दामोदर की लहरों में हेमंत सोरेन के आंसू, रजरप्पा में 17 को दिशोम गुरु का अस्थि विसर्जन करते हुए भावुक

Shibu Soren Last Rites in Rajrappa: झारखंड के निर्माण के लिए आंदोलन करने वाले अग्रणी नेता, झामुमो के सह-संस्थापक, 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री, आधा दर्जन से अधिक बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन हो गये. उनके पुत्र और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पूरे विधि-विधान के साथ रामगढ़ जिले के रजरप्पा में उनका अस्थि कलश दामोदर में विसर्जित किया और मां छिन्नमस्तिके की पूजा-अर्चना करके अपने पिता की आत्मा की शांति की कामना की.

By Mithilesh Jha | August 18, 2025 3:08 PM

Shibu Soren Last Rites in Rajrappa| रजरप्पा (रामगढ़), सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार : झारखंड आंदोलन के प्रणेता, झारखंड की आत्मा और अस्मिता के प्रतीक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्धकर्म के बाद रविवार को रमगढ़ जिले के प्रसिद्ध सिद्धपीठ रजरप्पा में उनका अस्थि विसर्जन किया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ संताली रीति-रिवाजों के अनुसार रजरप्पा के हिरला मरांगबुरू हिरला सागुण दाराम जाड़ बाहा तुपुदान घाट रजरप्पा धोरोमगाढ़ स्थित दामोदर नदी में पिता की अस्थि का विसर्जन किया.

शिबू सोरेन का अस्थि कलश लेकर परिवार के साथ रजरप्पा पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन. फोटो : प्रभात खबर

दामोदर की लहरों में अस्थि कलश विसर्जन के दौरान छलकी सीएम की आंखें

इस अवसर पर यहां माहौल गमगीन था. दामोदर की लहरों में जब अस्थि कलश प्रवाहित हुआ, तो वहां उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गयीं. सीएम हेमंत सोरेन जब अस्थि कलश लेकर दामोदर नदी के घाट पर पहुंचे, तो वह भावुक थे. पिता को खोने का दर्द उनकी आंखों में झलक रहा था. नदी की लहरों में जब हेमंत सोरेन ने अस्थि कलश समर्पित किया, तो उनकी आंखों के आंसू भी दामोदर की लहरों में गिरे.

संताली रीति-रिवाज से हेमंत सोरेन ने शिबू सोरेन को दी अंतिम विदाई. फोटो : प्रभात खबर

संताली रीति-रिवाज से संपन्न हुआ अनुष्ठान

माहौल ऐसा था मानो हेमंत सोरेन ने अपने पिता को सिर्फ अंतिम विदाई नहीं दी, बल्कि उनकी विरासत और संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प भी लिया. इस दौरान स्थानीय नायके जगेश्वर मुर्मू, माझी बाबा महावीर मुर्मू, कोल्हान से आये 18 मौजा के माझी बिंदे मांझी, लुगुबुरू घंटाबाड़ी के गोड़ैत सुरेंद्र टुडू और कोल्हान के बघराय हांसदा ने मुख्यमंत्री को संताली रीति-रिवाज से पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान संपन्न किया.

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हेमंत सोरेन के साथ परिवार के लोग रहे मौजूद

हेमंत सोरेन के साथ उनके साथ भाई और विधायक बसंत सोरेन, परिवार के अन्य सदस्य और रिश्तेदार के अलावा बड़ी संख्या में समाज के लोग भी मौजूद रहे.

अस्थि कलश विसर्जन के बाद परिवार और रिश्तेदारों के साथ हेमंत सोरेन. फोटो : प्रभात खबर

मां छिन्नमस्तिके के मंदिर में पूजा-अर्चना

अस्थि विसर्जन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मां छिन्नमस्तिके मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना की. मंदिर की परिक्रमा की और नारियल की बलि दी. मंदिर में पूजा के दौरान मुख्यमंत्री का चेहरा गहन श्रद्धा और भावुकता से भरा था. यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना और उनकी स्मृति को नमन करने का क्षण भी था. अस्थि विसर्जन के दौरान मौजूद संताल समाज के कई बुजुर्गों और युवाओं ने भावुक होकर कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब भी उनके दिलों में जीवित हैं.

दिशोम गुरु का अस्थि कलश विसर्जन करने के बाद गरीबों को दान देते हेमंत सोरेन. फोटो : प्रभात खबर

Shibu Soren Last Rites: गरीबों, वंचितों के बीच दान

मंदिर दर्शन के बाद मुख्यमंत्री ने मंदिर क्षेत्र के गरीबों, विधवाओं और दिव्यांगों के बीच वस्त्र और कांसा के बर्तन का वितरण किया. यह दृश्य वहां मौजूद लोगों को भावुक कर गया. लोगों ने कहा कि यह संस्कार मुख्यमंत्री ने अपने पिता से पाया है. दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जीवन गरीबों और वंचितों की सेवा में समर्पित रहा. वे हमेशा समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की चिंता करते थे. मुख्यमंत्री का यह कदम उनके पिता की उसी सोच और दर्शन का प्रतीक था.

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