देश में हर साल एक लाख से अधिक लोग करते हैं सुसाइड, विश्व आत्महत्या रोकथाम जागरूकता दिवस पर बोलीं एक्सपर्ट
World Suicide Prevention Awareness Day: रांची के सदर अस्पताल में बुधवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम जागरूकता दिवस मनाया गया. जागरूकता के लिए सदर अस्पताल से फिरायालाल चौक तक प्रभात फेरी निकाली गयी. जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी (एनसीडी कोषांग) डॉ सीमा गुप्ता ने कहा कि औसतन भारत में हर साल 100000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं. आत्महत्या की कई वजह है. लक्षण दिखते ही सावधान होने की जरूरत है.
World Suicide Prevention Awareness Day: रांची-सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में बुधवार को विश्व आत्महत्या रोकथाम जागरूकता दिवस मनाया गया. जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी (एनसीडी कोषांग) डॉ सीमा गुप्ता ने कहा कि दुनियाभर में सालभर होने वाली कुल आत्महत्याओं में भारत में एक तिहाई संख्या महिलाओं की और लगभग एक चौथाई संख्या पुरुषों की होती है. औसतन भारत में हर साल 100000 से ज्यादा लोग आत्महत्या से अपनी जान गंवा देते हैं.
ये हैं आत्महत्या की मुख्य वजह
डॉ सीमा गुप्ता ने कहा कि आत्महत्या के मुख्य कारण नशीली दवाओं का दुरुपयोग/शराब की लत, दिवालियापन/ऋणग्रस्तता, बेरोजगारी, पारिवारिक समस्याएं खास तौर पर बुजुर्गों का अकेलापन एवं स्कूल-कॉलेज के बच्चों के बीच रिजल्ट को लेकर स्पर्धा समेत अन्य वजह होते हैं. अवसाद, एंजाइटी, चिंता जैसे मानसिक तनाव के कारण लोग जीवन को त्यागने के लिए उतारू हो जाते हैं. भारत आत्महत्या की रोकथाम के लिए कई तरह की पहल कर रहा है. 2022 में शुरू की गई राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (एनएमएचपी) का लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या से होने वाली मौतों को 10 फीसदी तक कम करना है.
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ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
डॉ तवा रिजवी ने कहा कि जो लोग मानसिक अवसाद ,एंजाइटी, चिंता आदि से ग्रसित होते हैं, वैसे लोगों में आत्महत्या करने की इच्छाएं जागृत हो जाती हैं. ऐसे लोगों में कुछ खास लक्षण दिखाई देते हैं. मानसिक रोगों के मुख्य लक्षण, मनोदशा में बदलाव, लंबे समय तक उदास, निराश या चिड़चिड़ा महसूस करना, चिंता और बेचैनी, अत्यधिक चिंता या घबराहट महसूस करना बिना किसी स्पष्ट कारण के, सामाजिक अलगाव, दोस्तों और परिवार से अलग रहना और उन गतिविधियों में रुचि न लेना जो पहले पसंद थीं. सोचने में कठिनाई, ध्यान केंद्रित करने, याद रखने या तार्किक रूप से सोचने में समस्या होना, आदत और व्यवहार में बदलाव, नींद न आना या बहुत ज्यादा सोना, भूख में परिवर्तन या व्यक्तिगत देखभाल (जैसे स्नान) में कमी, कार्यशीलता में गिरावट, स्कूल, कार्यस्थल या अन्य सामाजिक गतिविधियों में प्रदर्शन में असामान्य गिरावट, प्रेरणा या पहल की कमी, किसी भी काम को करने की इच्छा न होना या उदासीनता महसूस करना, असामान्य विचार या व्यवहार, वास्तविकता से अलगाव महसूस करना, भ्रम या मतिभ्रम होना या अजीब व्यवहार करना.
जागरूकता के लिए निकली प्रभात फेरी
कार्यक्रम के अंत में जागरूकता के लिए प्रभात फेरी सदर अस्पताल रांची से फिरायालाल चौक तक निकाली गयी. कार्यक्रम के दौरान डॉ सरिता, फाइनेंशियल एंड लॉजिस्टिक कंसल्टेंट सरोज कुमार, जिला प्रोग्राम असिस्टेंट अभिषेक देव, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे.
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