Seraikela Kharsawan News : सफलता के लिए सकारात्मक सोच जरूरी : डीडीसी

कुचाई : कोल्हान नितिर तुरतुंग के स्टडी सेंटर में डीडीसी रीना हांसदा ने बच्चों संग किया संवाद

By ATUL PATHAK | July 22, 2025 11:32 PM

खरसावां. कुचाई स्थित कोल्हान नितिर तुरतुंग (केएनटी) के अध्ययन केंद्र में डीडीसी रीना हांसदा ने पहुंच कर बच्चों के साथ संवाद किया. डीडीसी ने बच्चों को अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर कड़ी मेहनत करने व सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी. उन्होंने कई उदाहरणों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रेरित किया. डीडीसी ने कहा कि सीमित संसाधनों में भी बेहतर किया जा सकता है. उन्होंने विद्यार्थियों को अपने रुची के अनुसार पढ़ाई करने तथा लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने की अपील की. साथ ही बच्चों से एक जिम्मेदार नागरिक बनकर दूसरों के लिए उदाहरण पेश करने की अपील की.

डीडीसी ने विद्यार्थियों के सवालों के दिये जवाब:

डीडीसी रीना हांसदा ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए जेपीएससी की तैयारियों को लेकर कई टिप्स दिये. सामान्य ज्ञान और सामान्य अध्ययन के लिए नियमित रूप से समाचार पत्र पढ़ने को कहा. विद्यार्थियों के सवालों पर उन्होंने अपने शैक्षणिक यात्रा साझा की. उन्होंने इस पुस्तकालय के संचालन में हर तरह से सहयोग करने का भरोसा दिया.

89 युवाओं को मिली सरकारी नौकरी : जामुदा

कोल्हान नितिर तुरतुंग के केंद्रीय अध्यक्ष माझी राम जामुदा ने कोल्हान नितिर तुरतुंग के स्थापना से लेकर अब तक के सफर पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि केएनटी द्वारा चाईबासा, चक्रधरपुर व कुचाई में संचालित तीन लाइब्रेरी में विद्यार्थी को निशुल्क रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करायी जाती है. साथ ही निशुल्क करियर गाइडेंस से लेकर सुरक्षा बल में भर्ती के लिए शारीरिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है. इन तीन लाइब्रेरी से जुड़ कर अबतक 89 युवाओं को सरकारी नौकरी भी मिल चुकी है.

लक्ष्य की प्राप्ति के लिए धैर्य रखें : बीडीओ

बीडीओ साधु चरण देवगम ने विद्यार्थियों से हमेशा पॉजीटिव एनर्जी के साथ आगे बढ़ने की अपील की. उन्होंने कहा कि बच्चे अपने बेहतर प्रदर्शन से परिवार, समाज व राज्य का नाम ऊंचा करें. केएनटी के उपाध्यक्ष रामचंद्र सोय ने कहा कि क्षणिक परिश्रम कर लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए धौर्य रखें. लगन के साथ कड़ी मेहनत करें. मौके पर गोपाल सोय, रामेश्वर हेंब्रम, गुरुचरण चौड़ा, सूरज डांगिल समेत अध्ययन केंद्र के 35 बच्चे मौजूद थे.

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