Jharkhand Hospital Conditions : इमरजेंसी से लौटाये जा रहे गंभीर मरीज, रिम्स-सदर के आइसीयू बेड फुल
Jharkhand Hospital Conditions : झारखंड में ठंड का कहर जारी है. रिम्स-सदर में वेंटिलेटर व आइसीयू बेड फुल है. मरीज भटक रहे हैं. 70 से 85 वर्ष के रोगियों से वार्ड भरे हैं. दिल और श्वसन संबंधी बीमारियों में 20 फीसदी का उछाल नजर आ रहा है.
Jharkhand Hospital Conditions : कड़ाके की ठंड में गंभीर बीमारियों के बढ़ते मामलों के बीच रिम्स और सदर अस्पताल में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट यूनिट में बेड की कमी हो गयी है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राजधानी के सदर अस्पताल और रिम्स में वेंटिलेटर से सुसज्जित गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) में कोई बेड खाली नहीं है. रिम्स ट्रामा सेंटर, न्यूरो और कार्डियक केयर सेंटर में बेड के लिए वेटिंग लिस्ट लंबी होती जा रही है. गंभीर मरीजों को भी जिन्हें तत्काल उपचार की जरूरत है, उन्हें बेड के लिए सिफारिश करनी पड़ रही है या फिर 24 से 48 घंटे बाद ही बेड मिल रहा है.
पिछले दो दिनों में कई मरीजों को अस्पताल की इमरजेंसी से ही बेड नहीं होने की वजह से लौटा दिया गया है. ठंड और शीतलहर ने दिल, मस्तिष्क, उच्च रक्तचाप और श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों की स्थिति को और जटिल बना दिया है. सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों को हो रही है. अस्पताल के बेड 70 से 85 वर्ष के बुजुर्गों से भर गये हैं. रोजाना सदर अस्पताल से मरीज रिम्स रेफर किये जा रहे हैं, वहीं रिम्स में बेड उपलब्ध नहीं होने से उन्हें निजी अस्पतालों में भेजा जा रहा है.
गंभीर मरीजों को नहीं मिल रहे वेंटिलेटर सपोर्ट बेड
सरकारी अस्पतालों में रिम्स और सदर मिलाकर तकरीबन 200 आइसीयू बेड हैं, जो सभी भरे हुए हैं. वेंटिलेटर सहित बेड्स की भारी किल्लत है. सदर अस्पताल में सोमवार दोपहर 12:30 बजे तक 30 में से केवल एक बेड उपलब्ध था, जिसमें भी वेंटिलेटर की सुविधा नहीं थी. इमरजेंसी में 10 में से छह बेड खाली थे, लेकिन यहां भी वेंटिलेटर नहीं है. सीसीयू में दो और कार्डियो में दो वेंटिलेटर की सुविधा भले ही है, लेकिन वह भी अक्सर खराब रहती है या जरूरत के मुताबिक दूसरे वार्डों में स्थानांतरित कर दी जाती है.
बुजुर्ग पिता के लिये वेंटिलेटर बेड तलाश कर रहे थे विकास
बोकारो निवासी विकास रविवार से ही अपने बुजुर्ग पिता के लिये वेंटिलेटर बेड तलाश कर रहे थे. उन्होंने पहले रिम्स और सदर अस्पताल से संपर्क किया, लेकिन कहीं कोई बेड नहीं मिला. वे एंबुलेंस से एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे. एंबुलेंस का ऑक्सीजन सिलेंडर भी खत्म होने वाला था. उनके पिता का ऑक्सीजन लेवल जानलेवा स्तर तक गिर चुका था. अंततः उन्हें मजबूरीवश बरियातू स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
सदर अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या
-अगस्त : आइसीयू – 140, इमरजेंसी – 401
-सितंबर : आइसीयू – 153, इमरजेंसी – 362
-अक्टूबर : आइसीयू – 124, इमरजेंसी – 436
-नवंबर : आइसीयू – 164, इमरजेंसी – 413
-दिसंबर : आइसीयू – 169, इमरजेंसी – 379
ठंड बढ़ने से अस्पतालों में गंभीर मरीजों की तादाद अचानक बढ़ गयी है. इसे देखते हुए एचडीयू वार्ड की जरूरत पड़ रही है, ताकि ज्यादा मरीजों को बिस्तर उपलब्ध कराते हुए उनका उपचार किया जा सके. इनमें ज्यादातर बुजुर्ग मरीज हैं. ऐसे मामलों में करीब 20% की वृद्धि हुई है. यह सच है कि अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ रहे हैं और हमें गंभीर मरीजों को रिम्स रेफर करना पड़ रहा है.
-डॉ प्रभात कुमार, सिविल सर्जन, रांची
