बिरसा मुंडा जेल से डांस वीडियो वायरल, बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर निशाना साधा- हाईकोर्ट से की बड़ी मांग

Birsa Munda Jail Viral Video: रांची स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में कैदियों के डांस पार्टी का वीडियो वायरल होने के बाद राजनीति गरमा गई है. बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर VIP कैदियों को विशेष सुविधाएं देने का आरोप लगाया है और हाईकोर्ट से पूरे मामले की जांच की मांग की है.

By Sameer Oraon | November 6, 2025 9:20 PM

Birsa Munda Jail Viral Video, रांची: रांची स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल एक बार फिर सुर्खियों में है. वजह है अलग अलग आरोपों की वजह से जेल में बंद दो लोग जेल में डांस पार्टी करते दिखाई पड़े हैं, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद जेल आइजी ने दो पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया. अब इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी कर सरकार पर करारा हमला बोला है. उनका आरोप है कि जेल के अंदर रसूखदार कैदियों को पैसे और प्रभाव के दम पर विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं.

प्रभावशाली कैदियों के लिए बनाया गया है विशेष वार्ड : बाबूलाल मरांडी

बाबूलाल मरांडी बड़ा आरोप लगाते हुए आगे लिखते है कि जेल में प्रभावशाली कैदियों के लिए अलग ‘विशेष वार्ड’ बने हुए हैं. इन वार्डों में रहने के लिए एंट्री फीस तथा हर माह तय राशि देनी होती है. उन्होंने दावा किया कि जेल कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से कैदियों को हर वह सुविधा उपलब्ध होती है, जो जेल मैनुअल के खिलाफ है.

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बाबूलाल बोले- दो कर्मचारियों को निलंबित करना खानापूर्ति

पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी कई बार सरकार तक पहुंचाई, लेकिन कार्रवाई की जगह उल्टा उस अधिकारी को हटाया गया, जिसने ‘वीआईपी सुविधाओं’ पर रोक लगाने की कोशिश की थी. वायरल वीडियो के बाद सिर्फ दो कर्मचारियों को निलंबित कर खानापूर्ति की गई. वहीं दूसरी ओर, जिस जेल अधिकारी दिनेश वर्मा को हजारीबाग जेल में विशेष सुविधा देने के आरोप में हाल ही में निलंबित किया गया था, उनका निलंबन समाप्त कर बिरसा मुंडा जेल में नये प्रभारी कारापाल के रूप में पदस्थापित कर दिया गया. इससे पूरे जेल प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं.

बाबूलाल मरांडी ने की हाईकोर्ट से संज्ञान लेने की मांग

बाबूलाल मरांडी का इस पूरे मामले पर कहना है कि ‘जेल खेल’ सिर्फ छोटे कर्मचारियों के बूते संभव नहीं है. इसके पीछे उच्च अधिकारियों की सहमति और संरक्षण शामिल है. उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की है कि वे इस प्रकरण पर संज्ञान लें और किसी सिटिंग जज की निगरानी में पूरे केस की जांच कराई जाए.

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