10 मिनट हो जाती देर तो रांची का यह परिवार भी हो जाता आतंकी हमले का शिकार, साझा की अपनी आपबीती
Pahalgam Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से रांची का एक परिवार बाल बाल बचा है. उन्होंने प्रभात खबर के साथ अपनी कहानी साझा की है. उन्होंने बताया कि समय रहते उन्हें घटना की जानकारी बो गयी थी.
Pahalgam Attack, रांची : जम्मू कश्मीर के पहलगाम हमले का दृश्य लोगों को झकझोर दिया है. जिन्होंने इस घटना में अपनों को खोया वो अपने आपबीती को मीडिया के साथ साझा कर रहे हैं. इस हमले में कई लोग ऐसे भी हैं जो बाल बाल बचे हैं. इन्हीं में से एक हैं रांची के रहने वाले रेणु सिंह और उनके पति एमके सिंह. उन्होंने प्रभात खबर के साथ अपनी आपबीती को साझा किया. रेणु सिंह ने बताया कि वह और उनके पति एमके सिंह पूरे परिवार के साथ एक हफ्ते के लिए जम्मू-कश्मीर घूमने निकले थे. 22 अप्रैल को उनकी भी योजना दोपहर बाद पहलगाम की उसी घाटी में जाने की थी, जहां वो दर्दनाक घटना हुई.
ड्राइवर ने होटल लौटने को कहा
रेणु सिंह ने बताया कि बच्चे नीचे एम्युजमेंट पार्क में घूमने गये थे. हम ऊपर खच्चर वाले से बात कर रेट तय कर रहे थे. तभी हमारे कैब ड्राइवर को कोई खबर मिली. वो घबराया हुआ उनके पास आया और उनसे जल्दी होटल लौटने को कहा. इसके वे तुरंत होटल की ओर लौट पड़े. उन्होंने कहा कि उनके होटल पहुंचने से पहले ही करीब 10 मिनट के अंदर ही आसमान में हेलीकॉप्टर मंडराने लगे. पुलिस की गाड़ियों के सायरन गूंजने लगे. तब तक उन्हें नहीं पता था कि क्या हुआ है.
होटल पहुंची तब पता चला कि घाटी में हमला हुआ है
रेणु सिंह आगे कहती हैं कि होटल पहुंचकर जब टीवी ऑन किया, तो पैरों तले जमीन खिसक गयी. खबर थी कि घाटी में आतंकी हमला हुआ है. पर्यटक मारे गये हैं. होटल में उस रात वह सब सहमे हुए थे. रास्ते में जो नजारा देखा, वो आंखें नम कर गया. अगले दिन उन्होंने तय कर लिया कि अब कश्मीर से निकलना ही है. बुधवार सुबह छह बजे ड्राइवर को कहा कि हमें जम्मू तक पहुंचा दे. कश्मीर प्रशासन ने एडवाइजरी जारी की थी.
जम्मू जाने वालों के लिए थे वैकल्पिक रास्ते के इंतजाम
रेणु ने बताया कि जो लोग जम्मू जाना चाहते थे उनके लिए वैकल्पिक रास्ते के इंतजाम किये गये थे. यानी लोग मुगल रोड से सोपोर-पुलवामा होते हुए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह रास्ता आमतौर पर पर्यटकों के लिए बंद रहता है. लेकिन हालात को देखते हुए इसे खोला गया था. ड्राइवर ने हामी भरी और वह उसी रास्ते पर निकल पड़े. करीब 16 घंटे का सफर तय करना था. रास्ता बहुत सुंदर था, लेकिन उतना ही दुर्गम भी.
स्थानीय लोग दे रहे थे पानी, जूस और नाश्ता
रेणु सिंह ने कहा कि उन सबके मन में डर तो था, लेकिन रास्ते में जो नजारा देखा, वो आंखें नम कर गया. गांव-गांव में लोग खड़े थे. उनके हाथों में पानी, जूस, नाश्ता और खाना था. वे मुस्कुरा कर उन्हें दे रहे थे. कह रहे थे : डरिए मत, आप हमारे मेहमान हैं. हर दो-ढाई किलोमीटर पर सुरक्षा जांच हो रही थी. जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान बेहद शालीनता से पूछताछ कर रहे थे. साथ ही यह भी देख रहे थे कि कहीं कोई पर्यटक असहज तो नहीं है. वे खुद भी घटना पर अफसोस जता रहे थे. कह रहे थे कि कश्मीरियों को बदनाम किया जा रहा है. करीब 16 घंटे की यात्रा के बाद जब वे रात 10 बजे जम्मू पहुंचे तो राहत की सांस ली
मैडम, टायर खराब हो गया…इसलिए ज्यादा पैसे ले रहा हैं
रेणु सिंह ने कहा कि लौटने के दौरान गाड़ी का एक टायर खराब हो गया था. इस कारण ड्राइवर ने तय पैसे से करीब चार हजार रुपये ज्यादा लिये. वो भी मजबूर था. बोला : मैडम, गाड़ी का टायर खराब हो गया. आप सबको सही सलामत पहुंचाना ज्यादा जरूरी था. रेणु सिंह आगे कहती है कि ड्राइवर 10 मिनट भी देर करता तो वे शायद कहानी नहीं सुना रही होती.
