एजी की आपत्ति पर लोक लेखा समितियों ने नहीं दी रिपोर्ट

रांची: विधानसभा की लोक लेखा समितियों ने राज्य गठन के बाद से 12 वर्षो तक की अवधि में महालेखाकार द्वारा उठायी गयी आपत्तियों पर अपनी रिपोर्ट नहीं दी है. इन आपत्तियों में करीब सात हजार करोड़ रुपये के खर्च की प्रक्रिया और गड़बड़ी से संबंधित रिपोर्ट है. महालेखाकार ने इन रिपोर्ट में सरकार के विभिन्न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2015 6:12 AM
रांची: विधानसभा की लोक लेखा समितियों ने राज्य गठन के बाद से 12 वर्षो तक की अवधि में महालेखाकार द्वारा उठायी गयी आपत्तियों पर अपनी रिपोर्ट नहीं दी है. इन आपत्तियों में करीब सात हजार करोड़ रुपये के खर्च की प्रक्रिया और गड़बड़ी से संबंधित रिपोर्ट है. महालेखाकार ने इन रिपोर्ट में सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा खर्च की गयी राशि में हुई गड़बड़ी और उसकी प्रक्रिया पर आपत्ति की है.
महालेखाकार द्वारा ऑडिट रिपोर्ट में बतायी गयी गड़बड़ी सहित अन्य प्रकार की अनियमितताओं पर अंतिम रूप से विचार करने के लिए लोक लेखा समिति का गठन किया जाता है. समिति को महालेखाकार द्वारा उठायी गयी आपत्तियों पर विभागीय अधिकारियों और महालेखाकार के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद अपनी रिपोर्ट देती है. इसके लिए लोक लेखा समिति को तीन माह का समय मिलता है. पर, राज्य में एजी की आपत्तियों पर लोक लेखा समिति की रिपोर्ट राज्य गठन के समय से ही नहीं मिली है. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 से 2012 तक की अवधि में महालेखाकार ने सरकार के काम-काज में नियमों के उल्लंघन और वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में कुल 429 रिपोर्ट (ऑडिट पैरा) दी.
महालेखाकार द्वारा उठायी गयी इन आपत्तियों के मद्देनजर संबंधित विभागों ने सिर्फ 194 आपत्तियों पर अपना जवाब लोक लेखा समिति को भेजा. शेष 235 आपत्तियों पर विभाग ने अपना जवाब नहीं दिया. लोक लेखा समिति ने जिन आपत्तियों पर विचार-विमर्श किया उन पर भी अपना अंतिम प्रतिवेदन नहीं दिया.