ट नहीं की गयी हो. यानी अब शोध में कॉपी पेस्ट की गुंजाइश नहीं होगी. कॉपी-पेस्ट की जांच के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2017 5:17 AM

गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य के लिए तैयार किया गया सॉफ्टवेयर

जमशेदपुर : पीएचडी शोधार्थी हों या शिक्षक, उनके द्वारा किये जानेवाले शोधकार्य तभी स्वीकृत होंगे, जब उसमें कहीं से कोई शोध सामग्री कॉपी-पेस्ट नहीं की गयी हो. यानी अब शोध में कॉपी पेस्ट की गुंजाइश नहीं होगी. कॉपी-पेस्ट की जांच के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है. यदि किसी शोधार्थी द्वारा किसी किताब या जर्नल से सामग्री कॉपी-पेस्ट की जाती है, तो उसका पता लगाने में यह सॉफ्टवेयर सहायता करेगा. सॉफ्टवेयर की सहायता से यह पता चल जायेगा कि सामग्री किस किताब या जर्नल के किस पृष्ठ ले ली गयी है. आगामी 21 जनवरी से वीमेंस कॉलेज में आरंभ हो रही सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में इस सॉफ्टवेयर से प्रतिभागी रू-ब-रू होंगे. सेंट्रल लाइब्रेरी नागपुर की हेड डॉ मंगला हिरकरे इसके बारे में विस्तृत जानकारी देंगी.
शोध गंगा व गूगल से जुड़ा है सॉफ्टवेयर. जितने भी शोध होते हैं, उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ‘शोध गंगा’ वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है. यह गुगल से भी जुड़ा है. सॉफ्टवेयर की खासियत है कि शोध गंगा में अपलोड किये गये शोध व गुगल में उपलब्ध समुचित सूचना, किताब, जर्नल वगैरह को एक बार में सर्च कर लेता है. इस तरह यदि किसी शोधार्थी द्वारा टेक्स्ट कॉपी या कट-पेस्ट किया जाता है, तो सॉफ्टवेयर के माध्यम से उसका पता चल जाता है. ऐसे में शोधार्थी को फिर नये सिरे से कार्य आरंभ करना पड़ सकता है.
गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस सॉफ्टवेयर को तैयार किया गया है. रिसर्च मैथडोलॉजी पर 21 जनवरी से आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में नागपुर से आ रहीं डॉ मंगला हिरकरे इसके बारे में विस्तृत जानकारी देंगी.
डॉ शुक्ला महंती, प्राचार्या, जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज