साहिबगंज और पाकुड़ में बाढ़, 35,000 से ज्यादा जिंदगियां प्रभावित, अंधेरे में कट रहीं रातें और कैद में जिंदगी
Jharkhand Flood: झारखंड के साहिबगंज जिले और पाकुड़ में बाढ़ से लोग परेशान हैं. साहिबगंज जिले में 35 हजार से अधिक लोग पूरी तरह से आम जन जीवन से कट गये हैं. रातें अंधेरे में कट रही है. बाढ़ में कैद हो गयी है जिंदगी. वहीं, पाकुड़ में 25 परिवारों को दूसरों के घर में शरण लेनी पड़ी है.
Jharkhand Flood: झारखंड के साहिबगंज और पाकुड़ जिले में बाढ़ आ गयी है. गंगा नदी के रौद्र रूप ने गंगा नदी के रौद्र रूप ने साहिबगंज जिले में भारी तबाही मचायी है. सदर, राजमहल, उधवा, तालझारी और मंडरो के दियारा क्षेत्रों में 35,000 से ज्यादा लोग पूरी तरह से आमजीवन से कट गये हैं. टापुओं पर शरण लेने को मजबूर हैं. उनकी जिंदगी अब पूरी तरह से राहत और बचाव कार्यों पर निर्भर हो गयी है. वहीं, पाकुड़ में लगातार बारिश से बांसलोई (मसना नदी) का जलस्तर बढ़ गया है. इससे झीकरहाटी पूर्व पंचायत के जामतला और चंडीतला गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. दोनों गांवों के 25 परिवार दूसरों के घरों में शरण लेने को मजबूर हैं.
नगर परिषद क्षेत्र के 11 वार्डों में घुसा बाढ़ का पानी
साहिबगंज शहर का हाल भी कुछ ऐसा ही है. नगर परिषद क्षेत्र के 11 वार्डों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे भरतिया कॉलोनी, रसूलपुर दहला, नया टोला, हरीपुर, और हबीबपुर जैसे मुहल्लों में सैकड़ों घर जलमग्न हो गये हैं. मंगलवार को बनिया पट्टी दहला, मास्टर कॉलोनी, और सकरोगढ़ नया टोला जैसे नए इलाकों में भी पानी भरने से लोगों की मुश्किलें और बढ़ गयीं. भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री बजरंगी यादव के घर तक बाढ़ का पानी पहुंच चुका है.
बाढ़ के कारण अंधेरे में कट रहीं रातें और कैद में जिंदगी
बाढ़ ने लोगों की जिंदगी को चौतरफा मुश्किल बना दिया है. कई मुहल्लों में बिजली काट दी गयी है, जिससे हजारों लोग रातें अंधेरे में गुजारने को मजबूर हैं. लोगों का घरों से निकलना लगभग नामुमकिन हो गया है. जरूरी कामों के लिए छोटी नाव (डेंगी) ही एकमात्र सहारा है. मासूम बच्चे भी अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से सफर कर रहे हैं. जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर गंगा किनारे के स्कूलों को बंद रखने का निर्देश दिया है, जबकि नगर परिषद टैंकरों के जरिए पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है.
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Jharkhand Flood: राहत की खबर, पर खतरा बरकरार
मामूली राहत की खबर केंद्रीय जल आयोग से आयी है. इसमें कहा गया है कि मंगलवार को गंगा नदी खतरे के निशान से 1.37 मीटर ऊपर थी, अब उसका जलस्तर स्थिर हो गया है. अगले 24 घंटों में इसमें 14 सेंटीमीटर की कमी आने की संभावना है. हालांकि, खतरा अभी टला नहीं है. चानन में सीवरेज प्लांट के पास गंगा नदी से हो रहे कटाव ने एक नयी चिंता खड़ी कर दी है. कटाव के कारण प्लांट की चहारदीवारी गिरने की कगार पर है, जो एक और आपदा को न्योता दे सकता है. लोग अपने मवेशियों के साथ गंगा तट पर डेरा डाले हुए हैं. उनकी आंखों में आने वाले कल को लेकर अनिश्चितता और भय साफ दिख रहा है.
गंगा की बाढ़ को देखते हुए सदर, राजमहल, उधवा में राहत सामग्री वितरित की जा रही है. मानव व पशु कैंप में पदाधिकारी नजर बनाये हुए हैं. प्रशासन सर्वे कर राहत सामग्री और बांटेगा.
गौतम भगत, एसी, साहिबगंज
पाकुड़ के जामतला और चंडीतला गांव में घुसा बाढ़ का पानी
पाकुड़ में लगातार बारिश से बांसलोई (मसना नदी) का जलस्तर बढ़ गया है. इससे झीकरहाटी पूर्व पंचायत के जामतला और चंडीतला गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. पानी भर जाने के कारण दोनों गांवों के करीब 25 परिवार अपने घर छोड़कर दूसरे के घरों में शरण लेने को मजबूर हैं. ग्रामीण अपने मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए चंडीतला ब्रिज के ऊपर बांधकर उनकी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं. स्थिति की जानकारी मिलते ही पंचायत की मुखिया नरगिस सुलताना ने गांव का दौरा किया और बाढ़ पीड़ित परिवारों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया.
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जलस्तर बढ़ा तो 5 और गांव आ सकते हैं बाढ़ की चपेट में
उन्होंने कहा कि जलस्तर बढ़ने पर स्थिति और गंभीर हो सकती है. मुखिया के अनुसार, अगर पानी का स्तर बढ़ता रहा तो सकरघाट, सितारामपुर, इस्लामपुर, कंकड़बोना पिल्लीपुर और उदयनारायणपुर समेत 5 और गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं. मुखिया ने कहा कि बांध का निर्माण होना जरूरी है. स्थायी समाधान के बिना हर साल ग्रामीणों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. उन्होंने जिला प्रशासन से तुरंत कार्रवाई करने और प्रभावित परिवारों को पर्याप्त राहत व पुनर्वास की व्यवस्था करने की अपील की.
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गांव में पानी भरने से लोग परेशान
गांव में पानी भरने से लोगों को आवगमन में भी परेशानी हो रही है. लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कठिनाई हो रही है. वहीं, पंचायत के अतिउर रहमान ने बताया कि मसना नदी पर बना बांध करीब पांच साल पहले टूट गया था. इसके बाद से हर बरसात में यह क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ जाता है. बारिश के दौरान नदी का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है. रहमान ने कहा कि बांध की मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए कई बार प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई. इस संबंध में पाकुड़ सीओ अरविंद कुमार बेदिया ने बताया कि मामले की जानकारी नहीं थी. जानकारी प्राप्त कर राहत कार्य जल्द शुरू कर दिया जायेगा.
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