Video: कश्मीर के डल लेक से कम नहीं झारखंड का सतनाला झील, न्यू ईयर 2026 का यहां करें स्वागत
Jharkhand Tourism News: हरी-भरी वादियों, खेत-खलिहानों और झीलों-झरनों के लिए मशहूर झारखंड के झीलों की सूची में एक और झील जुड़ गया है. सतनाला झील का प्रबंधन करने वालों का दावा है कि इसे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में स्थित डल झील की तर्ज पर विकसित किया जायेगा. यहां अभी कया-क्या सुविधाएं हैं और आने वाले दिनों में कौन-कौन-सी सुविधा मिलने वाली है, इसके बारे में जान लेंगे, तो खुद को वहां जाने से रोक नहीं पायेंगे. फोटो और वीडियो यहां देखें.
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Jharkhand Tourism News| जमशेदपुर, निखिल सिन्हा : अगर आपको पहाड़, वादियों और झील का आनंद लेना है तो आपको जमशेदपुर शहर से काफी दूर जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जमशेदपुर शहर से मात्र 15 किलोमीटर दूर चांडिल प्रखंड के आसनबनी के जामडीह गांव में इस सुंदर और मनमोहक नजारा देखने को मिलेगा. जामडीह गांव किनारे स्थित सतनाला झील को पर्यटन स्थल का रूप दिया जा रहा है. इस झील को ग्रामीण डल झील की तर्ज पर तैयार कर रहे हैं.
आने वाले दिनों में सतनाला झील एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा. पहाड़ों पर साखू के हरे पेड़ों से यह जगह हिल स्टेशन जैसी लगती है. यहां का नजारा मनमोहक है. तीन ओर से पहाड़ों से घीरे इस झील की सुंदरता और भी बढ़ जाती है, जब सुबह-सुबह सूरज की रोशनी झील के पानी में पड़ती है. सतनाला झील किनारे बन रहा यह पर्यटक स्थल शहरवासी और आसपास के शहरों में रहने वाले लोगों के लिए एक नया पिकनिक स्पॉट भी बनने के लिए तैयार है.
न्यू ईयर 2026 के स्वागत के लिए तैयार सतनाला झील
सतनाला झील किनारे पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो चुका है. अभी हर दिन करीब 100 पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. न्यू ईयर 2026 में जमशेदपुर और आसपास के लोग पिकनिक मनाने यहां आ सकते हैं. यहां सभी प्रकार की सुविधा समिति द्वारा उपलब्ध करायी जायेगी. पिकनिक मनाने आने वाले लोगों को इसके लिए पहले संपर्क करना होगा. इस स्थल पर नशा करना पूरी तरह से वर्जित है.
- शहर और आस पास के लोगों के लिए तैयार हुआ सतनाला झील
- आने वाले दिनों में वाटर हाउस की भी सुविधा मिलेगी
- मोटर बोट की सुविधा जल्द, नशा करने वाले पर्यटकों को नो इंट्री
ग्रामीणों ने सोसाइटी का गठन कर बनाया पर्यटन केंद्र
सतनाला डैम के निर्माण के लिए जामडीह गांव के 51 लोगों की जमीन अधिग्रहण किया गया. उसके बाद गांव के लोगों ने मिलकर आसनबनी मत्स् जीवी स्वावलंबी सहकारिता समिति का गठन किया. गांव के लोगों को मछली पालन का प्रशिक्षण भी दिया गया. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वर्ष 2023 में आसनबनी मत्सयजीवी स्वावलंबी सहकारिता समिति का रजिस्ट्रेशन हुआ. बाद में इस समिति का नाम बदलकर आसनबनी मत्सयजीवी स्वावलंबी सहकारिता समिति सह नौका विहार कर दिया गया.
समिति के अध्यक्ष बद्री नाथ मांझी ने बताया कि शुरू में गांव के लोग इस जगह नहाते थे. उस वक्त झील किनारे आने के लिए सड़क नहीं थी. घना जंगल होने के कारण लोग आने से भी डरते थे. धीरे-धीरे यह नशेड़ियों का अड्डा बनने लगा. ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू किया. 51 लोगों ने झील किनारे बैठक की. तय किया कि प्रकृति की गोद में बसे इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये. इसके बाद गांव के लोगों की मदद से जगह को साफ किया गया. कच्ची सड़क का निर्माण हुआ. लोगों का आना-जाना शुरू हुआ, तो समिति के आवेदन पर सरकार ने झीले तक करीब 3 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करवा दिया.
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सचिव ने नौका विहार के लिए खरीदे दो बोट
आसनबनी मत्सयजीवी स्वावलंबी सहकारिता समिति सह नौका विहार के सचिव निताई चंद्र मंडल ने बताया कि मत्सय पालन के लिए 2 बोट उन लोगों के पास थे. सतनाला झील को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से उन्होंने दो नये बोट खरीदे हैं. मोर के आकार का यह बोट पैडल से चलता है. इसमें एक साथ चार लोग बैठ सकते हैं. नौका विहार के लिए पर्यटकों को एक गाइड और बोट हैंडलर भी दिया जाता है.
सचिव निताई चंद्र मंडल ने बताया कि जनवरी 2026 तक इस झील में मोटर बोट और कपल बोट भी उतारा जायेगा. इससे और ज्यादा लोग आकर्षित होंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इसे इतना खूबसूरत बना दिया जायेगा कि पर्यटकों को कश्मीर के डल झील जैसा अनुभव होगा. नौका विहार करने वाले पर्यटक के लिए सुरक्षा का भी पूरा इंतजाम है. बिना लाइफ जैकेट के उन लोगों को नौका विहार करने की इजाजत नहीं है. समिति ने ट्रेंड गोताखोर और तैराक भी तैनात किये हैं.
हाउस बोट और वाटर रिसोर्ट बनाने की है योजना
मंडल ने बताया कि सतनाला झील को डल झील के रूप में विकसित करने की योजना है. हाउस बोट, वाटर रिसोर्ट और बंबू हट बनाने की भी योजना है. पर्यटक यहां पानी के बीच में जाकर पार्टी कर सकें, इसके लिए सरकार से पत्राचार किया गया है. सरकार की अनुमति मिलने के बाद काम को आगे बढ़ाया जायेगा. झील के किनारे हट भी बनाये जायेंगे. इसमें लोग क्वालिटी टाइम स्पेंड कर सकेंगे. जंगल वाले भाग को समतल बनाकर स्थान को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जा रहा है. पर्यटकों के बैठने के लिए लकड़ी की ही बेंच और कुर्सी लगायी जा रही है.
Jharkhand Tourism News: ऐसे पहुंचें सतनाला झील
सतनाला झील सरायकेला-खरसांवा जिले के चांडिल प्रखंड और चांडिल थानांतर्गत जामडीह गांव में है. सतनाला झील जाने के लिए सबसे पहले आपको एनएच-33 स्थित पारडीह काली मंदिर आना होगा. पारडीह काली मंदिर से सतनाला झील करीब 2.5 किलोमीटर है. मंदिर से बायीं ओर से एक सिंगल रास्ता आसनबनी और जामडीह गांव की ओर गया है. करीब 2.5 किलोमीटर आसनबनी गांव पहुंच जायेंगे. हरी वादियों और जंगल के बीच बनी इस पक्की सड़क पर आगे जाने पर जामडीह गांव है. यहां से दो रास्ते हैं. पक्की सड़क पर आगे बढ़ जायें. 2.5 किलोमीटर की यात्रा पूरी होने के बाद आप सतनाला झील पहुंच जायेंगे.
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