Prabhat Khabar Samvad: वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बतायीं झारखंड बजट की प्राथमिकताएं, मंईयां सम्मान योजना पर क्या बोले?

Prabhat Khabar Samvad: झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर बजट पूर्व प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक क्षेत्रों के उत्थान के लिए बजट होगा. तीन मार्च को बजट पेश किया जाएगा.

By Guru Swarup Mishra | February 27, 2025 5:05 AM

Prabhat Khabar Samvad: रांची, (आनंद मोहन-सतीश कुमार)-तीन मार्च को झारखंड सरकार बजट पेश करेगी. हेमंत सोरेन-पार्ट टू का यह पहला बजट होगा. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर बजट पेश करेंगे. बजट को लेकर लोगों की कई उम्मीदें है. वहीं सरकार का वित्तीय कौशल भी देखा जायेगा. मंईयां सम्मान योजना को लेकर सरकार ने फोकस किया है. बजट की बड़ी राशि इस योजना पर खर्च की जानेवाली है. सरकार के अलग-अलग विभागों की अपनी मांगें और योजना है. राज्य सरकार के समक्ष संसाधन बढ़ाने की चुनौती है. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर बजट पूर्व प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक क्षेत्रों के उत्थान के लिए बजट होगा. जनता पर वित्तीय भार नहीं दिया जाएगा.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करनेवाला होगा बजट-वित्त मंत्री


बजट पूर्व प्रभात खबर संवाद में वित्त मंत्री ने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन के पार्ट टू की सरकार का यह बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करनेवाला होगा. हम आधारभूत संरचना को भी मजबूती प्रदान करेंगे. लेकिन सामाजिक क्षेत्र में भी लोगों के सामाजिक आर्थिक उन्नति की भी व्यवस्था करेंगे. चालू वित्तीय वर्ष में बजट का आकार एक लाख 28 हजार 900 करोड़ रुपये का है. राजस्व संग्रहण का लक्ष्य 78 हजार 47 करोड़ है. प्रतिशत के हिसाब से देखेंगे तो जनवरी तक 60 प्रतिशत राजस्व संग्रहण हुआ है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह चुनावी वर्ष था. वित्त मंत्री ने कहा कि वे इस बात को स्पष्ट कर रहे हैं कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट से जनता पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़नेवाला है.

जरूरी है मंईयां सम्मान योजना-वित्त मंत्री

वित्त मंत्री ने कहा कि दूसरी बात यह है कि 2025-26 में सरकार अपना टैक्स संग्रहण लक्ष्य को बढ़ाना चाह रही है. लक्ष्य के अनुरूप राजस्व संग्रहण पूरा नहीं होने के कई कारण हैं. यदि सिर्फ करों की चोरी रोक देते हैं, तो सात से आठ हजार करोड़ रुपये राजस्व बढ़ जायेगा. उनका पूरा प्रयास है कि टैक्स की चोरी नियंत्रित करते हुए सोर्स ऑफ रेवेन्यू को बढ़ाया जाये. इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज व अन्य आधारभूत संचरना की आवश्यकता थी. वहीं, सोशल सेक्टर को बढ़ाने की जिम्मेवारी भी राज्य सरकार की है. उन्होंने कहा कि मंईयां सम्मान योजना पर लोगों ने राजनीतिक टिप्पणियां जरूर की हैं, लेकिन यह जरूरी है. यह पहला अवसर है कि हेमंत सरकार ने सोशल सेक्टर और राज्य की आधी आबादी की उन्नति के लिए कदम उठाया है. आज राज्य जहां भी खड़ा है, उसमें महिलाओं का योगदान बहुत बड़ा है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बात करें तो देखेंगे कि महिलाओं की सहभागिता बढ़ी है.

केंद्र से मिले बकाया राशि-वित्त मंत्री


एक सवाल के जवाब में राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि कोयला व दूसरे खनिज इस राज्य के राजस्व को कई गुना बढ़ा सकते हैं. केंद्र सरकार से बकाया राशि 1.36 लाख करोड़ झारखंड को मिल जाती, तो राजस्व संग्रहण में बहुत कुछ करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. बातचीत के क्रम में वित्त मंत्री ने बताया कि इसको लेकर जनवरी में मेरी मुलाकात केंद्रीय वित्त मंत्री व कोयला मंत्री से भी हुई. दोनों ने स्वीकार किया कि पैसे बकाया हैं. इसे हमें झारखंड को देना है, लेकिन हम एक जमीनी आकलन करना चाहते है कि किस हेड में कितना बकाया है. वित्त मंत्री ने कहा कि राजनीतिक कारणों से पैसा रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है.

सोशल सेक्टर के उत्थान के लिए होगा यह बजट-वित्त मंत्री


यह पूछने पर कि बजट में प्राथमिकता किस क्षेत्र में होगी, तो वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सोशल सेक्टर के उत्थान को लेकर यह बजट तैयार किया जा रहा है. सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर ट्राइब्स, ननट्राइब्स अल्पसंख्यक को आर्थिक रूप से बढ़ाने को लेकर ठोस कदम उठाये जायेंगे, ताकि उनके चेहरे पर खुशियां देखने को मिली. एससी-एसटी, पिछड़ों की आबादी के जीवन शैली को कैसे बेहतर बनाया जा सके. इसको ध्यान में रखा जायेगा. यह पूछने पर क्या राजस्व बढ़ाने के लिए वैट की दरों में संशोधन करेगी सरकार? वित्त मंत्री ने दो टूक कहा कि बजट को सामने आने दीजिए. उन्हें पूरा विश्वास है कि जिस बात की चिंता है वह परिलक्षित नहीं होगी.

बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए मंत्री की विभागों को सलाह


वित्त मंत्री ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए विभागों को सलाह देते हुए कहा कि कागज में खर्च कर बता देना ही पर्याप्त नहीं है. उसका परिणाम क्या आया, उस पर भी नजर रखनी पड़ती है. बजट कैलेंडर बहुत पहले से बना हुआ है. अगर उसे फॉलो कर लिया जाता तो पैसा खर्च भी होगा. योजना में राशि चली भी जायेगी. इसका बेहतर परिणाम भी दिखायी देगा. हर तीन माह में इसकी मॉनिटरिंग हुई, तो सारी चीजें पटरी पर रहेगी.

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