‘शिबू सोरेन अमर रहे’ के नारे से गूंजा नेमरा, लोग बोले- झारखंडियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे दिशोम गुरु

Shibu Soren News Today: झारखंड मुक्ति मोर्चा के सह-संस्थापक, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, 8 बार के लोकसभा सांसद, राज्यसभा के सदस्य और अलग झारखंड राज्य के लिए सबसे लंबे समय तक संघर्ष करने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन हो गये. उनके श्राद्ध भोज के दिन उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जो जनसैलाब उमड़ा, उसने साबित कर दिया कि शिबू सोरेन एक व्यक्ति नहीं, एक संस्था थे. किसी जाति, धर्म या क्षेत्र के नेता नहीं थे, वह झारखंड के सच्चे जननायक थे. नेमरा गांव में 16 अगस्त 2025 को उमड़े जनसैलाब की तस्वीरें यहां देखें.

By Mithilesh Jha | August 16, 2025 7:06 PM

Shibu Soren News Today| रजरप्पा (रामगढ़), सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार : झारखंड के जननायक और झारखंड आंदोलन के पुरोधा दिशोम गुरु शिबू सोरेन भले इस दुनिया में नहीं रहे, शनिवार को नेमरा में उनके श्राद्धकर्म ने साबित कर दिया कि वे झारखंडियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे. लाखों लोग उनके गांव पहुंचे और भावभीनी श्रद्धांजलि दी. सुबह से ही नेमरा की ओर लोगों का हुजूम उमड़ने लगा था. नेमरा से नावाडीह तक वाहनों की लंबी कतारें लग गयीं. सड़कें जाम हो गयीं, तो लोग पैदल ही चल पड़े. पगडंडियों, खेत-खलिहानों और संकीर्ण रास्तों से गुजरते हुए लोगों का सिर्फ एक लक्ष्य था, अपने चहेते नेता शिबू सोरेन को अंतिम प्रणाम करना.

7 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके लोग नेमरा पहुंचे और इतनी ही दूरी तय करके वापस लौटे. फोटो : प्रभात खबर

महिला, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सब थे भावुक

इस भीड़ में हर वर्ग के लोग शामिल थे. महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी भावुक थे. हर कोई दिशोम गुरु को अपनी तरह से याद कर रहा था. गांव के कई लोगों ने कहा कि शिबू सोरेन हमारे पिता समान थे. उन्होंने हमारी लड़ाई लड़ी. हमें पहचान दिलायी. वहीं, कुछ भावुक बुजुर्गों ने कहा कि गुरुजी ने हमेशा गरीबों और आदिवासियों की आवाज बुलंद की. उनका जाना झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है.

बहुत ज्यादा भीड़ हुई, तो नेमरा में बैरिकेडिंग करके लोगों को रोका गया. फोटो : प्रभात खबर

युवा बोले- गुरुजी हमेशा हमारे लिए प्रेरणा रहेंगे

गांव के युवा कहते नजर आये कि गुरुजी हमारे लिए हमेशा प्रेरणा रहेंगे. हम उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लेते हैं. अपने परिजनों के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी भीड़ में शामिल होकर शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दे रहे थे.

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जंगल, खेत-खलिहान से होकर नेमरा गांव तक पहुंचे लोग. फोटो : प्रभात खबर

गूंजते रहे नारे, भावुक हुआ पूरा माहौल

नेमरा में दिशोम गुरु को लाखों लोगों ने हाथ जोड़कर, मौन रहकर और अश्रुपूरित नेत्रों से श्रद्धा-सुमन अर्पित किये. श्रद्धांजलि सभा के चारों ओर सिर्फ दिशोम गुरु अमर रहे, शिबू सोरेन अमर रहे के नारे गूंज रहे थे. इन नारों ने वहां के माहौल को, पूरे वातावरण को भावुक कर दिया.

दिशोम गुरु को श्रद्धांजलि देने पैदल ही चल पड़े नेमरा.

Shibu Soren News Today: अद्वितीय था नेमरा का दृश्य

दिशोम गुरु की श्रद्धांजलि सभा के दिन नेमरा का दृश्य अद्वितीय था. गली-गली में भीड़ थी. खेत खलिहानों में जनसैलाब था. गांव का हर कोना लोगों से भरा था. पूरे मार्ग पर ‘शिबू सोरेन अमर रहे’ गूंज रहा था. यह दृश्य इस बात की गवाही दे रहा था कि शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनीतिक शख्सियत नहीं, झारखंड की आत्मा थे.

बाइक से भर गया एक स्टैंड. फोटो : प्रभात खबर

गुरुजी के संघर्षों की वजह से अलग झारखंड राज्य बना

लोगों के बीच यह चर्चा भी लगातार होती रही कि गुरुजी का जीवन झारखंड की माटी से गहराई से जुड़ा था. उनका पूरा जीवन संघर्ष और सेवा को समर्पित रहा. उन्होंने झारखंड की अस्मिता को बचाने के लिए आंदोलन किये और जेल गये. हार नहीं मानी. उनके संघर्षों के कारण ही झारखंड अलग राज्य बना.

लुकैया टांड़ के समीप सड़क पर वाहनों की कतार. फोटो : प्रभात खबर

आम जनता का हुजूम

श्रद्धांजलि सभा में झारखंड समेत कई राज्यों से राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के नेता और बड़ी संख्या में वीआईपी श्रद्धांजलि देने पहुंचे. सबसे बड़ी बात यह थी कि आम लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था, जो बताता है कि दिशोम गुरु केवल एक दल या समुदाय के नेता नहीं थे, पूरे झारखंड के जननायक थे.

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