झारखंड : राजभवन में जनजातीय संस्कृति की गूंज, राज्यपाल ने किया ‘उरांव धर्म एवं प्रथाएं’ पुस्तक का लोकार्पण
Book Launch In Ranchi: रांची के राजभवन में राज्यपाल संतोष गंगवार की अध्यक्षता में प्रसिद्ध मानवशास्त्री शरत चंद्र राय द्वारा लिखित और राज रतन सहाय द्वारा हिंदी में अनुवादित पुस्तक ‘उरांव धर्म एवं प्रथाएं’ का लोकार्पण किया गया. यह पुस्तक उरांव जनजाति की जीवन-शैली, धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मान्यताओं का विस्तृत शोधपरक दस्तावेज है. कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा सहित कई जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधि और शोधकर्ता मौजूद रहे.
Book Launch In Ranchi, रांची : रांची के राजभवन में मंगलवार को एक समारोह में प्रसिद्ध मानवशास्त्री शरत चंद्र राय द्वारा लिखित और राज रतन सहाय द्वारा हिंदी में अनुवादित पुस्तक ‘उरांव धर्म एवं प्रथाएं’ का औपचारिक लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल संतोष गंगवार ने की. यह पुस्तक उरांव जनजाति की जीवन-शैली, धार्मिक विश्वासों, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक परंपराओं का विस्तृत और शोधपरक दस्तावेज माना जाता है. इसके हिंदी अनुवाद से आम पाठकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए जनजातीय समाज को समझने का एक आसान माध्यम उपलब्ध हो गया है.
राज्यपाल संतोष गंगवार बोले- पुस्तक समृद्ध जनजातीय परंपराओं का परिचय
मौके पर राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने संबोधन में कहा कि यह पुस्तक केवल एक शोध ग्रंथ नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध जनजातीय परंपराओं का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिचय है. उन्होंने अनुवादक की भाषा-सरलता की सराहना करते हुए कहा कि यह कृति मुख्यधारा के पाठकों को उरांव समाज की जीवन-दृष्टि और सांस्कृतिक धरोहर को समझने में मदद करेगी. राज्यपाल का कहना था कि पारंपरिक ज्ञान और लोक-विश्वासों का संरक्षण समय की जरूरत है और ऐसे साहित्यिक प्रयास इसमें महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
किसी राज्य की पहचान में जनजातीय संस्कृति की भूमिका अहम : पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा
कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसी भी राज्य की पहचान में जनजातीय संस्कृति की अहम भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि अनुवाद केवल शब्दों का परिवर्तन नहीं, बल्कि भाव, संदर्भ और सांस्कृतिक संवेदनाओं को फिर से प्रस्तुत करने का एक गंभीर दायित्व है.
पहले दो महत्वपूर्ण कृतियों का कर चुके हैं अनुवाद
अनुवादक राज रतन सहाय ने इस अवसर को अपने लिए सौभाग्य बताते हुए कहा कि यह कार्य उनके सेवा-भाव और जनजातीय समाज के प्रति समर्पण का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वे शरत चंद्र राय की दो अन्य महत्वपूर्ण कृतियों ‘आदिम मुंडा एवं उनका प्रदेश’ और ‘बिरहोर’ का अनुवाद कर चुके हैं.
कौन कौन लोग थे उपस्थित
कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और लोहरदगा विधायक रामेश्वर उरांव, पूर्व मंत्री सरयू राय, पूर्व सांसद सुदर्शन भगत, झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति सविता सेंगर, पूर्व कुलपति डॉ. सत्यनारायण मुंडा के सहित अनेक शोधकर्ता, लेखक और विभिन्न जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
