सच्चाई से मुंह मोड़ रही हेमंत सरकार, विस्थापन की समस्या कांग्रेस की देन : रघुवर

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कमर्शियल माइनिंग के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी पर हेमंत सोरेन सरकार के रुख पर एतराज जताया है़ श्री दास ने कहा है कि राज्य सरकार कोल खदान नीलामी में व्यवधान डाल रही है़

By Prabhat Khabar | June 25, 2020 12:12 AM

रांची : पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कमर्शियल माइनिंग के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी पर हेमंत सोरेन सरकार के रुख पर एतराज जताया है़ श्री दास ने कहा है कि राज्य सरकार कोल खदान नीलामी में व्यवधान डाल रही है़ नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता है़ यह नीलामी ऑनलाइन होगी. कोई भी ऑनलाइन ऑक्शन में भाग ले सकता है़ नीलामी से राज्य को काफी राजस्व की प्राप्ति होगी़ इससे राज्य का विकास होगा़ हेमंत सोरेन सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है़

यह विकास विरोधी कदम है और राज्य की सरकार तथ्यों की अनदेखी कर रही है़ श्री दास ने कहा कि कोल ब्लॉक नीलामी को लेकर मुख्यमंत्री के बयान में विरोधाभास है़ पहले कोरोना महामारी की बात कर तत्काल इस प्रक्रिया रोकने की आग्रह करते हैं और फिर इस मुद्दे पर झारखंड के सामाजिक और पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का बहाना कर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली जाती है़ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस कांग्रेस की वैसाखी पर वर्तमान राज्य सरकार चल रही है, विस्थापन, लाल पानी, काला पानी की समस्या उसी कांग्रेस की देन है़ राज्य सरकार केंद्र से टकराव का बहाना खोज रही है़

केंद्र व राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों के कारण ही विस्थापितों को अधिकार नहीं मिला़ श्री दास ने कहा कि केंद्र व राज्य की त्रुटिपूर्ण नीतियों को देखते हुए उनके नेतृत्व में बनी पूर्ववर्ती सरकार ने एचइसी, बोकारो स्टील प्लांट, सीसीएल आदि को आवंटित जमीन का पट्टा देने की शुरुआत की थी़ पहले किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था़ उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा माइनिंग फंड में झारखंड को हर साल 1000 से 1200 करोड़ तक की राशि भेजी जाती है़ इस राशि से मेरे नेतृत्व में गठित पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने पेयजल के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम किया.

इससे धनबाद, बोकारो, रामगढ़, चाईबासा, गोड्डा आदि क्षेत्रों में जलापूर्ति योजना पर काम जारी है़ पूर्व मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस एग्रीमेंट की चर्चा करते हुए कहा है कि इस एग्रीमेंट के तहत भारत को 2030 तक ऊर्जा उत्पादन का 40 प्रतिशत नन फोर्सिंग फ्यूल से करना है, जिसके लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि को प्रोत्साहित किया जा रहा है़ वर्तमान में सीसीएल द्वारा 2030 तक छूटे हुए कोल ब्लॉक का खनन नहीं हो पायेगा़

चूंकि आने वाले वर्षों में कोयला की आवश्यकता कम हो जायेगी और बचे हुए कोयला का कुछ वर्षों बाद कोई उपयोगिता नहीं रह जायेगी़ ऐसे में यह आवश्यक है कि निजी क्षेत्र के माध्यम से कोयला खनन कर वर्तमान के कोयला आयात को कम किया जाये़ उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक की नीलामी की प्रथम चरण में पूरे देश में 41 कोल ब्लॉक की नीलामी की जा रही है़ जिनमें 12 माइंस है़ं

कोयला ब्लॉक की नीलामी में जो राशि प्राप्त होगी, वह राज्य सरकार को मिलेगी़ इससे माइंस को लगभग 10 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा़ यह राशि रायल्टी व डिस्ट्रकी मिनरल फंड में मिलने वाली राशि के अतिरिक्त होगी.

posted by : Pritish Sahay

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