100 कारतूस रखने वाले कांके के जमीन कारोबारी कमलेश सिंह को किस आधार पर मिली जमानत?

Ranchi Jameen Ghotala: कांके के जमीन कारोबारी कमलेश कुमार सिंह को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है. कोर्ट ने उसे रिहा करने के आदेश दे दिये हैं. कोर्ट ने कहा है कि संदेह के आधार पर किसी की प्रतिष्ठा धूमिल नहीं की जा सकती. प्रवर्तन निदेशालय के तमाम विरोध के बावजूद हाईकोर्ट ने कमलेश को रिहा करने के आदेश दिये. उसके घर से 100 कारतूस और नकद बरामद हुए थे.

By Mithilesh Jha | September 26, 2025 9:42 PM

Ranchi Jameen Ghotala: कांके के जमीन कारोबारी कमलेश कुमार को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है. घर में 100 कारतूस रखने वाले कमलेश सिंह को जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने किस आधार पर जमानत दी? झारखंड हाईकोर्ट के 16 पन्ने के जजमेंट में कमलेश कुमार उर्फ कमलेश कुमार सिंह (पिता किरण प्रसाद, हाउस नं-51, दीपाटोली, बांधगाड़ी, पोस्ट-दीपाटोली, थाना-बरियातू, रांची) के खिलाफ ईसीआईआर दायर करने वाली केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई पर क्या-क्या टिप्पणियां की हैं. यह भी जानना जरूरी है कि कमलेश कुमार सिंह को किस आधार पर ईडी ने गिरफ्तार किया. उसके खिलाफ क्या-क्या आरोप हैं. इन सभी सवालों का जवाब हम यहां आपको बतायेंगे.

21 जून 2024 को कमलेश के घर मिले थे कारतूस, नकद

कमलेश कुमार सिंह के घर से 100 जिंदा कारतूस मिले थे. उसके खिलाफ दर्ज 2 मुकदमों और जमीन के अवैध कब्जे से संबंधित अन्य सूचनाओं के आधार पर ईडी ने उसके खिलाफ ECIR/RNZO/14/2024 दर्ज किया था. उसके खिलाफ कांके के गोंदा पुलिस स्टेशन में केस संख्या 174/2024 (अवैध हथियार/गोला-बारूद रखने का मामला) दर्ज हुआ था. केस 21 जून 2024 को कमलेश सिंह के कब्जे वाले एक परिसर से 100 कारतूस की बरामदगी के बाद दर्ज की गयी थी.

26 जुलाई 2024 से हिरासत में था कमलेश कुमार सिंह

कमलेश सिंह को ECIR No 05 of 2024 (जो ECIR/RNZO/14/2024 से संबंधित है) के तहत धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के अपराधों के मामले में गिरफ्तार किया गया था. वह 26 जुलाई 2024 से हिरासत में था.

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कमलेश कुमार सिंह पर लगे आरोप

  • कमलेश कुमार सिंह के घर से 100 कारतूस मिले.
  • जिस घर से कारतूस मिले, वहीं से 1,02,18,000 रुपए भी मिले
  • गोंदा पीएस केस संख्या 120/2022 में कमलेश सिंह पर एक व्यक्ति से धोखाधड़ी का आरोप लगा, जिसमें कांके के मौजा-नगरी में खाता संख्या 101 की 5 डिसमिल जमीन बेचने की बात कही गयी थी.
  • शिकायतकर्ता ने कथित तौर पर संपत्ति खरीदने के लिए 24 लाख रुपए दिये, लेकिन बाद में मालूम हुआ कि यह जमीन जनजातीय भूमि (Tribal Land) थी. जमीन बेचने वाले के पास इसका कोई वैध दस्तावेज नहीं था.
  • ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने अपनी शिकायत में कमलेश सिंह की भूमिका को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में सीधे तौर पर शामिल बताया.
  • ईडी ने कहा कि कमलेश सिंह मौजा-चामा, कांके अंचल में फर्जी नीलामी कागजात (जैसे नीलाम केस संख्या 77/1938-39, 819/1935-36, 898/1937-38) बनाकर कुल 85.53 करोड़ रुपए की अनुमानित मूल्य वाली जमीनों के अधिग्रहण में सीधे तौर पर शामिल था.
  • कमलेश पर कांके के अंचल अधिकारी के साथ मिलकर सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने और फर्जी स्वामित्व बनाने का आरोप लगा.
  • प्रवर्तन निदेशालय का आरोप था कि कमलेश ने सह-अभियुक्तों के साथ मिलकर नगरी और अन्य मौजा की जमीन खरीदने की इच्छा रखने वाले लोगों को धोखा दिया और 45,85,000 रुपए की कमाई की.
  • ईडी ने आरोप लगाया कि बरामद कारतूस और संबंधित हथियार का उपयोग कांके अंचल के ग्रामीणों की भूमि जबरन कब्जा करने में करता था.

बचाव पक्ष की दमदार दलीलें

  • बचाव पक्ष के वकील कौशिक सरखेल ने हाईकोर्ट में दलील दी कि कमलेश सिंह के घर से बरामद कारतूस उनके मुवक्किल के सुरक्षा गार्ड कौशल कुमार सिंह के पास लाइसेंसी राइफल के थे. सुरक्षा गार्ड ने कारतूस जारी करने के लिए अदालत में याचिका भी दायर की है.
  • वकील ने यह भी कहा कि इसी परिसर से बरामद 1,02,18,000 रुपए को अपराध की आय मानने के लिए कोई आपराधिक शिकायत दर्ज नहीं है. कमलेश सिंह ने PMLA की धारा 50 के तहत दर्ज अपने बयान में इस राशि के विस्तृत स्रोत की जानकारी दी है.
  • जमीन फर्जीवाड़ा के मामले में कमलेश सिंह के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि अभियोजन पक्ष का यह मामला नहीं है कि कमलेश सिंह को शिकायतकर्ता से कोई पैसा मिला है. मनी ट्रेल कमलेश सिंह तक नहीं पहुंचती. इसलिए उनके खिलाफ आरोप बेबुनियाद हैं.

ईडी के विरोध के बावजूद कमलेश को मिली जमानत

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रिटेनर काउंसिल अमित कुमार दास ने कमलेश सिंह की जमानत का कड़ा विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष के तर्कों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आलोक में उसे जमानत दे दी. इसके लिए PMLA में जमानत का आधार कोर्ट ने V Senthil Balaji बनाम ED केस को बनाया.

हाईकोर्ट ने बताया जमानत देने का आधार

मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि PMLA जैसे सख्त प्रावधानों के बावजूद, यदि ट्रायल उचित समय सीमा में पूरा होने की कोई संभावना नहीं है, तो संवैधानिक न्यायालय (High Court/Supreme Court) अनुच्छेद 21 (शीघ्र सुनवाई का अधिकार) के उल्लंघन के आधार पर जमानत दे सकते हैं.

निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की संभावना नहीं

हाईकोर्ट ने कहा कि कमलेश सिंह 26 जुलाई 2024 से हिरासत में है. निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की कोई संभावना नहीं है. बचाव पक्ष ने यह भी बताया कि संबंधित प्राथमिकियों (प्रेडिकेट ऑफेंस) में अभी तक कोई अंतिम रिपोर्ट/चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है. यदि वह प्रेडिकेट ऑफेंस में निर्दोष पाये जाते हैं, तो PMLA का केस अपने आप निष्प्रभावी हो जायेगा.

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