झारखंड कांग्रेस में किचकिच: 8 जून से शुरू हुई कहानी 1 अगस्त को परवान चढ़ी, ऐसे बात पहुंची इस्तीफे तक

आनंद मोहन रांची : प्रदेश कांग्रेस में परस्पर असहमति और कमोबेश विद्रोह की मुख्य वजह प्रदेश अध्यक्ष का इगो ही बताया जा रहा है. उन्हें संवाद कर मुद्दों पर सहमति बनानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने खुद ही मोर्चा खोल दिया. रफ्ता-रफ्ता कांग्रेस के अंदर माहौल और परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा़ लोकसभा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 14, 2019 1:35 AM

आनंद मोहन

रांची : प्रदेश कांग्रेस में परस्पर असहमति और कमोबेश विद्रोह की मुख्य वजह प्रदेश अध्यक्ष का इगो ही बताया जा रहा है. उन्हें संवाद कर मुद्दों पर सहमति बनानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने खुद ही मोर्चा खोल दिया. रफ्ता-रफ्ता कांग्रेस के अंदर माहौल और परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा़ लोकसभा चुनाव ने प्रदेश के आला नेताओं को डॉ अजय के खिलाफ खड़ा कर दिया.

लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी आरपीएन सिंह के रिश्ते सहज थे़, लेेकिन लोकसभा में गठबंधन से शुरू हुई यह कहानी श्री सिंह के साथ कड़वे रिश्ते में तब्दील हो गयी़ लोकसभा चुनाव खत्म हुए, तो डॉ अजय की घेराबंदी शुरू हुई़ इनके खिलाफ विरोध के स्वर उभरने लगे़ लोकसभा चुनाव की समीक्षा होनी थी. उधर डॉ अजय दबाव में थे़ पार्टी की समीक्षा बैठक टाली जाती रही, लेकिन सुबोधकांत सहाय से लेकर दूसरे विरोधियों की रणनीति थी कि बैठक हो और डॉ अजय को घेरा जाये.

समीक्षा बैठक के बाद बढ़ी कटुता

आठ जून को आरपीएन सिंह लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार चुनाव की समीक्षा करने रांची पहुंचे़ डॉ अजय और श्री सिंह एक ही फ्लाइट से रांची आते हैं और होटल शिवानी इंटरनेशनल में रुकते है़ं यहीं से कांग्रेस भवन जाना था़ डॉ अजय को इस बात का एहसास था कि बैठक में विरोधी हंगामा कर सकते है़ं होटल के बाहर उनके समर्थक भी जुटे थे़. समीक्षा बैठक में अध्यक्ष, प्रभारी के साथ जाना चाहते थे़, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. इधर, डॉ अजय इस इंतजार में होटल में ही रहे कि प्रभारी के बुलावे के बाद वह बैठक में पहुंचेंगे़ प्रभारी ने प्रदेश अध्यक्ष को समीक्षा बैठक में नहीं बुलाया. समीक्षा बैठक में डॉ अजय के खिलाफ कई लोगों ने माेर्चा खोला़ प्रभारी ने सबकी सुनी और बिना प्रदेश अध्यक्ष के ही समीक्षा बैठक संपन्न हो गयी़ यहीं से प्रभारी और अध्यक्ष के रिश्तों में खटास आ गयी.

देखते ही देखते मामला दिल्ली पहुंच गया

लोकसभा चुनाव को खत्म हुए महीनों गुजर गये. पार्टी अपने हाल से पस्त थी़ डॉ अजय ने समीक्षा बैठक नहीं बुलायी. हालांकि, आरपीएन सिंह चाहते थे कि बैठक हो़ प्रभारी ने बैठक बुलाने को कहा, तो अध्यक्ष ने बताया कि वह बाहर हैं, लौट कर बैठक करेंगे़ जून से अगस्त आ गया. एक अगस्त को डॉ अजय ने बैठक बुलायी़ इसके साथ ही कांग्रेस के अंदर का विवाद सड़क पर आ गया़ डॉ अजय कार्यालय पहुंचे, तो उनके साथ धक्का-मुक्की हुई़ सुबोधकांत के समर्थकों ने ‘डॉ अजय गो बैक’ के नारे लगाये, तो डॉ अजय के समर्थकों ने भी विरोध किया़ पत्थरबाजी हुई, पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा़ और फिर मामला दिल्ली पहुंच गया.

बहस होने के बाद पद और रिश्ते की दीवारें टूटी

प्रभारी आरपीएन सिंह और राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने डॉ अजय सहित विक्षुब्ध नेताओं को दिल्ली बुलाया़ इस बीच श्री सिंह और डॉ अजय के बीच दूरियां लगातार बढ़ती गयी. दिल्ली में कैंप कर रहे सुबोध के समर्थकों से प्रभारी मिल रहे थे़ सुबोध समर्थक फेसबुक पर प्रभारी के साथ फोटो पोस्ट कर रहे थे़ बात यहां तक बढ़ गयी कि डॉ अजय और प्रभारी की फोन पर बहस हो गयी. दोनों के बीच पद और रिश्ते की दीवारें टूट गयी. आरोप-प्रत्यारोप लगाये गये. चुनाव से लेकर अब तक सारी बातें सतह पर आ गयीं. इसके बाद डॉ अजय के सामने कोई रास्ता नहीं बचा था़ प्रभारी के लिए भी डॉ अजय के साथ काम करना सहज नहीं रह गया था. इसके बाद लोकसभा चुनाव और गठबंधन के कारण प्रदेश कांग्रेस के आला नेता डॉ अजय ने राहुल गांधी सहित कुल नौ नेताओं को अपना इस्तीफा भेज दिया.

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